आवेशम स्टार फहाद फासिल को हुआ ADHD: जानें कैसे रोकें बर्नआउट
भारतीय फिल्म उद्योग से जुड़ी एक नई खबर में, आवेशम फिल्म के प्रमुख अभिनेता फहाद फासिल ने हाल ही में खुलासा किया है कि उन्हें 41 साल की उम्र में ध्यान-अभाव/अतिक्रियाशीलता विकार (ADHD) का पता चला है। यह विकार उन्हें फोकस करने में, अतिसक्रियता और आवेग पर नियंत्रण रखने में कठिनाई पैदा कर रहा है। यह खबर उनके चाहने वालों के लिए चिंता का विषय बन गई है क्योंकि इस विकार के कारण प्रोडक्टिविटी में कमी, आत्म-सम्मान में गिरावट और आत्म-विश्वास में कमी आ सकती है।
ADHD क्या है?
ADHD एक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें व्यक्ति को ध्यान देने और फोकस करने में कठिनाई होती है। साथ ही इसमें अतिसक्रियता और आवेग पर नियंत्रण न होना भी शामिल है। यह विकार उम्र के किसी भी चरण में हो सकता है, लेकिन आमतौर पर इसका प्रारंभिक संकेत बचपन में ही दिखाई देता है। कई मामलों में, यह विकार व्यक्ति की उत्पादकता, आत्म-सम्मान और सामाजिक जीवन को बाधित करता है।
थेरेपिस्ट की सलाह
फहाद फासिल के इस खुलासे के बाद, थेरेपिस्ट मेरिडिथ कार्डर ने ADHD वाले व्यक्तियों के लिए बर्नआउट रोकथाम के बारे में महत्वपूर्ण टिप्स साझा की हैं। उन्होंने बताया कि बर्नआउट रोकने के लिए हमें इसके कारणों को समझने की जरूरत है, जिसमें भावनात्मक असंतुलन, ऊर्जा के बड़े उतार-चढ़ाव, परिपूर्णता की भावनाएं और अति और अल्प उत्तेजना शामिल हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि इन चुनौतियों का सामना करने के लिए कुछ रणनीतियों को अपनाया जा सकता है:
- उत्तेजनाओं को पहचानना और ट्रिगर्स को समझना
- माइंडफुलनेस, योग और अन्य ग्राउंडिंग तकनीकों का अभ्यास करना
- अपनी जैविक जरूरतों को पूरा करना
- अपनी कमियों को पहचानना और उन्हें स्वीकार करना
- ऐसी गतिविधियों को अपनाना जो खुशी और सुरक्षा प्रदान करें
बर्नआउट रोकथाम: विस्तृत सुझाव
ट्रिगर्स को पहचानने और उन्हें मैनेज करने के लिए, व्यक्ति को अपने दैनिक जीवन में आत्म-निरीक्षण करने की आवश्यकता होती है। हर व्यक्ति के ट्रिगर्स अलग हो सकते हैं, इसलिए अपनी व्यक्तिगत जरूरतों को ध्यान में रखते हुए योजना बनाना महत्वपूर्ण है। माइंडफुलनेस और योग जैसी ग्राउंडिंग तकनीकें मन की स्थिरता को बढ़ावा देती हैं और व्यक्ति को वर्तमान में रहने में मदद करती हैं। यह तकनीकें केवल मानसिक शांति ही नहीं, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होती हैं।
जैविक जरूरतों को पूरा करना
थकान और भूख जैसी जैविक जरूरतों का ध्यान रखना भी बहुत आवश्यक है। नींद की कमी और अनियमित भोजन समय से भी बर्नआउट का खतरा बढ़ सकता है। नियमित और संतुलित भोजन, पर्याप्त नींद और हाइड्रेशन पर ध्यान दें।
अपनी कमियों को पहचानना
