4 दिसंबर 2024 की शाम को, पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल पर अमृतसर के पवित्र स्थल गोल्डन टेम्पल के बाहर गोलीबारी की घटना ने पूरे राज्य में हड़कंप मचा दिया। यह घटना उस समय घटी जब बादल वहां पर अकाल तख्त द्वारा दिए गए धार्मिक दंड के तहत आत्मस्वीकृति कर रहे थे। इस दंड का कारण 2007 से 2017 के दौरान एसएडी सरकार द्वारा हुए कथित अत्यचार थे। यह धार्मिक दंड अकाल तख्त ने 2 दिसंबर को सुनाया था और इसका उद्देश्य उन घटनाओं के लिए प्रायश्चित करना था जो उस दौरान घटी थीं।
इस घटना के आरोपी नारायण सिंह चौरा, एक 68 वर्षीय पूर्व आतंकवादी और कुख्यात अपराधी थे। चौरा ने 1984 में पाकिस्तान की ओर रुख किया था और वह तब से पंजाब में हथियार और विस्फोटकों को तस्करी करने में सक्रिय था। चौरा के खिलाफ कई आतंकवादी मामलों में वारंट जारी किए गए थे, जिनमें 2004 के चंडीगढ़ के बुरैल जेलब्रेक का मामला भी शामिल है। चौरा ने बादल को निशाना बनाकर गोली चलाई, लेकिन एक सतर्क स्वयंसेवक के कारण उनका निशाना चूक गया और गोली दीवार पर जा लगी।
बादल, जो कि पैर में हल्की चोट के कारण व्हीलचेयर पर थे, इस घटना में कोई हानि नहीं पहुंची।
घटना पर राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रियाएं बहुत तीव्र थीं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस कार्रवाई की तीव्र निंदा की और इसे न केवल एक व्यक्ति पर हमला बताया बल्कि समूचे लोकतांत्रिक ढांचे पर आघात के रूप में देखा। विपक्ष के कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी घटना की निंदा करते हुए कहा कि इस प्रकार की हिंसा समाज के लोकतांत्रिक मूल्यों और सांस्कृतिक सद्भाव को कमजोर करती है। उन्होंने राजनीतिक नेताओं के बीच जिम्मेदार बातचीत और सावधानियों की आवश्यकता पर जोर दिया।
यह धार्मिक प्रायश्चित दंड 2 दिसंबर को सिख उच्च पादरी द्वारा शिरोमणि अकाली दल के नेताओं पर सुनाया गया था, जिसका कारण था धार्मिक अपमान और विवादास्पद डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दी गई क्षमा। सुखबीर बादल और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखदेव सिंह ढींडसा, दोनों इस प्रायश्चित के लिए गोल्डन टेम्पल पहुंचे। उन्होंने अपने गले में तख्तियों के साथ, जिन पर अपनी गलतियों को स्वीकारा था, सेवा में भाग लिया।
यह घटना न केवल राजनीतिक जगत में हड़कंप मचाने के लिए काफी थी, बल्कि इसे धार्मिक समुदायों के बीच भी गंभीरता से लिया गया। पवित्र स्थल पर हुई यह घटना सिख धर्म के अनुयायियों के बीच सुरक्षा को लेकर चिंताएं उत्पन्न करती है। जागरूकता और सतर्कता की आवश्यकता पर जोर देते हुए, राजनीतिक और धार्मिक नेताओं ने इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए पूर्णतया सुरक्षा व्यवस्था को सुधारने की मांग की।
नतीजन, गोल्डन टेम्पल के आसपास की सुरक्षा को मजबूत किया गया और घटना की जांच के लिए एक विशेष टीम गठित की गई।
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