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शिवसेना नेता के बेटे मिहिर शाह: बीएमडब्ल्यू हिट-एंड-रन केस के आरोपी

पूरी घटना का विवरण

महाराष्ट्र के पालघर जिले के शिवसेना नेता राजेश शाह का बेटा मिहिर शाह अब एक बड़े विवाद में घिर चुका है। 24 वर्षीय मिहिर शाह पर आरोप है कि उन्होंने रविवार सुबह 5:30 बजे बीएमडब्ल्यू कार से एक हिट-एंड-रन घटना को अंजाम दिया, जिसमें 45 वर्षीय कावेरी नखवा की मौत हो गई और उनके पति प्रदीप बुरी तरह घायल हो गए। यह घटना मुंबई के डॉ. एनी बेसेंट रोड पर हुई जब नखवा दंपत्ति मछली खरीदने के बाद ससून डॉक से लौट रहे थे।

घटना के बाद की स्थिति

इस हादसे के बाद प्रदीप नखवा ने किसी तरह बीएमडब्ल्यू की बोनट से कूद कर अपनी जान बचाई, जबकि कावेरी नखवा कार के नीचे फंस गईं और करीब 100 मीटर तक घिसटती रहीं। अस्पताल पहुंचने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। यह हादसा लोगों के लिए बेहद त्रासदीपूर्ण रहा, जिसने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया।

मिहिर शाह का विवरण

मिहिर शाह केवल कक्षा 10 तक पढ़े हैं और बाद में अपने पिता के निर्माण व्यवसाय में शामिल हो गए। वह शनिवार की रात जुहो में शराब पी रहे थे और उसके बाद उन्होंने अपने ड्राइवर राजरिशि बिडावर से लंबी ड्राइव पर जाने के लिए कहा। बाद में मिहिर खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गए, और यह भयानक हादसा हो गया।

सीसीटीवी फुटेज में मिहिर की पहचान

सीसीटीवी फुटेज में मिहिर की पहचान

सीसीटीवी फुटेज में मिहिर शाह को एक कार में बैठा देखा गया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि वह बीएमडब्ल्यू कार वही थी या नहीं। हादसे के बाद, मिहिर शाह और उनका ड्राइवर राजरिशि बिडावर कार को बनद्रा में छोड़कर फरार हो गए।

पुलिस की कार्रवाई

घटना के बाद वर्ली पुलिस ने मिहिर शाह के खिलाफ हत्या का प्रयास नहीं लेकिन जानलेवा लापरवाही, तेज रफ्तार से चलाने और मोटर व्हीकल एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। मिहिर शाह को ढूंढने के लिए पुलिस की कई टीमें सक्रिय हो गई हैं और एक लुक आउट सर्कुलर भी जारी कर दिया गया है।

वहीं, पुलिस ने मिहिर शाह के पिता राजेश शाह और उनके ड्राइवर राजरिशी बिडावर को आरोपी की मदद करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है।

समाज पर प्रभाव

समाज पर प्रभाव

यह मामला शिवसेना के नेताओं के प्रति जन मानस में संदेह और नकारात्मकता को और बढ़ा सकता है। इस प्रकार की घटनाएँ जनता के भरोसे को हिला देती हैं और प्रशासनिक कार्यवाही को कठघरे में लाकर खड़ा करती हैं।

न्याय की उम्मीद

देश की न्यायिक प्रणाली से उम्मीद है कि वह इस मामले में निष्पक्ष जांच करेगी और आरोपियों को सजा दिलाएगी। वहीं, समाज को यह सीख लेनी होगी कि कानून का पालन आवश्यक है और कानून से ऊपर कोई नहीं है।

मोहित

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5 टिप्पणि

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    Nilanjan Banerjee

    जुलाई 8, 2024 AT 17:46

    मिहिर शाह की इस घोर लापरवाही को एक निजी साजिश की आड़ में छुपाना बड़ी त्रुटि है। सामाजिक दर्पण में हम देखते हैं कि ऐसे अभिजात वर्ग के सदस्य अपनी शक्ति का दुरुपयोग कर आम जनता को मारते‑मेटते हैं। यह मामला केवल एक कार दुर्घटना नहीं, बल्कि सत्ता के अभिजात्य वर्ग की अंधाधुंध अराजकता का प्रतिनिधित्व है। जब तक ऐसे राजनेता के पुत्र को न्याय नहीं मिलता, लोकतंत्र की नींव ही कांपती रहेगी। अगली बार न्यायपालिका को इस तरह के अभिजात्य संरक्षण को तोड़ना ही पड़ेगा।

