किंग्समीड स्टेडियम, डरबन में संजू सैमसन ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टी20I मैच में इतिहास रचते हुए भारत को जीत की राह दिखाई। उन्हें बल्लेबाजी के लिए बुलाए जाने पर, सैमसन ने मैदान पर तबाही मचाते हुए केवल 50 गेंदों में 107 रन की धमाकेदार पारी खेली। उनकी इस तेज-तर्रार पारी में 10 गगनचुंबी छक्के और 7 चौके शामिल थे, जिससे भारतीय टीम ने 202/8 का विशाल स्कोर खड़ा किया। यह पारी केवल उनके करियर का ही महत्वपूर्ण पड़ाव नहीं थी, बल्कि उन्होंने लगातार दो टी20I शतक लगाने वाले पहले भारतीय क्रिकेटर बनने का गौरव भी प्राप्त किया, जिसका पहला शतक उन्होंने पिछले माह बांग्लादेश के खिलाफ जमाया था।
संजू सैमसन की यह पारी उनकी आक्रामक बल्लेबाजी का शानदार उदाहरण थी, जिसमें हर शूट पर उनके की लाजवाब तकनीक और आत्मविश्वास का परिचय मिला। इस मैच में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सबसे तेज T20I शतक का रिकॉर्ड बनाया, जो पहले सूर्यकुमार यादव के नाम था। यादव ने इस पारी में 21 रनों का अच्छा योगदान दिया, लेकिन यह सैमसन का दिन था। उनकी पारी का बड़ा हिस्सा तब बना जब उन्होंने टिककर सांगति जमी और यadav तथा तिलक वर्मा के साथ ताबड़तोड़ साझेदारी की।
हालांकि भारतीय पारी के मुख्य आकर्षण संजू थे, परंतु भारतीय गेंदबाजों ने भी अपनी काबिलियत साबित की। स्पिन जोड़ी, वरुण चक्रवर्ती और रवि बिश्नोई ने मैच में विपक्षी टीम को 141 रनों पर समेटने में अहम भूमिका निभाई। चक्रवर्ती ने 3/25 और बिश्नोई ने 3/28 का शानदार आंकड़ा दर्ज किया, जिससे दक्षिण अफ्रीका लगातार दबाव में रहा और मैच हार गया। चक्रवर्ती की विविधता और बिश्नोई की तेज स्पिन ने दक्षिण अफ्रीकी बल्लेबाजों को परेशान कर दिया और वे अच्छे से अपनी पारी को संभाल नहीं पाए।
दूसरी ओर, गेराल्ड कोएटज ने तीन विकेट लेकर मेज़बान टीम के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, लेकिन उनका प्रयास दक्षिण अफ्रीका को जीत दिलाने में नाकाम रहा। कोएटज की गेंदबाजी में स्पष्ट था कि वह भारतीय बल्लेबाजों को अपनी चपेट में लेना चाहते थे, और अपने असाधारण फील्ड प्लेसमेंट और किफायती गेंदबाजी की बदौलत उन्होंने ज्यादा रन नहीं बनने दिए, फिर भी सैमसन की धमाकेदार पारी ने मैच का रुख मोड़ दिया।
यह जीत भारत के लिए चार मैचों की T20I श्रृंखला में एक मजबूत शुरुआत थी। संजू सैमसन की इस ऐतिहासिक सदी ने टीम के मानसिक उत्साह को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। इस मैच से पता चलता है कि भारतीय क्रिकेट टीम न केवल व्यक्तिगत प्रतिभा पर विश्वास करती है बल्कि टीम वर्क के साथ मैदान पर अपनी छाप छोड़ने की क्षमता भी रखती है। इस श्रृंखला की आगे की चुनौती भारतीय टीम के लिए खासकर सैमसन जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों के लिए स्वर्णिम अवसर साबित हो सकती है।
संजू सैमसन की अद्वितीय पारी आने वाले मैचों के लिए एक आदर्श मानक निर्धारित कर गई है। यह भारतीय क्रिकेट के फैन बेस के लिए खासा उत्साह भरता है। टीम के अन्य खिलाड़ियों की अपेक्षाएं भी बढ़ गई हैं, सौभाग्यवश हर खिलाड़ी ने इस मैच में अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और यही एक सफल टीम की पहचान होती है। ऐसे अवसर भारतीय क्रिकेट को नई दिशा देते हैं और टीम की एकजुटता को और मजबूत बनाते हैं।
कुल मिलाकर देखा जाए तो सैमसन की यह पारी और भारत की टीम का प्रदर्शन क्रिकेट प्रेमियों के लिए एक दावत की तरह था, जिसमें देखा गया कि कैसे एक खिलाड़ी की ताकत पूरी टीम की शक्ति बन जाती है। अब देखने की बात है कि अगले मैचों में यह जलवा कायम रहता है या नहीं। ईश्वर करे, नई ऊचाइंयों को छूने का सिलसिला यूं ही चलता रहे।
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