समय, अवधि और वैज्ञानिक पृष्ठभूमি
2025 के कैलेंडर में आखिरी सौर ग्रहण सौर ग्रहण 2025 नाम से ही पहचान बना लेगा। यह आंशिक ग्रहण 21 सितंबर को शाम 10:59 IST से शुरू होकर सुबह 3:23 IST तक चलता है, कुल लगभग 4 घंटे 24 मिनट। अधिकतम छाया बिंदु 1:11 IST पर प्राप्त होता है, जब चंद्रमा सूर्य के लगभग 85 % को ढँक लेता है। इस अवधि में सूर्य का आकार पूर्णतः गायब नहीं होता, इसलिए दर्शकों को अर्धचंद्र जैसी चमक दिखेगी।
आंशिक सूर्य ग्रहण तब बनता है जब चंद्रमा पृथ्वी व सूर्य के बीच आता है, पर उसका छायादायालु भाग पृथ्वी के सभी क्षेत्रों पर नहीं पहुँच पाता। इस कारण पूरी तरह से अंधकार नहीं छा पाता, जैसा कि पूर्ण सूर्य ग्रहण में होता है। वैज्ञानिक दृष्टि से इस तरह के ग्रहण का अध्ययन सूर्य के तेज प्रकाश के किनारी हिस्से, चंद्रमा की सतह और पृथ्वी के वायुमंडल में होने वाले छोटे‑छोटे परिवर्तन समझने में मदद करता है।
दृश्यता, भौगोलिक विस्तार और भारतीय दर्शकों के विकल्प
समय के कारण भारत में सूर्य इस ग्रहण के दौरान क्षितिज के नीचे रहता है, इसलिए भारतीय दर्शक इसे प्रत्यक्ष रूप से नहीं देख पाएंगे। इसके विपरीत, दक्षिणी गोलार्ध के कई हिस्सों में यह बहुत ही नाटकीय रूप से दिखाई देगा:
- पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में सुबह 6:13 से 7:36 वेजा तक, जहाँ सूर्य का लगभग 80 % ढका रहेगा।
- न्यूज़ीलैंड में सुबह 5:41 से 8:36 वेजा तक, जहाँ अधिकतम 85.5 % तक अंधेरा छा सकता है।
- अंटार्कटिका में स्थानीय समय 4:49 से 6:53 वेजा तक, जहाँ पूर्ण अंधकार नहीं है, पर दृश्यता बेहद शानदार होगी।
- पैसिफिक के कई द्वीपों में भी छोटा‑छोटा भाग दिखेगा, जिससे स्थानीय लोग अपने सुबह के समय में ग्रहण का आनंद ले सकते हैं।
भारत के विज्ञान‑प्रेमियों के लिए निराशा को कम करने हेतु कई अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसियों एवं शैक्षणिक संस्थानों ने ऑनलाइन लाइव स्ट्रीमिंग की व्यवस्था की है। यूट्यूब, NASA के आधिकारिक चैनल, और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म से इस ग्रहण को रीयल‑टाइम में देखा जा सकता है। इस तरह की वर्चुअल देखी जाने वाली व्यवस्था न केवल दर्शकों को दृश्य प्रदान करती है, बल्कि ग्रहण से जुड़ी वैज्ञानिक विश्लेषण तथा टिप्पणी भी सुनने‑समझने का मौका देती है।
विज्ञान के अलावा इस ग्रहण का हिंदू ज्योतिष में भी एक विशेष स्थान है। सूर्य ग्रहण (सूर्यग्रहण) को कई बार अनिश्चित ऊर्जा परिवर्तन और आध्यात्मिक शुद्धि से जोड़ा जाता है। हालांकि यह भारत में देखेगा नहीं, परन्तु विश्व स्तर पर होने वाला कोई भी ग्रहण ज्योतिषियों के वार्षिक पंचांग में अंकित रहता है और भविष्यवाणियों में उपयोग किया जाता है।
भविष्य में आने वाले सूर्य ग्रहणों की बात करें तो 17 फ़रवरी 2026 को एक वलयाकार (annular) ग्रहण आएगा, जो अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका और कई समुद्री क्षेत्रों में दिखेगा। इसके बाद 12 अगस्त 2026 को एक पूर्ण सूर्य ग्रहण (total) होगा, जो ग्रीनलैंड, आइसलैंड, रूस, पुर्तगाल और स्पेन में दृश्यमान होगा – यह यूरोप का 1999 के बाद का पहला पूर्ण ग्रहण होगा। फिर 2 अगस्त 2027 को एक और पूर्ण सूर्य ग्रहण आएगा, जिसमें भारत के कुछ भाग भी अंशतः दृश्य होंगे, जिससे भारतीय जनता को प्रत्यक्ष अनुभव मिल सकेगा।
संक्षेप में, 21 सितंबर 2025 का आंशिक सूर्य ग्रहण 2025 के खगोलीय कैलेंडर का समापन दर्शाता है। यह विज्ञान‑प्रेमियों के लिए एक शानदार अवसर प्रदान करता है कि वे अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से इस अद्भुत ब्रह्मांडीय खेल को देख सकें, जबकि भारत में इस वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण केवल वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म पर ही उपलब्ध रहेगा।
