विकी कौशल की 'छावा' ने बॉक्स ऑफिस पर धमाका किया
विकी कौशल और रश्मिका मंदाना की ऐतिहासिक ड्रामा फिल्म '*छावा*' ने 2025 में बॉलीवुड की पहली ब्लॉकबस्टर के रूप में पहचान बनाई है। प्रशंसा के साथ, फिल्म ने न केवल दर्शकों का दिल जीता बल्कि बॉक्स ऑफिस पर भी जबरदस्त प्रदर्शन किया। इस फिल्म ने *उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक* के ₹244.14 करोड़ के कलेक्शन को पीछे छोड़ते हुए विकी कौशल की सबसे अधिक कमाई करने वाली फिल्म बन गई है।
लक्ष्मण उतेकर द्वारा निर्देशित और मैडॉक फिल्म्स द्वारा निर्मित इस फिल्म ने दूसरे शनिवार को ₹44 करोड़ की कमाई की, जिससे इसकी घरेलू कुल कमाई ₹286.75 करोड़ हो गई। फिल्म की सफलता का सिलसिला जारी है और यह तेजी से नया मील का पत्थर बना रही है।
उच्च ऑक्यूपेंसी और ग्लोबल कलेक्शन
फिल्म की खासियत उसकी उच्च ऑक्यूपेंसी रही है, जिसमें पुणे सबसे आगे रहा, जहां 85.75% ऑक्यूपेंसी दर्ज की गई। इसके बाद चेन्नई में 81.50%, मुंबई में 74%, और दिल्ली-एनसीआर में 46% ऑक्यूपेंसी रही। फिल्म ने वैश्विक स्तर पर भी तहलका मचाया और नौवें दिन तक ₹338.75 करोड़ की कमाई कर ली है।
इस सफलता के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी फिल्म की सराहना की है। उन्होंने 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में अपने भाषण के दौरान फिल्म की सांस्कृतिक प्रभाव की तारीफ की।
रश्मिका मंदाना के लिए यह फिल्म उनकी तीसरी लगातार ₹200 करोड़ से अधिक कमाने वाली हिट फिल्म बन गई है, जिसमें *पुष्पा 2: द रूल* और *एनिमल* भी शामिल हैं।
Himanshu Sanduja
मार्च 5, 2025 AT 18:05वाह! विकी कौशल की 'छावा' ने बॉक्स ऑफिस पर जो धूम मचा दी है, वाकई में बहुत ही शानदार है। फिल्म की कहानी, अभिनय और संगीत सभी ने मिलकर इसको एक बेहतरीन अनुभव बना दिया है। इस सफलता में रश्मिका मंदाना का भी बड़ा हाथ है, वह हमेशा जैसी ऊर्जा देती हैं, वही इस फिल्म में देखी गई। ये फिल्म न केवल राजस्व में बल्कि दर्शकों के दिलों में भी जगह बना रही है। इस तरह की फिल्में भारतीय सिनेमा को नई ऊँचाइयों पर ले जाती हैं।
Kiran Singh
मार्च 6, 2025 AT 05:11बिलकुल सही कहा तुमने! 🎉 ये फिल्म वाकई में सभी को जोड़ने वाला है और हर बज़ी में धूम मचा रही है। आशा करता हूँ कि आगे भी ऐसे ही ब्लॉकबस्टर आते रहें! 🙌
Balaji Srinivasan
मार्च 6, 2025 AT 16:18बहुत बढ़िया फ़िल्म है।
Hariprasath P
मार्च 7, 2025 AT 03:25य्ह तो बस हल्का हल्का स्कीप कोइ कॉम्प्लेक्स सीन ओवरेटिंग है, लेकिन फैनस तो वाक्ये सिस्टेम को पॉइंट मैप कर लेते हैं वर्ल्ड वाइड।
Vibhor Jain
मार्च 7, 2025 AT 14:31होटा, बस हल्का-फुल्का धंधा।
Rashi Nirmaan
मार्च 8, 2025 AT 01:38समान्य नागरिकों को यह बताना आवश्यक है कि इस फिल्म की प्रशंसा में अतिरेक नहीं होना चाहिए, क्योंकि राष्ट्रीय भावना तथा सांस्कृतिक मूल्य बेइंतिहा महत्व रखते हैं। हमारे देश के समृद्ध इतिहास और परम्पराओं को सजग रूप से समाहित करने में यह प्रयास सराहनीय है, परन्तु अभिव्यक्ति की सीमा का मान रखना अति आवश्यक है। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल हो रही है, परंतु हमें यह भी देखना चाहिए कि क्या यह जनकल्याण की दिशा में योगदान देती है। अंततः, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना हर कलाकार का कर्तव्य है।
Ashutosh Kumar Gupta
मार्च 8, 2025 AT 12:45परन्तु, ऐसा लगता है जैसे हर प्रोजेक्ट में वही पुरानी डायलॉग्स दोहराई जाती हैं, क्या यही सच्ची नवाचार है?
