किसी ने शायद कभी नहीं सोचा होगा कि दिल्ली के धीरज कोचर, जिनका बचपन साधारण परिवार में बीता, एक दिन धीरज कुमार के नाम से फिल्म इंडस्ट्री में अपनी छाप छोड़ेंगे। 1 अक्टूबर 1944 को जन्मे धीरज ने 1960 के दशक में एक टैलेंट शो से अपना सफर शुरू किया। वहां उनके साथ सिनेमा की दो और बड़ी शख्सियतें, सुभाष घई और राजेश खन्ना भी थीं। यह शुरुआती दौर ही आगे चलकर उनकी चमकदार एक्टिंग और प्रोडक्शन की दुनिया में पहली सीढ़ी बना।
धीरज कुमार ने हिंदी और पंजाबी दोनों फिल्मों में अपनी पहचान बनाई। 'रोटी कपड़ा और मकान', 'स्वामी', 'सरगम' जैसी हिट फिल्मों में वे नजर आए और अपने अभिनय से दर्शकों के दिलों में जगह बनाई। एक्टिंग के बाद उन्होंने प्रोड्यूसर और डायरेक्टर के रूप में भी खुद को साबित किया। 1986 में उन्होंने 'क्रिएटिव आई लिमिटेड' नाम की प्रोडक्शन कंपनी शुरू की, जो टीवी की दुनिया में धमाकेदार कामयाबी का कारण बनी। छोटे परदे के लिए ढेरों शो बनाए, नए कलाकारों को मौके दिए और कई लोगों के मेंटर बनाए।
15 जुलाई 2025 को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में सांस की गंभीर समस्या के चलते उन्हें भर्ती कराया गया। हालत बिगड़ने पर वेंटिलेटर सपोर्ट पर भी रखा गया, लेकिन आखिरकार कार्डियक अरेस्ट के सामने वह हार गए। परिवार और दोस्त, सब निराश हो गए। अंतिम संस्कार पवन हंस श्मशान घाट पर किया गया, जहां टीवी और फिल्म इंडस्ट्री के कई नामचीन चेहरे पहुंचे थे। 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' के प्रोड्यूसर असित कुमार मोदी, अभिनेता रज़ा मुराद, दीपक पराशर, सुरेंद्र पाल उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे और उनके परिवार को ढाढ़स बंधाया।
उनकी कंपनी क्रिएटिव आई लिमिटेड ने उन्हें सिर्फ अनुभवी निर्माता ही नहीं, बल्कि एक जेंटल सोल, एक फादर फिगर भी बताया। वे नए कलाकारों के लिए प्रेरणा थे और इंडस्ट्री के हर सेक्टर में अपनी पकड़ रखते थे। उनके जाने पर परिवार ने निजी शांति की अपील की है, जबकि उनके चाहने वालों और साथियों ने उनके लिए सोशल मीडिया और निजी तौर पर श्रद्धांजलि दी।
उनका जाना भारतीय मनोरंजन जगत के लिए ऐसी कमी है, जिसे शब्दों में समेटना मुश्किल है। अपने दुनियावी सफर के आखिरी वक्त तक धीरज कुमार एक्टिंग, डायरेक्शन और प्रोड्यूसिंग की दुनिया में सक्रिय रहे। आज उन्हें फिल्मों और टीवी, दोनों के दर्शक अपने-अपने ढंग से याद कर रहे हैं।
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