भारतीय महिला पहलवान निशा दहिया के लिए पेरिस ओलंपिक 2024 का सफर एक दुखद मोड़ पर आकर रुक गया जब उन्होंने अपने क्वार्टरफाइनल मैच में गंभीर चोट खाई। महिला 68 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती वर्ग में निशा दहिया अपने प्रतिद्वंद्वी नॉर्थ कोरिया की पाक सोल गुम के खिलाफ 8-1 की बढ़त के साथ अच्छी शुरुआत कर चुकी थीं। लेकिन मैच के अंतिम 90 सेकंडों में निशा को गंभीर चोट लग गई। उनकी दाहिनी हाथ में इतनी गंभीर चोट आई कि वह पूरी तरह से निष्क्रिय हो गई। यह चोट न केवल उनकी शारीरिक क्षमता पर भारी पड़ी, बल्कि उन्होंने इस चोट के बाद अपने विरोधी से 10-8 की हार का सामना किया।
जब निशा को चोट लगी, तो उन्होंने तुरंत मेडिकल ब्रेक लिया। इस दौरान वह साफ तौर पर बेहद दर्द में थी और यह किसी को भी दिख रहा था। इस मेडिकल ब्रेक के बाद भी उनके दर्द में कोई कमी नहीं आई और वह मैच में अपनी पकड़ नहीं बना सकीं। चोट के कारण आखिरी मिनटों में उनके हाथ में ताकत नहीं रह गई और इसका फायदा उठाते हुए पाक सोल गुम ने नौ लगातार अंक बनाए। इस नाटकीय पलटे ने निशा की उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया, जिससे वह अंततः हार गईं।
चोट के बाद निशा की स्थिति काफी गंभीर हो गई और उन्होंने देखा कि आगे की प्रतिस्पर्धा में शामिल होने की उनकी संभावना धुंधली हो गई। मैच के बाद निशा को संभालना बेहद कठिन था, वह बुरी तरह से टूटती हुई दिखीं। उनकी गंभीर शारीरिक स्थिति ने उनकी भागीदारी को बहुत अनिश्चित बना दिया है।
इससे पहले दिन में, निशा ने अपने ओलंपिक अभियान की शुरुआत शानदार तरीके से की थी। उन्होंने अपनी पहली बउट में यूक्रेन की सोवा रिजखो को 6-4 से हराया था। इस मैच में निशा ने अपनी प्रतिभा और आत्मविश्वास का प्रदर्शन किया था और एक मजबूत प्रतियोगी के रूप में उभरी थीं। उनके इस प्रदर्शन ने उन्हें क्वार्टरफाइनल में पहुंचाया था, जहां दुर्भाग्यवश उनका सफर चोट के कारण थम गया।
निशा दहिया एशियन चैंपियनशिप्स में रजत पदक जीत चुकी हैं और उनके खेल में सुधार और निष्ठा साफ देखने को मिली थी। उन्होंने पेरिस ओलंपिक में अपने नाम की शुरुआत बहुत अच्छे से की थी। उनकी शुरुआती जीत ने उनके समर्थकों और प्रशंसकों को खुशी दी थी, लेकिन उनका क्वार्टरफाइनल प्रदर्शन चोट के कारण दर्द भरा रहा।
अब निशा की पुनर्प्रतियोगिता के बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं है। उनकी चोट की गंभीरता को देखकर यह कहना मुश्किल है कि वह फिर से प्रतिस्पर्धा करने की स्थिति में होंगी। फिलहाल, डॉक्टरों की टीम उनकी हालत पर नजर रख रही है और अगले कुछ दिनों में ही उनकी वापसी के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी मिल सकेगी।
निशा की इस दर्दनाक हार ने यह दर्शा दिया कि उच्च स्तर की प्रतियोगिताओं में चोटें भी एक बड़ी चुनौती होती हैं। उनके स्किल्स और संघर्ष भावना ने निश्चित रूप से उन्हें एक मज़बूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है, लेकिन उनका ओलंपिक सपना फिलहाल धूमिल होता नजर आ रहा है।
निशा दहिया के समर्थकों को अभी भी उम्मीद है कि वह अपनी इस चोट से उभरकर एक बार फिर से मैट पर वापसी करेंगी। उनकी मेहनत, निष्ठा और प्रतिभा ने उन्हें भारतीय कुश्ती में एक प्रमुख स्थान दिलाया है। निशा की कहानी न केवल भारतीय कुश्ती के इतिहास में, बल्कि दुनिया भर के उन एथलीटों के लिए भी प्रेरणा बनेगी जो अपने कठिनाइयों का सामना करके आगे बढ़ते हैं।
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