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    sri surahno

    जुलाई 8, 2024 AT 17:55

    इस घटना के पीछे एक गहरी साजिश छिपी हुई है, जिसे हम साधारण आँखों से नहीं देख सकते। प्रथम, मिहिर शाह के परिवार की सत्ता‑संबंधी संरचना यह सुनिश्चित करती है कि पुलिस कार्रवाई में देरी हो। द्वितीय, ड्राइवर को साथ लेकर भागने का संकेत है कि इस मामले में कई उच्चस्तरीय लोग सम्मिलित हैं। तृतीय, सीसीटीवी फुटेज में भी कई फ्रेम बदले गये हैं, जिससे वास्तविक चालक की पहचान अस्पष्ट बनी रही। चतुर्थ, कई गवाहों को दबाव में लाकर बयान बदलने को मजबूर किया गया, जैसा कि पिछले कई मामलों में देखा गया। पंचम, राजेश शाह के आर्थिक लेन‑देन की जाँच में कई अनियमितताएँ मिलीं, जो इस मामले से जुड़ी हो सकती हैं। षष्टम्, इस प्रकार के अभिजात वर्ग के लोगों की करियर‑रक्षा के लिए ‘लुक‑आउट सर्कुलर’ का प्रयोग अक्सर किया जाता है। सप्तम्, पुलिस की लापरवाही का कारण यह है कि उन्हें भी इस साजिश का हिस्सा बनाया गया। अष्टम्, सामाजिक वर्ग में इस तरह की घटनाओं को अक्सर ‘सिर्फ एक दुर्घटना’ करार दिया जाता है, जबकि वास्तव में वह एक नियोजित हत्या हो सकती है। नवम्, न्यायपालिका को इस संदर्भ में स्वतंत्रता की गारंटी देनी चाहिए, नहीं तो न्याय का नाम भी अधूरा रहेगा। दशम्, जनता को जागरूक होना चाहिए और ऐसी शक्तिशाली जातियों को कहाँ तक मनाने देनी चाहिए, इसका पुनः‑विचार करना चाहिए। एकादश, इस मामले में मीडिया को भी एक जिम्मेदारी उठानी चाहिए और सतही रिपोर्टिंग नहीं करनी चाहिए। द्वादश, हमारे संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत सभी को समान न्याय का अधिकार है, वह यहाँ उल्लंघित हो रहा है। त्रयोदश, इस मामले की जाँच में यदि स्वतंत्र विशेषज्ञों को शामिल किया जाये तो सच्चाई सामने आ सकती है। चतुर्दश, अंत में, यह स्पष्ट है कि इस घटना का विस्तार केवल एक व्यक्तिगत त्रुटि नहीं, बल्कि एक व्यापक प्रणालीगत ख़राबी का लक्षण है। पंचदश, इसलिए हमें इस साजिश को उजागर करने के लिए सामूहिक रूप से आवाज उठानी चाहिए।

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    Varun Kumar

    जुलाई 8, 2024 AT 18:03

    इस तरह की लापरवाही हमारे राष्ट्रीय गौरव को धुंधला कर देती है। यदि कोई झुक कर बैठेगा तो देश का भविष्य खतरे में पड़ेगा। सभी को कड़े नियमों का पालन करना चाहिए। सरकार को तुरंत सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। जनता की सुरक्षा सर्वोपरि है।

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    Madhu Murthi

    जुलाई 8, 2024 AT 18:20

    जब तक शिवसेना के अंदरूनी लोग अपने ही भ्रष्टाचार को झकास नहीं कर लेते, जनता का भरोसा कभी नहीं बनता। इस मामले में पावर‑प्लेज़ और काले धन के लेन‑देन साफ़‑साफ़ दिखते हैं। हमें इस तरह की शक्ति‑सत्ताओं को चुपचाप नहीं बर्दाश्त करना चाहिए।

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    Amrinder Kahlon

    जुलाई 8, 2024 AT 18:28

    वाह, ये तो साधारण फैकल्टी की समस्या है।

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