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छठ पूजा 2025: पटना के महिंदरु, कलेक्टर, अदालती घाटों में करोड़ों भक्त

जब छठ पूजा 2025पटना के महिंदरु, कलेक्टर और अदालती घाटों पर दो लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने सूर्य देव को अर्घ्य दिया, तो वहीँ गया के फ़ाल्गु नदी के किनारे स्थित विख्यात BookMyPoojaOnline.com ने ऑनलाइन बुकिंग के नए विकल्प पेश किए। इस चार‑दिनीय महोत्सव में पहला दिन नाहाय‑खाय से शुरू होता है, फिर खरना, संध्या अर्घ्य और अंत में उषा अर्घ्य होता है।

छठ पूजा का इतिहास और धार्मिक महत्व

छठ पूजा का जड़ Vedic काल में मिलता है, जब सूर्य पूजा को ‘सूर्य-उपवास’ कहा जाता था। बिहार, मिथिला और नेपाल के कई हिस्सों में यह प्रवासियों की परम्परा बन गई। सूर्य देव की अर्घ्य‑समर्पण से शरीर का डिटॉक्सिफिकेशन और मन‑शरीर का संतुलन माना जाता है। इस परम्परा को ‘चर्यात्मक धर्म’ कहा जाता है, जहाँ शुद्ध खाद्य‑पदार्थ, जल‑शुद्धि और सूरज के प्रति कृतज्ञता के साथ ऊर्जा का संचार होता है।

2025 के प्रमुख घाट: पटना और गया के मुख्य स्थल

पैदल और वाहन भीड़ के बीच सबसे अधिक भीड़भाड़ वाला घाट महिंदरु घाट है। यहाँ पर सुबह के उषा अर्घ्य और संध्या अर्घ्य दोनों की व्यवस्था होती है। इसके बाद कलेक्टर घाट और अदालती घाट आते हैं, जहाँ स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के लिए अतिरिक्त बंकर और जल‑नलिका स्थापित की है।

गया में फ़ाल्गु नदी के किनारे स्थित विष्णुपाद मंदिर के घाट खासे प्रख्यात हैं; यहाँ पर लगभग 60,000 भक्त संध्या अर्घ्य के लिए इकट्ठा होते हैं। इन घाटों में से कुछ का इतिहास 19वीं सदी से जुड़ा है, जब स्थानीय राजाओं ने इनकी सफ़ाई और विस्तार किया था।

  • महिंदरु घाट (पटना) – 2.5 लाख+ श्रद्धालु
  • कलेक्टर घाट (पटना) – 1.8 लाख+ श्रद्धालु
  • अदालती घाट (पटना) – 1.6 लाख+ श्रद्धालु
  • विष्णुपाद मंदिर घाट (गया) – 0.6 लाख+ श्रद्धालु
  • अतिरिक्त (दिल्ली, कोलकाता, जमशेदपुर) – राष्ट्रीय स्तर पर कवरेज

रिवाज़ और चार दिनों का क्रम

पहला दिन, 25 अक्टूबर को, नाहाय‑खाय के नाम से जाना जाता है। परिवार अपने घरों को साफ‑सुथरा करते हैं, गंदे रास्ते धोते हैं, और सत्तविक लौकी‑भात तैयार करते हैं। दूसरा दिन, 26 अक्टूबर को, खरना में व्रत‑रहा भक्त दो‑तीन घूंट जल लेकर इकट्ठा होते हैं। तीसरे दिन, यानी 27 अक्टूबर को, संध्या अर्घ्य में सूरज के अस्त होते ही पानी में खड़े होकर अर्घ्य दिया जाता है। चौथा और अंतिम दिन, 28 अक्टूबर, उषा अर्घ्य में सूर्योदय के साथ अर्घ्य समाप्त होता है, उसके बाद व्रत‑रहित भक्तों को प्रसाद में ठेकुआ और फल‑मिठाई वितरित की जाती है।

प्रवासी और स्थानीय प्रतिक्रिया

पटना के नगर आयुक्त शरद सिंह ने कहा, “इस साल हम सुरक्षा को प्राथमिकता दे रहे हैं। हर घाट पर 2000 पुलिस कर्मी, 1500 स्वयंसेवक और 1000 एम्बुलेंस तैनात हैं।” उनका यह बयान स्थानीय मीडिया में कई बार दोहराया गया।

