किर्गिस्तान की ऐपेरी मेडेट किजी ने पेरिस ओलंपिक्स 2024 में भारतीय रेसलर रीतिका हुड्डा को क्वार्टरफाइनल में हराकर अपना दबदबा साबित किया। यह मुकाबला जितना रोमांचक था, उतना ही नजदीकी भी था, क्योंकि अंत में स्कोर 1-1 पर था। ओलंपिक कुश्ती के नियमों के अनुसार, अंतिम अंक बनाने वाली खिलाड़ी को विजेता घोषित किया जाता है, और इस बार यह बाजी किजी के हाथ लगी।
रीतिका हुड्डा, जो कि 21 साल की हैं और U23 विश्व चैंपियन हैं, ने इस मुकाबले में अपनी शानदार रक्षात्मक क्षमता का प्रदर्शन किया। हालांकि, उनके आक्रामण की कमी को लेकर आलोचना हुई। मुकाबले के पहले पीरियड में रीतिका ने किजी की निष्क्रियता के चलते एक अंक प्राप्त किया था, लेकिन दूसरे पीरियड में खुद रीतिका के निष्क्रिय होने के कारण किजी को एक अंक मिला। बाद में किजी ने हेड-लॉक पोजिशन को बनाए रखते हुए अपनी जीत सुनिश्चित की।
भारत के कोच, वीरेंदर दहिया, ने मुकाबले के बाद निराशा जताई और कहा कि केवल रक्षात्मक खेल दिखाकर मुकाबले नहीं जीते जा सकते। उन्होंने रीतिका के आक्रामण की कमी को प्रमुख कारण बताया जिससे वह मुकाबला हार गईं।
हालांकि, रीतिका का प्रदर्शन अब तक काफी सराहनीय रहा है। उन्होंने हंगरी की बर्नाडेट नागी को हराकर क्वार्टरफाइनल तक का सफर तय किया था। रीतिका के लिए अब भी आशाएं बाकी हैं, क्योंकि अगर किजी अगले राउंड में फाइनल तक पहुंचती हैं तो रीतिका को रेपचेज राउंड में कांस्य पदक के लिए एक और मौका मिलेगा।
अन्य भारतीय रेसलरों का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। अनुपम पंघल, अंशु मलिक और निशा दहिया पहले ही प्रतियोगिता से बाहर हो चुके हैं, जबकि विनेश फोगाट भी अपनी डिसक्वालिफिकेशन के खिलाफ फैसला का इंतजार कर रही हैं। इस स्थिति में भारत की मुख्य पदक उम्मीद अब रीतिका हुड्डा और किजी के अगले मुकाबलों के परिणाम पर निर्भर करती है।
एक उभरती हुई रेसलर के रूप में रीतिका हुड्डा की यात्रा काफी प्रभावशाली रही है। अपनी युवा उम्र में ही उन्होंने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त की है और अब वे देश को ओलंपिक पदक दिलाने के करीब हैं। उनका मेहनत और समर्पण युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि रीतिका और उनके कोच आने वाले मुकाबलों के लिए कैसी रणनीति तैयार करते हैं। उन्हें अपने आक्रामण को अधिक सशक्त बनाने पर काम करना होगा ताकि वे बड़ी प्रतियोगिताओं में विजयी बन सकें।
ऐपेरी मेडेट किजी की कुश्ती शैली और रणनीति भी एक अध्ययन का विषय है। उन्होंने जिस प्रकार से मुकाबले को अंत तक संतुलित रखा और जरुरत के समय पर अंक प्राप्त किए, वह दर्शाता है कि वे एक अनुभवी और चतुर खिलाड़ी हैं।
कुल मिलाकर, यह मुकाबला युवाओं को कड़ी मेहनत, समर्पण और रणनीति की महत्वता को समझने के लिए काफी प्रेरणादायक है। दोनों खिलाड़ी, रीतिका हुड्डा और ऐपेरी मेडेट किजी, कुश्ती प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं।
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