22 साल की अवनी लेखरा ने पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में इतिहास रचते हुए महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग SH1 इवेंट में स्वर्ण पदक जीता। उनका यह लगातार दूसरा स्वर्ण पदक है, उन्होंने इससे पहले 2021 के टोक्यो पैरालंपिक्स में भी स्वर्ण पदक जीता था। अपनी इस जीत के साथ अवनी ने नया पैरालंपिक रिकॉर्ड भी कायम किया, जिसमें उन्होंने 249.7 अंक अर्जित किए, जो उनके पिछले रिकॉर्ड 249.6 से अधिक था।
अवनी के इस प्रदर्शन ने उन्हें भारत की पहली महिला बना दिया है जिन्होंने लगातार दो पैरालंपिक स्वर्ण पदक जीते हैं। इसके अलावा, वह देवेंद्र झाझरिया के बाद दूसरी भारतीय पेरालंपियन बन गई हैं जिन्होंने यह उपल�थियां हासिल की हैं।
क्वालिफिकेशन राउंड में अवनी ने 625.8 अंकों के साथ दूसरा स्थान प्राप्त किया जबकि यूक्रेन की इरीना शिचेतनिक ने पहला स्थान प्राप्त किया। फाइनल राउंड में मुकाबला और भी रोमांचक हो गया, जहां अवनी की शुरुआत में दक्षिण कोरिया की यूनरी ली से पीछे थीं। लेकिन फाइनल राउंड में उन्होंने एक निर्णायक 10.5 अंक का शॉट मारकर स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया, जबकि ली ने 6.8 अंक प्राप्त किए।
इस स्पर्धा में भारत की एक और प्रतिभागी मोनाल अग्रवाल ने भी शानदार प्रदर्शन किया और कांस्य पदक जीता। मोनाल ने इस प्रतियोगिता में 228.7 अंक हासिल किए। यह भारत के पैरालंपिक इतिहास में पहली बार हुआ जब एक ही स्पर्धा में दो निशानेबाजों ने पदक जीते। मोनाल के लिए यह और भी खास था क्योंकि यह उनका पहला पैरालंपिक था और उन्होंने पहले ही वर्ल्ड कप में दो स्वर्ण पदक जीते हैं।
अवनी की इस सफलता का महत्व उनके व्यक्तिगत संघर्ष को देखते हुए और बढ़ जाता है। एक कार दुर्घटना में कमर के नीचे लकवाग्रस्त होने के बाद से, अवनी ने खुद को साबित किया कि मुश्किलें चाहे जितनी भी हों, मनोबल और मेहनत से सब कुछ पार किया जा सकता है। उनके लिए यह सफर आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने हर बार न सिर्फ खुद को बल्कि देश को भी गौरवांवित किया है।
पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में अवनी की स्वर्णिम सफलता ने न सिर्फ उनकी यात्रा को नई ऊँचाईयों पर पहुँचा दिया है, बल्कि भारत के पदक ओर भी निश्चित रूप से वृद्धि की उम्मीद जगाई है। इस साल भारत ने अब तक का सबसे बड़ा दल पेरिस पैरालंपिक्स के लिए भेजा है और अवनी की इस सफलता ने इस उत्साह को और भी दोगुना कर दिया है।
भारतीय पैरा शूटरों के लिए यह पैरालंपिक्स विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। अवनी की यह जीत न केवल उन्हें व्यक्तिगत तौर पर बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी प्रेरणा का स्रोत बनेगी। इससे अन्य खिलाड़ियों को भी अपने प्रदर्शन में सुधार करने और देश का नाम रोशन करने का प्रोत्साहन मिलेगा।
अवनी लेखरा की सफलता की कहानी यह साबित करती है कि दृढ़ संकल्प और अविचलित परिश्रम किसी भी बाधा को पार कर सकता है। उनकी यह कहानी न केवल खेल प्रेमियों बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है। आने वाले वर्षों में अवनी की सफलता और भी निशानेबाजों को उच्चतम स्तर पर प्रदर्शन करने के लिए प्रोत्साहित करेगी और भारत को और अधिक स्वर्णिम सफलताएं दिलाएगी।
अवनी लेखरा और मोनाल अग्रवाल की इस जीत ने भारतीय तिरंगे को एक बार फिर गर्व से लहराने का मौका दिया है। इसका श्रेय उनके कठिन परिश्रम, समर्पण और असीम आत्मविश्वास को जाता है। इस ऐतिहासिक जीत की खुशी में पूरा देश इसे मना रहा है और यह जीत भारतीय खेल इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में लिखी जाएगी।
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