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एशिया कप 2025 फाइनल में बाबर आज़ाम को शामिल करने की पाकिस्तान की आखिरी कोशिश पर टूर्नामेंट आयोजकों ने दिया ठुकराव

पीसीबी की आखिरी कोशिश

पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने एशिया कप 2025 के फाइनल में भारत के खिलाफ मुकाबला करने से पहले बाबर आज़ाम को टीम में वापस लाने की जर्जर कोशिश की। दोनों टीमें समूह चरण और सुपर‑फ़ोर में एक‑दूसरे से हार चुकी थीं, जिससे पाकिस्तान की बैटिंग लाइन‑अप पर गंभीर दबाव बन गया। इस स्थिति को देखते हुए पीसीबी के अधिकारियों ने बाबर को एक वैरिएंट के रूप में जोड़ने की इच्छा जताई, ताकि फाइनल में ताकतवर दिखाव हो सके।

हालाँकि, टूर्नामेंट के आयोजकों ने इस प्रस्ताव को कठोर नियमों के आधार पर खारिज कर दिया। उन्होंने बताया कि मध्य‑टूर्नामेंट में केवल चोट‑लागे खिलाड़ियों के बदलाव की ही अनुमति है, और कोई भी अन्य कारण मान्य नहीं माना जाएगा। इस निर्णय ने पाकिस्तान की निराशा को और गहरा कर दिया।

बाबर आज़ाम, जो पिछले दिसंबर से टी20I में शामिल नहीं हुए थे, मूल एशिया कप स्क्वॉड में नहीं थे। यह रणनीति पीएमसीबी ने युवा खिलाड़ियों को 2026 के विश्व कप के लिये तैयार करने के उद्देश्य से अपनाई थी, जिसमें मोहम्मद रिझवान और बाबर दोनों को बाहर रखा गया था। इस कदम को प्रशंसकों और विशेषज्ञों ने तीखी निंदा की, क्योंकि दोनों के बिना टीम की स्थिरता पर सवाल उठे।

भविष्य की संभावना

पीसीबी के भीतर के सूत्रों ने बताया कि चयन समिति ने बाबर को पुनः मौका देने की इच्छा जताई, पर आयोजकों के स्पष्ट उत्तर ने इस आशा को धूमिल कर दिया। इसके साथ ही, मौजूदा कप्तान सलमान अली आगा को भी अपनी बल्लेबाज़ी में सुधार लाने का दबाव सहना पड़ रहा है। कई दर्शकों ने कहा कि फ़ाइनल में बाबर की कमी टीम को भारी नुकसान पहुँचा रही है।

एक और अहम पहलू यह है कि बाबर आज़ाम की फिटनेस और फ़ॉर्म के बारे में उत्सुकताएँ बढ़ी हैं। उन्होंने हाल ही में नेशनल क्रिकेट अकादमी में रेड‑बॉल प्रशिक्षण कैंप में हिस्सा लिया है, जहाँ वह दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ घर में होने वाले टेस्ट सीरीज की तैयारी कर रहे हैं। यह संकेत देता है कि वह जल्द ही अंतरराष्ट्रीय मैदान पर लौट सकते हैं।

पीसीबी चेयरमैन मोहसिन नाकवी ने पहले ही कहा था कि चयन प्रक्रिया पूरी तरह से चयन समिति और सलाहकार निकाय की जिम्मेदारी है, और उनकी ओर से कोई व्यक्तिगत हस्तक्षेप नहीं हुआ। अब सवाल यह है कि क्या बाबर की वापसी दक्षिण अफ्रीका की टी20I श्रृंखला में होगी, जिससे टीम को अनुभवी बल्लेबाज़ की ज़रूरत पूरी हो सके।