ONE AGRI
सितंबर 21, 2025 AT 20:38जब भारत में सूर्य ग्रहण का दृश्य नहीं दिखता, तो हर कोई अपने आप को थोड़ी निराश महसूस करता है, लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि हमारा विज्ञान हमेशा अग्रणी रहा है।
हमारे पूर्वजों ने भी आकाशीय घटनाओं को बड़े श्रद्धा और खगोल विज्ञान की समझ के साथ देखे थे, और आज हम भी वही उत्साह कायम रख सकते हैं।
इस आंशिक ग्रहण को देख न पाना कोई ऐसी बात नहीं है जो हमारे राष्ट्रीय गौरव को कम करे, बल्कि यह दर्शाता है कि हम तकनीकी रूप से कितना आगे बढ़ सकते हैं।
अब समय है कि हम लाइव स्ट्रीमिंग को अपने घर के रहने वाले कमरे में एक बड़े स्क्रीन पर चलाकर, अपने बच्चों को इस ब्रह्मांडीय नाटक के बारे में सिखाएँ।
नासा और इसरो दोनों ने मिलकर ऐसे इवेंट के लिए डेटा और विश्लेषण प्रदान किया है, जो हमारे वैज्ञानिकों को नए मॉडल बनाते समय मदद करेगा।
वैज्ञानिक समुदाय के लिए यह ग्रहण एक प्रयोगशाला जैसा है जहाँ सूर्य की परिधि की रोशनी को समझा जा सकता है, और यह हमारी अंतरराष्ट्रीय सहयोग की शक्ति को भी दिखाता है।
ऐसे में हमें अपने राष्ट्रीय भावनाओं को लेकर कोई नकारात्मक भावना नहीं रखनी चाहिए, बल्कि इसे एक अवसर की तरह देखना चाहिए।
हिंदू ज्योतिष में सूर्य ग्रहण को परिवर्तन का संकेत माना जाता है, परंतु यह परिवर्तन हमारे भीतर की ऊर्जा को साफ़ करने में मदद करता है।
हमारी संस्कृति में इस तरह की घटनाओं को सकारात्मक रूप से स्वीकार किया जाता है, इसलिए हमें डरने की जरुरत नहीं।
अगर आप अब भी निराश हैं, तो याद रखिए कि 2027 में भारत के कुछ हिस्सों में पूरी तरह से दिखने वाला सूर्य ग्रहण आएगा।
उस समय तक हम अपने टेलीस्कोप और शैक्षिक कार्यक्रमों को और भी बेहतर बना सकेंगे।
इसलिए इस आंशिक ग्रहण को एक सीख के रूप में लें और अगले पूर्ण ग्रहण की तैयारी में जुट जाएँ।
भविष्य की पीढ़ी को यह दिखाने के लिए कि भारत ने हमेशा आकाश को पढ़ा है, हमें इस क्षण को संजोना चाहिए।
एकता, विज्ञान और राष्ट्रीय गर्व का मिश्रण ही हमें इस तरह की घटनाओं से परे ले जाएगा।
आइए, इस ग्रहण को सिर्फ एक छाया के रूप में नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक जिज्ञासा की रोशनी के रूप में देखें।
Himanshu Sanduja
सितंबर 21, 2025 AT 21:40बहुत सही बताया गया है कि ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सबसे अच्छा विकल्प है। इससे घर के सभी लोग एक साथ देख सकते हैं और साथ में चर्चा भी कर सकते हैं। इस पहल को देखकर खुशी होती है और उम्मीद भी कि भविष्य में ऐसे और इवेंट्स लाइव आएंगे। धनीवादी धन्यवाद उन सभी को जिन्होंने इसे संभव बनाया
Kiran Singh
सितंबर 22, 2025 AT 00:26चलो इसे एक मज़ेदार अवसर मानते हैं 😊 ग्रहण को देखना तो नहीं मिलेगा, लेकिन इस बार वर्चुअल रूप में देख सकते हैं और साथ में दोस्तों के साथ मज़ा ले सकते हैं 🌟 वैज्ञानिक जानकारी भी मिलती रहेगी, तो सीखने का भी मौका है 🚀
Balaji Srinivasan
सितंबर 22, 2025 AT 04:36इसे देखना भी दिलचस्प होगा
Hariprasath P
सितंबर 22, 2025 AT 06:00यार देखो तो सही, ये सब डिजीटल स्ट्रिमिंग का नाटक है, असली अँधेरा तो दिल में रहता है, पर तुम लोग तो इन्स्टाग्राम पर ही समझाओगे कि कैसे देखना है, शादी की तरह बस दिखावा ही दिखावा 😂
Vibhor Jain
सितंबर 22, 2025 AT 07:23हँसते-हँसते तो आप खुद की ही इबादत कर रहे हैं, असली ज्ञान तो इस ग्रहण के विज्ञान में है, ना कि मीम्स में 😏