दिल्ली, जो राजधानी शहर होने के नाते भारत का दिल मानी जाती है, आज घुटन भरी स्थिति से गुजर रही है। अक्टूबर के अंत तक, वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) ने दिल्ली के AQI को 31 अक्टूबर को 439 रिकॉर्ड किया, जो कि 'गंभीर' श्रेणी में आता है। यह स्थिति न केवल परेशान करती है, बल्कि दिल्लीवासियों के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालती है।
दिल्ली की संगठित आबोहवा अपने स्थानीय निवासियों के फेफड़ों, दिल और यहां तक कि उनके दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो गई है। चेस्ट विशेषज्ञ डॉक्टर अरविंद कुमार ने कहा है कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से सांस संबंधी समस्याएँ, हृदय रोग, और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं। प्रदूषित फेफड़ों के कारण कम ऑक्सीजन की आपूर्ति, असंस्कृत और लगातार बलगम की शिकायतें, खांसी और सीने में दर्द जैसी तकलीफें आम हो चुकी हैं।
इन गंभीर समस्याओं का और भी गंभीर पक्ष यह है कि यह रोग ना केवल तात्कालिक बल्कि दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकते हैं। लंबे समय तक प्रदूषित हवा के संपर्क में रहने से शरीर के विभिन्न अंगों पर स्थायी क्षति हो सकती है, जिसमें फेफड़ों की कार्यक्षमता की कमी और हृदय की धमनियों का संकुचन शामिल है।
मौसम विभाग ने दिल्ली के लिए धीमी हवा और बढ़ती आर्द्रता के कारण वायु गुणवत्ता के और बदतर होने की भविष्यवाणी की है। आंत्रिम मौसम पूर्वानुमान के अनुसार, अगले कुछ दिनों में आंशिक रूप से बादल आसमान के साथ धुंध और धुआं छाए रहने की संभावना है। तापमान 28 डिग्री सेल्सियस अधिकतम और 18 डिग्री सेल्सियस न्यूनतम रहने की भविष्यवाणी है। धीमी हवा और मौसम की अन्य स्थितियों का मेल प्रदूषण को दोनों स्थापित करता है और तेज करता है, जिससे लोगों को सांस लेने में और कठिनाई हो सकती है।
दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) का कार्यान्वयन और निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध शामिल है। सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह समस्या के केवल ऊपरी स्तर तक सीमित है। हमें समस्या की जड़ यानी वाहनों से होने वाला उत्सर्जन और औद्योगिक गतिविधियों की ओर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है। निजी वाहनों की संख्या में कमी लाना, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना और औद्योगिक कार्यों में स्वच्छ प्रौद्योगिकी का उपयोग अनिवार्य करना अनिवार्य है।
दिल्ली की वायु प्रदूषण समस्या कोई नई नहीं है, लेकिन अब यह जीवनधारीन परिवेश की दिशा में बढ़ती नजर आ रही है। इस संकट से निजात पाने के लिए सभी को अपने हिस्से का योगदान देना होगा, चाहें वह सरकार हो, उद्योग हो, या नागरिक। स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए यह समय है कि हम ठोस कदम उठाएं और खाली वादों के बजाए ठोस कार्यक्रम बनाएँ। सही उपायों और उनके सही कार्यान्वयन से न केवल दिल्ली की वायु गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।
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