fatima blakemore
मार्च 8, 2025 AT 23:51सच्चाई तो यही है कि इन बड़े पर्दे के प्रोजेक्ट्स में हम अक्सर गहराई को भूल जाते हैं। परन्तु कभी‑कभी कुछ फिल्में हमें विचार के नए द्वार खोल देती हैं, जैसे यही 'छावा' ने किया है। इस कदर आशा है कि भविष्य में भी ऐसे विचारशील कार्य हमारे सामने आएँ।
vikash kumar
मार्च 9, 2025 AT 10:58फिल्म की सफलता पर समुचित विश्लेषण आवश्यक है: न केवल आँकड़ों में बल्कि कथा संरचना, सांस्कृतिक संदर्भ और सामाजिक प्रभाव में भी। यह फिल्म, यद्यपि व्यावसायिक रूप से सफल रही, लेकिन शैलीगत नवाचार की दृष्टि से एक सामान्य मानक को ही दोहराती प्रतीत होती है।
Anurag Narayan Rai
मार्च 9, 2025 AT 22:05छावा का बॉक्स ऑफिस प्रदर्शन वास्तव में आश्चर्यजनक है। इस फिल्म के कई पहलुओं को देखने के बाद मैं कई बिंदुओं पर रुककर विचार करने लगा हूँ। सबसे पहले, विकी कौशल की कहानी कहने की शैली ने दर्शकों को अपने साथ जोड़ लिया। उनका संवाद बहुत ही सहज और प्रभावी था, जिससे भावनात्मक गहराई में एक रोमांचक पुल बना। रश्मिका मंदाना की प्रस्तुति ने फिल्म को एक नई ऊर्जा दी, और उनके चरित्र की जटिलता ने दर्शकों को कई बार सोचने पर मजबूर किया। फिल्म का संगीत भी उल्लेखनीय था; साउंडट्रैक ने प्रत्येक दृश्य को सुदृढ़ बनाया। उच्च ऑक्यूपेंसी आँकड़े यह दर्शाते हैं कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में फिल्म को सराहा गया। यह सांस्कृतिक विविधता को प्रतिबिंबित करता है। दूसरी ओर, फिल्म के कुछ हिस्से कुछ दर्शकों को दोहरावदार लग सकते हैं, लेकिन समग्र प्रभाव को कम नहीं करता। विशेष रूप से, निर्देशक लक्ष्मण उतेकर ने दृश्यों की गिनती और समय का सही उपयोग किया। इस प्रकार, फ़िल्म ने न केवल राजस्व में बल्कि कलात्मक रूप से भी सफलता पाई। भविष्य में ऐसी फिल्मों की उम्मीद रखनी चाहिए, जो मनोरंजन के साथ सामाजिक संदेश भी पहुँचाए। अंत में, यह सफलता भारतीय सिनेमा की नई दिशा का संकेत देती है, जहाँ स्थानीय कहानियों को बड़े पैमाने पर पेश किया जा रहा है।
Sandhya Mohan
मार्च 10, 2025 AT 09:11बहुत ही गहन विश्लेषण है! यह दिखाता है कि किस तरह फिल्में हमारी सामाजिक धारा को प्रभावित करती हैं और साथ ही हमें नए विचारों का अनुभव कराती हैं। आपके विचारों से मैं पूरी तरह सहमत हूँ।
Prakash Dwivedi
मार्च 10, 2025 AT 20:18सच्ची बात तो यह है कि कई लोग इस सफलता को सिर्फ़ नंबरों तक सीमित कर देते हैं, जबकि इसमें छिपी भावनात्मक गहराई को नजरअंदाज कर देते हैं।
Rajbir Singh
मार्च 11, 2025 AT 07:25फिल्म ने बहुत पैसा कमाया, पर क्या कहानी में कुछ नया था? मैं सोच रहा हूँ कि क्या इस तरह के बक्सा‑ऑफ़िस हिट लगातार चलेंगे।
Swetha Brungi
मार्च 11, 2025 AT 18:31आपकी जिज्ञासा में मैं पूरी तरह समझता हूँ। शायद हमें यह देखना चाहिए कि इन हिट्स के पीछे कौन‑सी रचनात्मक प्रक्रिया है जो दर्शकों को आकर्षित करती है, और क्या यह स्थायी है या सिर्फ़ एक ट्रेंड।
Govind Kumar
मार्च 12, 2025 AT 05:38छावा ने निश्चित रूप से भारतीय फिल्म उद्योग में एक नया मानक स्थापित किया है; इस सफलता के लिए सभी संबंधित लोगों को बधाई।
Shubham Abhang
मार्च 12, 2025 AT 16:45बिल्कुल, बधाई, आगे भी, ऐसे, हिट, आते, रहें, और, दर्शक, खुश, रहें।