भारतीय क्रिकेट टीम के उभरते तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज ने तेलंगाना के डीएसपी (डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस) के रूप में अपना पद ग्रहण किया है। यह नियुक्ति सिराज के लिए एक महत्वपूर्ण समय है, जो उनके क्रिकेट करियर के बाद एक नई शुरुआत की प्रतीक है। तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी द्वारा जुलाई में इस नियुक्ति की घोषणा की गई थी, जिससे सिराज को पुलिस सेवा में शामिल किया गया।
दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना के डीजीपी ऑफिस में सिराज ने डीएसपी का कार्यभार संभाला, जहां उन्हें डीजीपी जितेंद्र और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ देखा गया। इस मौके पर, सिराज के क्रिकेट करियर की सराहना की गई और उन्हें राज्य के लिए गौरव बढ़ाने वाले खिलाड़ी के रूप में सम्मानित किया गया।
यह कदम तब उठाया गया, जब भारत ने बारबाडोस में टी20 वर्ल्ड कप जीता और उसके बाद से सिराज का करियर और भी गति पकड़ता गया। इस शानदार प्रदर्शन के तत्काल पश्चात तेलंगाना सरकार ने उन्हें एक आवासीय प्लॉट और सरकारी नौकरी की पेशकश की थी, और अब सिराज डीएसपी के रूप में शुरू कर चुके हैं। उनके क्रिकेट कौशल और भारत के लिए दिए गए योगदान को मान्यता देते हुए, राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया।
सामान्यतः डीएसपी जैसे प्रतिष्ठित पद के लिए उच्च शिक्षा की आवश्यकता होती है। लेकिन सिराज की अभूतपूर्व खेल उपलब्धियों को देखते हुए तेलंगाना कैबिनेट ने उन्हें विशेष छूट प्रदान की। मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने विधान सभा में इस फैसले पर विस्तृत चर्चा की। सिराज ने इण्टरमीडिएट (12वीं कक्षा) पास की है, लेकिन उनकी खेल में उत्कृष्टता ने उन्हें यह सुविधा दिला दी।
मोहम्मद सिराज ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत नवंबर 2017 में न्यूजीलैंड के खिलाफ की थी। तब से, उन्होंने 163 विकेट्स के साथ 89 अंतरराष्ट्रीय मैचों में खेलते हुए भारतीय क्रिकेट टीम के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने आखिरी बार बांग्लादेश के खिलाफ खेले गए दो मैचों की टेस्ट श्रृंखला में टीम इण्डिया को 2-0 से जीत दिलाई थी, जहां सिराज ने चार विकेट हासिल किए।
यह नियुक्ति सिराज के योगदान के प्रति सरकार द्वारा एक मान्यता है, जिसमें उनके असाधारण कौशल और मेहनत के लिए उन्हें प्रतिष्ठित पुलिस बल में शामिल किया गया है। यह कदम यह भी दर्शाता है कि राज्य सरकार उन खिलाड़ियों को सम्मानित और सशक्त करती है जिन्होंने राज्य एवं देश के लिए गर्व का विषय बने।
तेलंगाना का यह निर्णय अन्य राज्यों के लिए भी एक मिसाल कायम कर सकता है, जिसमें खेल और प्रशासन के बीच एक सामंजस्य रखा जा सकता है, जिससे युवा खिलाड़ियों को प्रेरणा मिल सकती है।
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