कोलकाता के ईडन गार्डेंस में शाम 7:30 बजे शुरू होने वाले IPL 2025 के मुकाबले ने सबका ध्यान खींचा, वजह सिर्फ फॉर्म नहीं—आसमान भी। शहर में दिनभर उमस, फिर देर शाम हल्की-फुल्की बौछारों की संभावना ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि खेल बिना रुकावट चलेगा या नहीं। स्थानीय पूर्वानुमान एजेंसियों के मुताबिक तापमान 27–30 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान था, बादल लगभग 86% तक छाए रहने की उम्मीद और नमी 60% से बढ़कर 80% तक पहुंच सकती थी। दक्षिण-दक्षिणपश्चिमी हवा करीब 15 किमी/घंटा की रफ्तार से चलने की संभावना थी, झोंके 24 किमी/घंटा तक जा सकते थे।
बारिश का स्वरूप ‘लाइट शॉवर्स’ जैसा अनुमानित था—यानी अचानक आई बौछारें, जो छोटी-छोटी देरी करा सकती हैं, लेकिन लंबे रुकावट की संभावना कम दिखी। यही वजह है कि कट-ऑफ समय तक ओवर घटाकर भी मैच कराने की संभावना मजबूत मानी गई। IPL के नियमों के हिसाब से परिणाम के लिए कम से कम 5-5 ओवर का खेल जरूरी है, और DLS पद्धति बारिश से प्रभावित स्थिति में स्कोर तय करने के लिए लागू होती है।
ईडन का आउटफील्ड तेज है और ड्रेनेज सिस्टम बेहतर। सुपर सॉपर और पूरे मैदान पर कवर की वजह से हल्की बारिश थमते ही 20–30 मिनट में खेलने की स्थिति बन सकती है। यानी बादल डराते जरूर हैं, पर मैदान की तैयारी भी उतनी ही चुस्त है।
अब बात ओस की। कोलकाता में रात के वक्त नमी तेज रहती है, जिससे दूसरी पारी में गेंद हाथ से फिसलती है और स्पिनर ग्रिप खोते हैं। फुलर लेंथ की यॉर्कर, वाइड लाइन और ऑफ-कटर जैसे हथियार भी ओस के कारण थोड़ा अनियमित हो जाते हैं। इसके उलट बल्लेबाजों को शॉट लगाने में भरोसा आता है, क्योंकि गेंद बैट पर बेहतर स्किड करती है। इसी संतुलन को देखते हुए शाम के मैचों में टॉस जीतकर गेंदबाजी लेना यहां अक्सर समझदारी मानी जाती है।
ओवरकास्ट कंडीशन नई गेंद को थोड़ा मदद देती हैं। पेसर अगर 4–6 ओवर में लेंथ और सीवन का इस्तेमाल चालाकी से करें—जैसे बैक-ऑफ-लेंथ हार्ड लेंथ, बीच-बीच में फुलर आउटस्विंग/इंस्विंग—तो शुरुआती विकेट मिलना मुश्किल नहीं। हवा की दिशा दक्षिण-दक्षिणपश्चिम होने से एक एंड पर हल्का-सा क्रॉसविंड बनेगा, जो स्विंग को सहारा दे सकता है।
ईडन गार्डेंस को T20 में बल्लेबाजों का दोस्त माना जाता है—फ्लैट सरफेस, तेज आउटफील्ड और स्क्वायर बाउंड्री अपेक्षाकृत छोटी। यही वजह है कि यहां उच्च स्कोर वाले मैच आम हैं। हाल के सीजनों का पैटर्न कहता है: लक्ष्य का पीछा करने वाली टीमों को हल्का फायदा मिला है, खासकर जब दूसरी पारी में ओस उतरती है।
पिच पर चर्चा फिर से गर्म है—क्या यह स्पिन-फ्रेंडली होगी या बैटिंग-फ्रेंडली? क्यूरेटर की तैयारी आम तौर पर बैलेंस्ड रहती है: नई गेंद पर हल्का मूवमेंट, बीच के ओवरों में बल्ले पर बॉल अच्छी तरह आती है, और डेथ में मिस-हिट भी बाउंड्री पार कर जाते हैं। अगर बारिश से सतह में नमी घुसी तो शुरुआती ओवरों में सीम मूवमेंट और टेनिस-बॉल बाउंस दिख सकता है; उसी समय पावरप्ले में 2–3 विकेट मैच का रुख पलट सकते हैं।