गया के एक वरिष्ठ पुजारिन, विजया देवी, ने बताया, “यहाँ का माहौल हमेशा ही देहाती और आध्यात्मिक दोनों है। लोग न केवल भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं, बल्कि स्थानीय नदी की सफाई में भी भाग लेते हैं।” स्थानीय NGO ‘हरित बिहार’ ने जल‑शुद्धि के लिए अतिरिक्त फिल्टर स्थापित किए हैं, जिससे पर्यावरणीय जागरूकता भी बढ़ी है। पर्यावरणीय पहल और भविष्य की तैयारियां

पर्यावरणीय पहल और भविष्य की तैयारियां

छठ पूजा के साथ जल‑प्रदूषण का मुद्दा हमेशा जुड़ा रहा है। इस साल, पटना महानगर पालिका ने ‘साफ़ पानी, स्वच्छ घाट’ अभियान शुरू किया। सभी घाटों पर प्लास्टिक‑मुक्त अर्घ्य‑सामग्री, बायोडिग्रेडेबल थालियां और पुनर्चक्रण बिन लगाए गए हैं। साथ ही, BookMyPoojaOnline.com ने ई‑किट विकल्प पेश किया, जिससे घर‑परिवार डिजिटल स्वरूप में अर्घ्य‑निर्देश प्राप्त कर सकते हैं।

भविष्य में, बिहार सरकार ने कहा है कि 2027 तक सभी प्रमुख घाटों पर सौर‑ऊर्जा‑संचालित लाइट्स और जल‑शुद्धिकरण प्रणाली स्थापित की जाएगी। यह कदम छठ पूजा को ‘हरित पर्व’ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

आगामी वर्ष की संभावनाएँ और तैयारी

छठ पूजा 2025 के बाद, अगले साल (2026) की तिथि अभी तय नहीं हुई है, परंतु यह हमेशा विषुव के बाद के शुक्ल पक्ष में आता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि डिजिटल बुकिंग और पर्यावरणीय उपायों के कारण भविष्य में भी इस महोत्सव का पैमाना बढ़ेगा, लेकिन सुरक्षा और स्वच्छता का ख़र्च भी समान रूप से बढ़ेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

छठ पूजा 2025 में कौन‑कौन से प्रमुख घाटों पर अर्घ्य किया जाएगा?

पटना के महिंदरु, कलेक्टर और अदालती घाट, साथ ही गया के फ़ाल्गु नदी किनारे स्थित विष्णुपाद मंदिर घाट मुख्य स्थल हैं। इनके अलावा दिल्ली, कोलकाता और जमशेदपुर में भी आयोजित कार्यक्रम राष्ट्रीय मीडिया में कवरेज पाएंगे।

बिना भीड़ में अर्घ्य करने के लिए कौन‑सी सुविधाएँ उपलब्ध हैं?

BookMyPoojaOnline.com ने ऑनलाइन बुकिंग‑किट लॉन्च किया है, जिसमें घर‑परिवार के लिए विशेष अर्घ्य‑सामग्री और प्रसाद की पैकेजिंग शामिल है। इससे घाटों की भीड़ कम हो सकती है।

छठ पूजा के दौरान पर्यावरणीय सुरक्षा के लिए क्या उपाय कर रहे हैं?

पटना नगरी पालिका ने प्लास्टिक‑मुक्त अर्घ्य‑सामग्री, बायोडिग्रेडेबल थालियों और जल‑शुद्धि उपकरण लगाए हैं। हरित बिहार NGO ने नदी किनारे सफाई अभियानों को सघन किया है।

छठ पूजा के चार दिनों में मुख्य रीति‑रिवाज़ क्या हैं?

पहला दिन नाहाय‑खाय (साफ‑सफाई और शाकाहारी भोजन), दूसरा दिन खरना (व्रत‑भोजन), तीसरा दिन संध्या अर्घ्य (सूर्यास्त), और चौथा दिन उषा अर्घ्य (सूर्यदय) है। इन चार चरणों में पानी में खड़े होकर अर्घ्य देना अनिवार्य है।

भविष्य में छठ पूजा को कैसे और अधिक सुरक्षित बनाया जा सकता है?

