अक्षय तृतीया, जो कि आखा तीज के नाम से भी प्रसिद्ध है, हिन्दू कैलेंडर के वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि पर मनाया जाता है। यह दिन विशेष रूप से उत्तम माना जाता है क्योंकि इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों ही अपने उच्चतम पद पर स्थित होते हैं, जिससे यह दिन जीवन में स्थायी सौभाग्य और अनुकूल परिणाम लाने के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन किए गए शुभ कार्यों को अक्षय फलदायक माना जाता है, यानी जो फल कभी नष्ट नहीं होता। इसीलिए इस दिन सोने की खरीदारी, नए व्यवसाय की शुरुआत, विवाह जैसे मांगलिक कार्य और विशेषकर दान करने की परंपरा है क्योंकि इसे धन और शुभता लाने वाला क्रिया माना जाता है।
इस दिन का महत्व सिर्फ खरीदारी या दान करने तक सीमित नहीं है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन कई पौराणिक घटनाएँ जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि इसी दिन वेद व्यास और गणेशजी ने महाभारत की रचना शुरू की थी। साथ ही, इस दिन परशुराम जी का जन्मदिन भी मनाया जाता है, जो कि भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं।
इस प्रकार, अक्षय तृतीया अपने आप में कई धार्मिक पहलूओं को समेटे हुए है और इसे धर्म की दृष्टि से भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस दिन का शुभ मुहूर्त सूर्योदय से लेकर गोधूलि वेला तक रहता है। दिन के प्रत्येक पल को शुभ माना जाता है, जिस समय किसी भी नए व्यापार या मांगलिक कार्य को प्रारंभ करना अति लाभकारी होता है। इसलिए इस दिन का उपयोग कर लोग नए वाहनों की खरीद, घर खरीदने के लिए बुकिंग और नई संपत्ति की नींव डालने जैसे काम शुरू करते हैं।
अक्षय तृतीया के दिन, सोना खरीदने की परंपरा भी काफी प्रचलित है। भारतीय संस्कृति में सोना न सिर्फ समृद्धि का प्रतीक है बल्कि यह धार्मिक और सामाजिक रूप से भी शुभ माना जाता है।
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