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Shab-e-Barat 2025: तारीख, इतिहास, महत्व और समारोह

शब-ए-बरात 2025: महत्व और इतिहास

शब-ए-बरात, जिसे 'माफी की रात' के नाम से प्रसिद्ध है, आगामी 13 फरवरी की रात से शुरू होकर 14 फरवरी की सुबह तक मनाई जाएगी। इस्लामिक पंचांग के आठवें महीने शा'बान की 15वीं रात को यह पर्व मनाया जाता है और इसे मनााने का मुख्य उद्देश्य अल्लाह से माफी और रहम की अरज़ करना होता है। इस रात को पवित्र इस्लामिक इतिहास से जोड़कर देखा जाता है।

बरात की रात का महत्व तब बढ़ जाता है जब हदीस के अनुसार, अल्लाह इस रात को अपने बंदों के गुनाह माफ़ करते हैं, सिवाय उनके जो किसी तरह की दुश्मनी या शिर्क करते हैं। शिया मुसलमान इस पर्व को इमाम महदी की पैदाइश से जोड़ते हैं, जबकि सुन्नियों के लिए यह नूह की कश्ती के बचने की यादगार है।

मान्यता और रीति-रिवाज़

शब-ए-बरात के दौरान विशेष प्रार्थनाएं की जाती हैं, जिनमें नवाफिल की 6 रकात नमाज़ और दुआ-ए-निस्फ़ शा'बान शामिल होते हैं। मगरीब के बाद यह इबादतें विशेष रूप से की जाती हैं। साथ ही, लोग अपने प्रियजनों की कब्रों पर जाकर उनके लिए दुआ करते हैं और उनकी कब्र को सजाते हैं।

इस मौके पर दान-पुण्य का भी बहुत महत्व है। लोग खाना वितरित करते हैं और गरीबी में जी रहे लोगों को दान देते हैं। कुछ क्षेत्रों में यह पर्व आतिशबाज़ी और मिठाइयों के वितरण के साथ सांस्कृतिक रूप से भी मनाया जाता है, हालांकि ये धार्मिक रूप से अनिवार्य नहीं हैं।

दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और अमेरिका में यह पर्व मस्जिदों में इकट्ठा होकर और परिवार के साथ समय बिताकर मनाया जाता है। यह देखा गया है कि जब यह पर्व विभिन्न जगहों पर मनाया तो वहां का चंद्रमा दिखने के मुताबिक इसकी तारीख में परिवर्तन होता है।

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