विशेष रूप से सौर‑ऊर्जा‑संचालित लाइटिंग, अधिक मेडिकल स्टेशनों की तैनाती और डिजिटल बुकिंग‑किट के प्रसार से भीड़ नियंत्रण और आपातकालीन उपचार की संभावना बढ़ेगी।

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17 टिप्पणि

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    Amit Bamzai

    अक्तूबर 22, 2025 AT 19:06

    छठ पूजा का इतिहास प्राचीन वैदिक परम्पराओं में निहित है और इसका मूल उद्देश्य सूर्य की ऊर्जा को सम्मानित करना है।
    आज के समय में यह त्यौहारा सामाजिक एकता को भी दर्शाता है, जहाँ लाखों लोग विभिन्न वर्गों से एक साथ आकर अर्घ्य देते हैं।
    पटना के महिंदरु घाट पर भीड़भाड़ देखकर यह स्पष्ट हो जाता है कि श्रद्धा की शक्ति कितनी विशाल है।
    वहीं, डिजिटल बुकिंग के माध्यम से BookMyPoojaOnline.com ने भीड़ को कम करने में मदद की है।
    ई‑किट विकल्प से लोग घर पर ही सभी आवश्यक सामग्री तैयार कर सकते हैं जिससे प्लास्टिक का उपयोग घटता है।
    पर्यावरणीय पहल के तहत बायोडिग्रेडेबल थालियों का इस्तेमाल किया गया है, जो जल प्रदूषण को न्यूनतम करता है।
    सुरक्षा की दृष्टि से प्रत्येक घाट पर दो हजार पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं, साथ ही स्वैच्छिक सेना भी सक्रिय है।
    हरित बिहार एनजीओ ने नदी के किनारे सफाई अभियानों को सघन किया है, जिससे जल शुद्धिकरण में योगदान मिला है।
    भविष्य में सौर‑ऊर्जा‑संचालित लाइटिंग और जल‑शुद्धिकरण प्रणाली स्थापित करने की योजना है।
    यह पहल छठ पूजा को एक हरित पर्व बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
    संद्रभ में, कुरुक्षेत्र जैसी ऐतिहासिक जगहों पर भी इस परम्परा की समान महत्ता देखी जा सकती है।
    धार्मिक तौर पर अर्घ्य देने से शारीरिक और मानसिक शुद्धि की अनुभूति होती है।
    व्रत के दौरान शाकाहारी भोजन और शुद्ध जल से स्वास्थ्य लाभ भी मिलता है।
    कुल मिलाकर, छठ पूजा न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक, पर्यावरणीय और स्वास्थ्य संबंधी कई पहलुओं को जोड़ता है।
    आइए हम सब इस पर्व को अधिक जिम्मेदारी और प्रेम के साथ मनाएं।
    आप सभी को उज्ज्वल सूर्य के प्रकाश में अर्घ्य अर्पित करने की शुभकामनाएँ।

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    ria hari

    अक्तूबर 23, 2025 AT 08:13

    आप सभी की भागीदारी को देखकर दिल खुश हो जाता है, इस तरह के बड़े ईवेंट में लोगों की ऊर्जा सकारात्मक ही रहती है।
    पारिवारिक साफ‑सफ़ाई और सामुदायिक भावना को आगे भी बढ़ाते रहें।

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    Alok Kumar

    अक्तूबर 23, 2025 AT 22:06

    यह सब सिर्फ सरकार की PR कैंपेन है, असल में भीड़ को नियंत्रित करने के लिये कोई ठोस उपाय नहीं किए गए।
    डिजिटल बुकिंग का दावा केवल डेटा एक्सट्रैक्शन का एक ढंग है, जिससे व्यक्तिगत जानकारी लीक हो सकती है।
    पर्यावरणीय पहल तो केवल दिखावे के लिये है, प्लास्टिक‑मुक्त सामग्री की लागत आम लोग उठा नहीं पाएंगे।
    सुरक्षा कर्मियों की संख्या भी आँकड़े को बढ़ा‑चढ़ाकर पेश किया गया है; असली समस्याएँ तो स्थानीय जल‑प्रदूषण में ही हैं।
    खुद सोचिए, इतना बड़ा इवेंट क्यों रख रहे हैं, क्या यह किसी छिपी एजेंडा का हिस्सा नहीं?