रणनीति सीधी है। टॉस जीता तो फील्डिंग—क्योंकि ओस दूसरी पारी में बैटिंग आसान बनाती है और DLS अनिश्चितता में लक्ष्य का पीछा सुरक्षित विकल्प माना जाता है। अगर पहले बल्लेबाजी करनी पड़ी, तो 180 के आसपास का स्कोर यहां ‘पार’ माना जा सकता है, पर बादलों और हल्की हवा के हिसाब से 170 भी डिफेंडेबल हो सकता है—शर्त बस इतनी कि पावरप्ले में विकेट मिलें और बीच के ओवरों में रन-रेट पर लगाम लगे।
टीमों की स्थिति दबाव बढ़ाती है। पिछले मैच में मुंबई से करारी हार के बाद KKR को जीत की सख्त जरूरत है—तीन में एक जीत के साथ निचले पायदान पर टिके रहना मनोबल तोड़ सकता है। दूसरी ओर, SRH की शुरुआत तेज रही, पर पिछले दो मैचों में फिसलन आई। ऐसे में दोनों ड्रेसिंग रूम में बातचीत एक ही: खराब ओवर नहीं, खराब स्पेल भी नहीं—सामने वाले को 3–4 लगातार शांत ओवर दे दिए तो खेल हाथ से निकल जाएगा।
गेंदबाजों का टूलकिट मौसम के हिसाब से बदलना होगा। अगर ओवरकास्ट बना रहा और सतह पर गीलापन रहा, तो पावरप्ले में सेकेंड स्लिप/शॉर्ट थर्ड लगाकर लेंथ को चुनौती दें। अगर ओस उतरी और सतह सूखी रहे, तो डेथ में वाइड यॉर्कर, बैक-ऑफ-द-हैंड स्लोअर और हार्ड लेंथ से लॉन्ग ऑफ/डीप कवर पर फील्ड सेट करें। स्पिनरों के लिए बेहतर रहेगा कि वे नई गेंद पर भी खुद को विकल्प रखें—दो ओवर पावरप्ले में और एक मिड-ओवर, ताकि एक तरफ रन-रेट पर ब्रेक लगे।
बैटिंग के नजरिए से पावरप्ले निर्णायक है। बादल हों तो अति सतर्कता नहीं—लूज बॉल मिले तो छोड़नी नहीं। 6 ओवर में 45–50 का मंच बनेगा तो मिडिल-ओवर्स में रिस्क-मैनेजमेंट आसान हो जाएगा। ओस में स्किड होती गेंद पर स्ट्रेट बाउंड्री और कवर-पॉइंट गैप सबसे भरोसेमंद एंगल रहते हैं।
बारिश की बीच-बीच में वापसी का एक अलग असर है—गेंद गीली/सूखी होने के चक्र में बर्ताव बदलती है। ऐसे में कप्तान से लेकर कीपर तक कम्युनिकेशन टाइट रखना होगा: ओवर-दर-ओवर फील्डना, बॉल-चेंज की अपील, और बॉलर की लेंथ पर तुरंत फीडबैक। छोटे-छोटे फैसले बड़े स्कोर रोकते हैं।
अगर बारिश से ओवर कटे तो टारगेट छोटी पारी में अचानक मुश्किल/आसान दोनों हो सकता है। 10–12 ओवर के चेज़ में एक सेट बल्लेबाज मैच खत्म कर देता है; उल्टा, नई गेंद दो विकेट ले ले तो गेम वहीं ठहर जाता है। DLS के कारण ‘एंकर’ की वैल्यू बढ़ती है—क्योंकि विकेट हाथ में हों तो रीसेट हुए टारगेट तक पहुंचना आसान होता है।
स्टेडियम जाने वालों के लिए भी प्लानिंग जरूरी है। रेनकोट रखें—अक्सर छतरी अंदर नहीं ले जाने दी जाती। बोतलें प्रतिबंधित हो सकती हैं, इसलिए पानी पीकर जाएं और स्टेडियम के अंदर रिफिल प्वाइंट्स का इस्तेमाल करें। मेट्रो/कैब का बैकअप रखें—बारिश के बाद पार्किंग से निकलना धीमा पड़ता है।
इतिहास कहता है कि ईडन बड़े मौकों पर ड्रामा देता है—और मौसम उसे थोड़ा और तीखा बना देता है। आज भी तस्वीर कुछ वैसी ही दिखती है: हल्की बारिश देरी कर सकती है, पर मैच होने की संभावना मजबूत है। ओवरकास्ट से नई गेंदबाजों को शुरुआत में मदद, और रात गहराते ही ओस बल्लेबाजी को सहूलियत देगी। ऐसे में KKR vs SRH का नतीजा टॉस, पहले 6 ओवरों की रफ्तार और बीच के ओवरों की सूझबूझ तय करेगी—जो यहां हमेशा से ‘फाइन मार्जिन’ का खेल रहा है।
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