परिपूर्णता की भावना से बचने के लिए, हमें अपनी कमियों को पहचानना और उन्हें स्वीकार करना सीखना चाहिए। हर किसी में कुछ कमियां होती हैं, और उन्हें स्वीकार करना मानसिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है।
खुशियों को अपनाना
जो गतिविधियाँ हमें खुशी और सुरक्षा प्रदान करती हैं, उन्हें अपनी दिनचर्या में शामिल करें। चाहे वह कोई हौबी हो, खेल हो, या समाज सेवा हो, इन गतिविधियों से मानसिक शांति मिलती है और हमें फ्रेश महसूस होता है।
निष्कर्ष
फहाद फासिल द्वारा किए गए इस खुलासे ने हमें इस बात का ध्यान दिलाया है कि कैसे ADHD जैसे विकार व्यक्ति के जीवन को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, सही रणनीतियों और सहायता से, इस स्थिति का सामना किया जा सकता है और बर्नआउट से बचा जा सकता है।
Mohamed Rafi Mohamed Ansari
मई 27, 2024 AT 20:53फहाद फासिल की ADHD की कहानी बहुत लोगों को जागरूक कर सकती है। यह विकराव वाकई फोकस और ऊर्जा को बिगाड़ देता है। थर्ड थेरापिस्ट की सलाह में माइंडफुलनेस और नियमित नींद का ज़िक्र है, जो बर्नआउट को रोकता है। रोजाना थोड़ा समय मेडिटेशन या योग करने से दिमाग़ शांत रहता है। इस तरीके से जीवन की गुणवत्ता सुधर सकती है।
अभिषेख भदौरिया
जून 10, 2024 AT 09:13बिलकुल सही कहा, आत्म-निरिक्षण ही पहला कदम है। जब हम अपने ट्रिगर पहचान लेते हैं तो उन्हें मैनेज करना आसान हो जाता है। सकारात्मक सोच से बर्नआउट की संभावना काफी घटती है। आशा है हर कोई इस सलाह को अपनाएगा।
Nathan Ryu
जून 23, 2024 AT 21:33ध्यान रखें, खुद को थका न दें।
Atul Zalavadiya
जुलाई 7, 2024 AT 09:52बहुतेक लोग इस बात को नज़रअंदाज़ कर देते हैं कि लगातार तनाव एक नुकीले चाकू की तरह दिमाग़ में धक्के मारता है। जब आप महसूस करें कि विचारों की धारा रुक-रुक कर आती है, तो तुरंत किसी ग्राउंडिंग तकनीक, जैसे गहरी साँस या हल्का स्ट्रेच, अपनाएँ। यह न केवल मन को शांत करता है, बल्कि ऊर्जा को भी रीसेट करता है। मध्यम गति से चलना या संगीत सुनना भी इस चक्र को तोड़ने में मदद करता है।
Amol Rane
जुलाई 20, 2024 AT 22:12क्या यह वही लोकप्रियता की दौड़ है जहाँ हर कोई खुद को ज़्यादा व्यस्त दिखाने के लिए खुद को जलाता है? बर्नआउट का डर सिर्फ़ एक बहाना है, ताकि लोग अपने असफलताओं को छिपा सकें। वास्तविक आत्म-सुधार के लिए खुद को नहीं, बल्कि अपनी सीमाओं को समझना ज़रूरी है। नहीं तो यह सिर्फ़ एक और पॉप्युलर ट्रेंड बन कर रह जाएगा।
Venkatesh nayak
अगस्त 3, 2024 AT 10:32हाँ, सही बिंदु है, लेकिन थोड़ा अधिक विचारों का संतुलन भी जरूरी है। कभी‑कभी छोटी‑छोटी जीतों को भी सराहना चाहिए 😊। यही तो रोज़मर्रा की जिंदगी में सकारात्मक ऊर्जा भरता है।
rao saddam
अगस्त 16, 2024 AT 22:52चलो, अब आलस को अलविदा कहो!! बर्नआउट को रोकने के लिए तुम्हें हर रोज़ खुद को पुश करना पड़ेगा! असफलता को गले लगाओ, क्योंकि वही असली सीख देती है! डेडलाइन को डराने मत दो, उन्हें तोड़ दो!!