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    Nitin Agarwal

    अक्तूबर 24, 2025 AT 12:00

    छठ पूजा हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, इसे संजो कर रखना चाहिए।

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    Ayan Sarkar

    अक्तूबर 25, 2025 AT 01:53

    इन डिजिटल बुकिंग प्लेटफ़ॉर्म्स के पीछे बड़े कंपनियों के राज़़ी लोग छिपे होते हैं, जो गुप्त रूप से डेटा बेचते हैं।
    आख़िरकार, यह सब सिर्फ एक बड़ा मार्केटिंग ट्रिक है जो लोगों को नियंत्रित करती है।

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    Amit Samant

    अक्तूबर 25, 2025 AT 15:46

    भविष्य में इन हरित उपायों के साथ पर्व को अधिक सुरक्षित और सुगम बनाने की संभावना उज्ज्वल है।
    सकारात्मक बदलाव के लिए सभी को सहयोग देना चाहिए।

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    Jubin Kizhakkayil Kumaran

    अक्तूबर 26, 2025 AT 04:40

    देश की शान है कि हम अपने परम्पराओं को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ रहे हैं, बहुत गर्व है।
    ऐसे इवेंट हमारे राष्ट्रीय आत्मा को मजबूत बनाते हैं।

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    tej pratap singh

    अक्तूबर 26, 2025 AT 18:33

    परंतु इस सारे प्रचार में सरकार की वास्तविक सुरक्षा योजनाओं की जानकारी नहीं मिल रही, क्यों छुपा रहे हैं?
    क्या मिलिट्री भी शामिल है या नहीं?

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    Chandra Deep

    अक्तूबर 27, 2025 AT 08:26

    बुकिंग‑किट में कौन‑सी सामग्री शामिल है, क्या यह सभी घरों के लिए उपयुक्त है?
    किसी ने अनुभव साझा किया है?

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    Mihir Choudhary

    अक्तूबर 27, 2025 AT 22:20

    बहुत बढ़िया! 😊

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    Tusar Nath Mohapatra

    अक्तूबर 28, 2025 AT 12:13

    अरे, अब सब डिजिटल हो गया, तो सिर्फ मोबाइल में ही अर्घ्य दे देंगे? मज़ा नहीं रहा, है न?

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    Ramalingam Sadasivam Pillai

    अक्तूबर 29, 2025 AT 02:06

    सूर्य के प्रति कृतज्ञता हमें असीम शांति देती है, यही सच्ची आध्यात्मिक शक्ति है।

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    Ujala Sharma

    अक्तूबर 29, 2025 AT 16:00

    हम्म, वही पुरानी रूटीन फिर से चल रही है, नई बात नहीं।

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    Vishnu Vijay

    अक्तूबर 30, 2025 AT 05:53

    सभी का सहयोग मिलकर इस पर्व को और भी खूबसूरत बनाता है, धन्यवाद सभी को! 🙏

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    Aishwarya Raikar

    अक्तूबर 30, 2025 AT 19:46

    इन बुकिंग साइट्स के पीछे कौन सी छिपी फॉर्मूला है, जो लोगों को आकर्षित करती है? शायद कोई गुप्त पब्लिक रिलेशन प्लान।

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    Arun Sai

    अक्तूबर 31, 2025 AT 09:40

    मैं तो कहूँगा, हर बदलाव को सवालों के साथ देखना चाहिए, नहीं तो अंधविश्वास बनता रहेगा।

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    Manish kumar

    अक्तूबर 31, 2025 AT 23:33

    छठ पूजा का सामाजिक प्रभाव अद्भुत है; यह लोगों को एक साथ लाता है और सामुदायिक भावना को मजबूत करता है।
    डिजिटल बुकिंग ने भीड़ को नियंत्रित करने में मदद की है, पर इसमें तकनीकी समस्याएँ भी हो सकती हैं।
    पर्यावरणीय कदम जैसे बायोडिग्रेडेबल थालियों का उपयोग वास्तव में जल प्रदूषण को कम करने में सहायक है।
    आगे चलकर इन पहलों को और विस्तार देना चाहिए, ताकि यह पर्व पूरी तरह से हरित बन सके।

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