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Google का 27 साल: Stanford के डॉर्म रूम से विश्व टेक इम्पीरियम तक

शुरुआती दिन: Backrub से Google तक

1995 में Stanford University में दो पीएचडी छात्र, लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन, पहली बार मिले। पेज ग्रेजुएट स्कूल जान की सोच रहा था, और ब्रिन, जो पहले से वहीं पढ़ रहा था, उसे कैंपस दिखाने के लिए नियुक्त हुआ। शुरुआती सत्र में दोनों के विचारों में काफी टकराव था, फिर भी 1996 तक उन्होंने मिलकर एक प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया, जो बाद में दुनिया को बदल देगा।

डॉर्म रूम के छोटे कंप्यूटर पर उन्होंने एक ऐसा सर्च इंजन बनाया जो वेब पेजों की "बैक लिंक" देख कर उनकी महत्ता तय करता था। इस तकनीक का नाम "Backrub" रखा गया, क्योंकि यह बैक लिंक को रब (रबड़) की तरह खींच कर रैंक तय करता था। यह तरीका उस समय के मौजूदा सर्च टूल्स से बहुत बेहतर साबित हुआ।

1997 में उन्होंने इस प्रोजेक्ट को "Google" नाम दे दिया। यह नाम गणितीय शब्द "googol" (1 के बाद 100 शून्य) से आया था, जो उनकी विशाल आकांक्षा को दर्शाता था – "दुनिया की सारी जानकारी को व्यवस्थित करना और सभी के लिए उपयोगी बनाना"। 15 सितम्बर 1997 को Google.com डोमेन रजिस्टर हुआ, और यही वह दिन था जब "google" शब्द शब्दकोश में नया अर्थ लेकर आया।

अगले साल अगस्त 1998 में, Sun Microsystems के सह-संस्थापक एंडी बेक्टोल्शेम ने एक डेमो देख कर लैरी और सर्गेई को तुरंत $100,000 का चेक लिख दिया। इस फंडिंग ने Google को आधिकारिक तौर पर कंपनी बनाते हुए 4 सितम्बर 1998 को Google Inc. के रूप में पंजीकृत किया।

पहला ऑफिस एक गैरेज था, जो मेनलो पार्क के एक पड़ोस में सुसन वोयजिकी की थी। वह बाद में YouTube की CEO बनीं। इस गैरेज में पुरानी डेस्कटॉप, पिंग पोंग टेबल और नीला कार्पेट था – वही माहौल जहाँ से आज के Googleplex की चमक शुरू हुई।

विकास, विस्तार और आज का बाजार

विकास, विस्तार और आज का बाजार

1999 तक कंपनी ने $25 मिलियन वेंचर कैपिटल हासिल कर ली, और रोजाना लगभग पाँच लाख सर्च क्वेरी प्रोसेस कर रही थी। 2000 में Yahoo! ने अपने सर्च बैकएंड को Google को सौंपा, जिससे Google की पहुंच में तेज़ी आई। 2004 में Gmail के लॉन्च ने ईमेल सर्विस की दुनिया में नया मानक स्थापित किया, जबकि वही साल Android का पहला संस्करण एप्पल के सामने आया, जो मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम को पुनः परिभाषित कर दिया।

Google ने 2000 में AdWords (अब Google Ads) शुरू किया, जो ऑनलाइन विज्ञापन को क्लिक-आधारित मॉडल में बदल दिया। इस कदम ने कंपनी को बड़े पैमाने पर राजस्व प्रदान किया और उसे सर्च के अलावा विज्ञापन का भी दिग्गज बना दिया। 2006 में YouTube की खरीददारी ने Google को वीडियो स्ट्रीमिंग के शिखर पर पहुंचा दिया, और इसके बाद कंपनी ने क्लाउड कंप्यूटिंग (Google Cloud), हार्डवेयर (Pixel फोन, Nest) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Google Brain, DeepMind) में बड़े निवेश किए।