Prince Fajardo
अगस्त 30, 2024 AT 11:12वाओ, जैसा कि हमेशा होता है, अब प्रेरणा की ऊँचाइयों से नीचे गिरते हुए हम देखेंगे कि किसे वास्तव में काम करना है। शायद कुछ लोग बस कॉफ़ी की देर से बेकाबू हो रहे हैं।
Subhashree Das
सितंबर 12, 2024 AT 23:31मुझे लगता है यह लेख बहुत ही सतही है। ADHD के बारे में गहरी जानकारी नहीं दी गई, बस कुछ हाई‑पॉइंट टिप्स ही बताए गए। ऐसे लेख अक्सर लोगों को भ्रमित करते हैं और वास्तविक मदद से दूर रखते हैं। हमें वैज्ञानिक आधार के साथ विस्तृत मार्गदर्शन चाहिए, न कि इन सामान्य बयानों के साथ।
jitendra vishwakarma
सितंबर 26, 2024 AT 11:51सही कहा, लेकिन कभी‑कभी छोटी‑छोटी चीज़ें भी बड़ा अंतर बना देती हैं। टाइपो हो जाए तो भी बात समझ में आती है, इसलिए ज़्यादा फोकस नहीं।
Ira Indeikina
अक्तूबर 10, 2024 AT 00:11विचार करो, यदि हम अपनी आंतरिक शांति को बाहरी सफलता से जोड़ते हैं तो बर्नआउट का प्रश्न ही नहीं उठता। जीवन को एक संतुलन के रूप में देखना चाहिए, जहाँ आत्म‑सुधार और विश्राम दोनों ही आवश्यक हैं। जब हम अपने भीतर की आवाज़ सुनते हैं, तो वह हमें सही दिशा में ले जाती है। यही आध्यात्मिक समझ है, जो मानसिक स्वास्थ्य को स्थिर रखती है।
Shashikiran R
अक्तूबर 23, 2024 AT 12:31यह बहुत ही सामान्य बात नहीं है; हममें से कई लोग अपना समय सोशल मीडिया पर बर्बाद करते हैं और फिर खुद को बर्नआउट का शिकार मानते हैं। सच्चे बदलाव के लिये हमें अपनी अनियमित आदतों को देखना होगा, और फिर उन्हें सुधारना होगा। जिम्मेदारी लेना ही पहला कदम है, और यह अक्सर निरंतर प्रयास मांगता है। इस कारण ही मैं कहता हूँ कि यह सिर्फ़ एक मोटी दवा नहीं, बल्कि एक प्रतिबद्धता है।
SURAJ ASHISH
नवंबर 6, 2024 AT 00:50ADHD और बर्नआउट के बीच का संबंध अक्सर अनदेखा रहता है, लेकिन यह समझना आवश्यक है कि दोनों एक ही हीरे के दो पहलू हैं। पहला, ध्यान की कमी अक्सर कार्यों को अधूरा छोड़ देती है, जिससे निराशा और तनाव बढ़ता है। दूसरा, लगातार असफलता की भावना आत्मविश्वास को क्षीण करती है, जिससे बर्नआउट की स्थिति उत्पन्न होती है। इस चक्र को तोड़ने के लिए आप पहले अपने दैनिक रूटीन को छोटे, प्रबंधनीय खंडों में विभाजित करें। प्रत्येक खंड के बाद खुद को छोटा सा पुरस्कार दें, चाहे वह पसंदीदा चाय हो या पाँच मिनट का ब्रेक।
तथा, नियमित शारीरिक गतिविधि मानसिक ऊर्जा को पुनः उत्पन्न करती है-जैसे तैराकी, साइक्लिंग या तेज़ चलना। यह न केवल शरीर को फिट रखता है, बल्कि डोपामिन स्तर को स्थिर करता है, जिससे फोकस बेहतर होता है।
आपको अपने स्क्रीन टाइम को भी सीमित करना चाहिए; नीली रोशनी के लंबे समय तक संपर्क में रहने से न्यूरॉन प्रॉक्सीमिज़न बढ़ता है, जो बर्नआउट को तेज़ करता है। हर शाम कम से कम एक घंटे पहले इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बंद कर दें।
खान-पान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ओमेगा‑3 से भरपूर मछली, नट्स और बीजों को आहार में शामिल करें, क्योंकि ये मस्तिष्क के न्यूरोट्रांसमीटर को संतुलित रखते हैं। पर्याप्त पानी पीने से भी ऊर्जा स्तर बनाए रहता है।
अंत में, सामाजिक समर्थन एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। भरोसेमंद मित्र या परिवार के सदस्य के साथ अपनी भावनाओं को साझा करें, और यदि आवश्यक हो तो प्रोफेशनल मदद लें। चिकित्सक से मिलने पर वे अक्सर कॉग्निटिव‑बेहेवियरल थेरेपी (CBT) की सिफ़ारिश करते हैं, जो विचारों की संरचना को बदलकर बर्नआउट के संकेतों को कम करती है।
समग्र रूप से, ये छोटे‑छोटे बदलाव मिलकर एक स्थायी परिवर्तन लाते हैं-जहाँ ADHD के लक्षण प्रबंधनीय बनते हैं और बर्नआउट से बचाव संभव हो जाता है।