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7 टिप्पणि

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    Prince Raj

    सितंबर 27, 2025 AT 22:14

    पीसीबी की इस आखिरी कोशिश में बड्क़ी हड़बड़ी साफ़ दिखती है। टीम की मध्य‑टूर्नामेंट बैटिंग स्ट्रैटेजी ने पहले ही जोखिम को ऊपर खींचा था। बाबर आज़ाम को वैरिएंट के रूप में जोड़ना एक फ़ेनॉमेना नहीं बल्कि रैडिकली ऍडजस्टमेंट है। एक अनुभवी ओपनर के रूप में उनका स्ट्राइक‑रेट हमेशा टॉप‑डोमेन में रहता है, जिसका मतलब है कि टॉप‑ऑर्डर को नई ऊर्जा मिल सकती है। नियमों के तहत केवल चोट‑लगे खिलाड़ियों का बदलना वैध है, पर पीसीबी की पॉलिसी ने इसे एक्सेप्शन के तौर पर पेश किया। इस एक्सेप्शन को लागू करने के लिए फ़ॉर्मल क्लैरिफिकेशन की जरूरत थी, पर लेखांकन विभाग ने इसे रीजनल इश्यू माना। बाबर की रिटर्न के बारे में कई अॅनालिटिक्स मॉडल्स पहले से ही एक पॉज़िटिव इम्पैक्ट की भविष्यवाणी करते हैं। टीम के इंटरनल टेस्टिंग में उनका ग्लोबल इंट्रिंसिक वैल्यू एन्हांस हो रहा था। इस पॉइंट पर टॉप‑बॉटम बैलेंस को रिफॉर्म करने की कोशिश को पैरामीटर के रूप में देखा जाता है। फाइनल में उनके बैटिंग फ़ॉर्म को देख कर हम एक्स्पेक्ट कर सकते हैं कि सेकेंड फेस में प्रेशर कॉम्प्रेस हो जाएगा। लेकिन टॉर्नामेंट ऑर्गनाइज़र ने कड़ाई से नियम को इम्प्लीमेंट किया, जिससे PCB का सड़न भरे इंटेंट को नाकाबंसी मिली। यह डिसीजन न केवल पाकिस्तान की बॅटिंग समस्याओं को बढ़ाता है, बल्कि एशिया कप की इंटेग्रिटी को भी सशक्त बनाता है। अंत में, इस केस से साफ़ है कि इंटरनॅशनल क्रिकेट में नियमों का पालन ही सबसे बड़ा स्ट्रैटेजिक एसेट है।

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    Satpal Singh

    सितंबर 29, 2025 AT 01:53

    संबंधित नियमों की स्पष्टता ने इस मामले को साफ़ तौर पर सीमित किया। केवल चोट‑लगे खिलाड़ियों के बदलाव ही अनुमति में आते हैं, यह मानक प्रक्रिया है। इसलिए पीसीबी की इस पहल का आधरभूत आधार कमजोर रह गया। आगे की रणनीति में नियम‑अनुकूल विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए।

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    Gopal Jaat

    सितंबर 30, 2025 AT 07:03

    वाह! कितनी भी कोशिश कर लो, नियम तो नियम ही हैं। मंच पर दो बार पीछे हटना, जैसे नाट्य मंच पर दो बार सीन बदलना। यह स्थिति दर्शकों को निराशा से भर देती है। अब देखना यह है कि क्या नया नाटक तैयार होगा।

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    UJJAl GORAI

    अक्तूबर 1, 2025 AT 09:26

    ओह, कितनी नाज़ुक योजना थी, बिल्कुल कागज़ की बट्टे जैसी। नियमों को तोड़ना तो मेरा रोज़ का फॅशन है, पर यहाँ तो ही फील्द में हलचल है। बाबर को जोड़ने की कोशिश को तो मैं "हाइप" कहूँगा, लेकिन असली में तो बस ड्राफ्ट है। यहाँ का फ़ोरम भी अगर थोड़ा‑बहुत लफ़्ज़ी हो तो शायाद कोई शॉर्टकट मिल जाता। इस डिसीजन को मैं उल्टे‑सुल्टे शब्दों में “सरलीकरण” कहूँगा, पर असल में तो कचरा ही है।

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    manoj jadhav

    अक्तूबर 2, 2025 AT 13:13

    अब देखिए, नियम तो नियम है, लेकिन खेल में भी कब‑कभी लचीलापन जरूरी है, है ना?! तो फिर क्यों न एक छोटा‑सा एक्सेप्शन दिया जाता, जिससे टीम की बैटिंग लाइन‑अप में थ्रिल आता! यह तो सबको खुश कर देता, और फाइनल का ड्रामा भी मज़ेदार बनता! आखिरकार, क्रिकेट तो उत्साह का खेल है, इसलिए थोड़ा‑बहुत समझौता भी किया जा सकता है, है ना?

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    Devendra Pandey

    अक्तूबर 3, 2025 AT 17:00

    यह निर्णय उलटा‑सिंकारात्मक दिखता है, लेकिन वास्तव में गहरी त्रुटि को छुपाता है। नियमों की कड़ाई से खेल का संतुलन बिगड़ता है।

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    saurav kumar

    अक्तूबर 4, 2025 AT 20:46

    नियमों के बिना खेल में कोई मज़ा नहीं।

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