सर्च की बात करें तो 2004 में Google ने प्रतिदिन 200 मिलियन खोजें संभाली थीं। 2011 तक यह आंकड़ा 3 बिलियन तक पहुंच गया और 2023 में रोज़ाना 8.5 बिलियन खोजें होने का आँकड़ा आया। जुलाई 2023 तक Google ने डेस्कटॉप सर्च मार्केट का लगभग 83% हिस्सा कब्जा कर रखा था – यह प्रतिशत किसी भी उद्योग में दिग्गज कंपनी को देखते हुए आश्चर्यजनक है।

इनके अलावा, Android OS ने दुनिया के अधिकांश स्मार्टफोन को चलाया, Chrome ब्राउज़र ने वेब एक्सपीरियंस को तेज़ और सुरक्षित बनाया, और Google Maps ने यात्रा को आसान बना दिया। कंपनी का डेटा सेंटर नेटवर्क अब क्वांटम कंप्यूटिंग और AI मॉडल प्रशिक्षण जैसे अत्याधुनिक क्षेत्रों में भी काम कर रहा है।

एक रोचक बात यह है कि Google ने अपना असली संस्थापन 4 सितम्बर 1998 को किया, फिर भी वह अपना "जन्मदिन" 27 सितम्बर को मनाता है। यह परम्परा 2000 के मध्य में शुरू हुई, पर कोई ठोस कारण सार्वजनिक नहीं किया गया है।

आज Google केवल एक सर्च इंजन नहीं रहा; यह एक पूर्ण टेक इकोसिस्टम बन चुका है, जहाँ हर साल नई प्रोडक्ट और सेवाएँ लॉन्च होती हैं। कंपनी की मिशन स्टेटमेंट – "दुनिया की जानकारी को व्यवस्थित करना और सभी के लिए उपयोगी बनाना" – अब बस एक स्लोगन नहीं रह गया; यह हर उत्पाद में झलकता है, चाहे वह Gmail की एन्हान्स्ड सर्च हो या AI-संचालित सर्च रिजल्ट।

Google की कहानी हमें यह सिखाती है कि छोटे विचार, सही तकनीक और धूर्त फंडिंग कैसे एक गैरेज को विश्व की सबसे बड़ी टेक कंपनी में बदल सकती है। भविष्य में AI, क्वांटम और ऑटोनॉमस ड्राइविंग जैसे क्षेत्रों में उनके निवेश को देखते हुए, यह कंपनी अभी भी कई नई पहलों के साथ आगे बढ़ रही है।

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7 टिप्पणि

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    Neha xo

    सितंबर 28, 2025 AT 03:01

    वाकई में गूगल की कहानी बहुत प्रेरणादायक है। 1995 के छोटे डॉर्म रूम से लेकर आज के ग्लोबल इम्पीरियम तक सफर देखना दिल को छू जाता है। इस यात्रा में कई छोटे‑छोटे फैसले बड़े प्रभाव डालते दिखे। टेक स्टार्ट‑अप्स के सपने देखने वाले हर कोई इससे सीख लेगा।

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    Rahul Jha

    सितंबर 29, 2025 AT 01:53

    सही बात है 😎 ये सब सोच‑समझ के फंडिंग और बैक्लिंक तकनीक की वजह से हुआ। अगर उस वक़्त यूज़र बेस इतना बड़ा नहीं होता तो कुछ भी नहीं होता 😂

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    Gauri Sheth

    सितंबर 30, 2025 AT 00:06

    हूँ, ग्रीटिंग्ज, अगर कुछ भी फेल हो गय तो, इट्स द फर्टिल इडिया नॉट इन्प्रूवमेंट।

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    om biswas

    सितंबर 30, 2025 AT 22:20

    भारत की टेक कंपनियों को ही आगे बढ़ना चाहिए, बाकी सब असली नहीं!

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    sumi vinay

    अक्तूबर 1, 2025 AT 20:33

    हमें हमेशा सकारात्मक सोच रखनी चाहिए। गूगल जैसी कंपनियों का विकास हमारे लिए प्रेरणा है। यदि हम मिलकर काम करें तो और भी बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। चलिए, हम भी अपने छोटे‑छोटे विचारों को बड़ा बनाते हैं!

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    Anjali Das

    अक्तूबर 2, 2025 AT 18:46

    Google की प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर बहुत सवाल हैं, उनका ट्रस्ट इश्यू अभी भी हल नहीं हुआ। ऐसा लगता है कि बड़े टेक दिग्गज हमेशा ही यूज़र डेटा का दुरुपयोग करते हैं।

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    Dipti Namjoshi

    अक्तूबर 3, 2025 AT 17:00

    गूगल की कहानी सिर्फ़ एक कंपनी की नहीं, बल्कि एक विचारधारा की यात्रा है।
    जब लैरी और सर्गेई ने बैकलिंक के माध्यम से सर्च रैंकिंग को पुनः परिभाषित किया, तो उन्होंने तकनीकी नवाचार की नई दिशा तय की।
    उनकी इस छोटी सी प्रयोगशाला ने हमें दिखाया कि कैसे छोटे‑छोटे सोचों में भी बड़ी संभावनाएं छिपी होती हैं।
    स्ट्रेटेजिक फंडिंग, जैसे कि एंडी बेक्टोलेस्म की शुरुआती निवेश, न केवल पूंजी प्रदान करती है बल्कि विश्वसनीयता भी बढ़ाती है।
    गूगल का प्रारंभिक गैरेज माहौल यह याद दिलाता है कि कई बड़े सफलता के पीछे साधारण शुरुआत होती है।
    समय के साथ, गूगल ने अपने सर्च एल्गोरिद्म को निरंतर सुधारते हुए उपयोगकर्ता अनुभव को सर्वोपरि बनाया।
    यह निरंतर सुधार केवल तकनीकी पहलुओं में नहीं, बल्कि नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारियों में भी दिखा।
    जैसे-जैसे एडवर्ड्स और यूट्यूब जैसी सेवाओं ने प्लेटफ़ॉर्म को विस्तारित किया, गूगल ने डेटा प्रबंधन और विज्ञापन मॉडल में नई मानदंड स्थापित किए।
    इन कदमों ने न केवल कंपनी की कमाई में इज़ाफ़ा किया बल्कि डिजिटल इकोसिस्टम को भी नई दिशा दी।
    हालांकि, इस विस्तार के साथ गोपनीयता और डेटा सुरक्षा के प्रश्न भी उठे, जिसे गूगल को हमेशा संतुलित करना पड़ा।
    भविष्य में AI, क्वांटा कंप्यूटिंग, और ऑटोनॉमस ड्राइविंग जैसे क्षेत्रों में गूगल की निवेश रणनीति यह दर्शाती है कि वह केवल एक सर्च इंजन नहीं रहना चाहता।
    यह कंपनी अपने मिशन – "दुनिया की जानकारी को व्यवस्थित करना और सभी के लिए उपयोगी बनाना" – को प्रतिदिन नई प्रोडक्ट्स और सेवाओं में प्रतिबिंबित करती है।
    समाज में डिजिटल साक्षरता और सूचना पहुंच को बढ़ावा देने में गूगल का योगदान मूल्यवान है।
    नवीनतम AI-संचालित सर्च परिणामों से लेकर क्लाउड कंप्यूटिंग के बड़े पैमाने पर इन्फ्रास्ट्रक्चर तक, हर पहलू में निरंतर विकसित होना चाहिए।
    इसलिए, गूगल की कहानी हमें सिखाती है कि दृढ़ नज्ञत, साहसिक प्रयोग, और सामाजिक जिम्मेदारी के संतुलन से बिग डेटा युग में भी सफलता हासिल की जा सकती है।

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