जब दीपावली 2025भारत के पहले दिन धन्तेरस पर सोने की खरीदारी शुरू हुई, तो कीमतें अभूतपूर्व स्तर पर पहुंच गईं। एक किलोग्राम के 10 ग्राम के लिए कीमत ₹1,20,000 से ऊपर चली गई, जो 1979 के बाद से सबसे बड़ी वार्षिक बढ़ोतरी थी। यह अचानक उछाल वैश्विक आर्थिक‑राजनीतिक कारकों, अमेरिकी डॉलर की कमजोरी, फेडरल रिज़र्व की दर‑कटौती और चीन‑रूस जैसे देशों के तेज़ भंडार‑संकलन का परिणाम है।
इतिहास में अब तक का सबसे ऊँचा सोने का मूल्य
1979 के बाद से सोने की कीमत में कई उछाल देखे गए, पर 2024 ने पहली बार 75 हज़ार/10 ग्राम की सीमा तोड़ दी थी। 2025 में दीपावली के मौसम में यह सीमा एक और कदम आगे बढ़ कर 1.2 लाख पर पहुँच गई, जिससे भारतीय गृहस्थों के लिए निवेश‑सुरक्षा का प्रतीक फिर से उभरा।
पिछले दो दशकों में फ़्लैश‑सेल, कोवीड‑19 के बाद की आर्थिक पुनर्प्राप्ति, और यूएई‑ईरान के बीच तनाव ने सोने को सुरक्षित शरण बना दिया था, पर इस बार का विस्तार अंतरराष्ट्रीय केंद्रीय बैंकों के बड़े‑पैमाने पर खरीददारी से आया है।
वर्तमान मूल्य‑उछाल के कारण
ज्यादातर बाजार विश्लेषकों का मानना है कि Goldman Sachs ने अपनी 2026‑दिसंबर तक की भविष्यवाणी $4,900 प्रति औंस कर दी है, जो 2024‑के अंत में $2,200 से लगभग दो गुना है। इस आशावादी अनुमान का आधार है:
- ETF में निरंतर बड़ी इनफ़्लो, विशेषकर यूरोप और एशिया में;
- चीन के पीपल्स बैंकर और रूस के सेंट्रल बैंकर द्वारा जुटाए गए अतिरिक्त भंडार;
- अमेरिकी डॉलर की लगातार गिरावट, जिसका सोने पर उलटा प्रभाव पड़ता है;
- संभावित फेडरल रिज़र्व (Federal Reserve) की दर‑कटौती, जो मौद्रिक निचले‑संधियों में सोने को आकर्षक बनाती है।
इन कारणों से कई अंतरराष्ट्रीय ब्रोकर 2032 तक $5,000‑$10,000 प्रति औंस के लक्ष्य पर भी चर्चा कर रहे हैं।
विशेषज्ञों के बीच मतभेद
सब कुछ उज्जवल नहीं है। बाजार पर एंटी‑बुलिश आवाज भी तेज़ है। विजय गोयल, एक मान्य बाजार विश्लेषक, ने सावधानी बरतने की सलाह दी है। उनका कहना है कि सोना अभी $2,600‑$2,700 प्रति औंस पर गिरने तक इंतजार करना चाहिए, तभी यह दोबारा सस्ते दर पर खरीदा जाए। उनका आधार है:
- संभावित डॉलर‑मजबूती, क्योंकि फेडरल रिज़र्व अगर अपने मौद्रिक सख्ती को बनाए रखेगा तो डॉलर फिर से ऊँचा जा सकता है;
- केंद्रीय बैंकों की खरीद में गिरावट, खासकर यदि 2025 में वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर हो जाए;
- भारतीय स्टॉक मार्केट की तेज़ी, जो निवेशकों को इक्विटी‑सुविधाजनक विकल्प की ओर मोड़ सकती है।
गोयल यह भी जोड़ते हैं कि अगर भारतीय रुपये‑डॉलर की दर 1 रोपी में सुधार दिखाएगी, तो घरेलू सोने की कीमत पर दबाव पड़ेगा।
संभावित नीचे की दिशा के कारक
कई कारण आगे के महीनों में कीमत को गिरा सकते हैं:
- उच्च अमेरिकी ब्याज‑दरें—यदि फेडरल रिज़र्व सख्ती से पॉलिसी जारी रखेगा तो डॉलर को समर्थन मिलेगा, और सोना गिर सकता है;
- सेंट्रल बैंकों की खरीद‑रुचि में फिसलन—चीन या रूस के यदि भंडार‑संकलन में कमी आए तो कीमत पर नकारात्मक असर पड़ेगा;
- इंडियन उपभोक्ता खर्च में गिरावट—विवाह‑और‑त्योहार‑मौसम में यदि आय घटती है, तो सोने की मांग कम हो सकती है;
- ब्याज‑आधारित उपकरणों में रिटर्न का बढ़ना—अगर बांड और फिक्स्ड‑डिपॉज़िट की दरें अधिक आकर्षक हों तो निवेशकों का रुख बदल सकता है।
इन बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए कई ब्रोकरेज फर्में अल्प‑कालिक प्रॉफिट‑टेकिंग की संभावना को भी उजागर कर रही हैं।
भविष्य की संभावनाएँ और निवेश सलाह
तो अब सवाल है—दीपावली के बाद सोने की कीमत कहाँ जायेगी? विशेषज्ञों के दो ध्रुवीय दृष्टिकोण हैं। एक ओर, गोल्डमैन सैक्स जैसी संस्थाएँ दीर्घ‑कालिक बुल मार्केट की उम्मीद कर रही हैं, जबकि गोयल जैसे विश्लेषक निकट‑भविष्य में संभावित डिप को चेतावनी दे रहे हैं। निवेशक को अपनी जोखिम‑सहिष्णुता, पोर्टफ़ोलियो की विविधता, और ब्याज‑दर के बदलावों को ध्यान में रखकर तय करना चाहिए।
यदि आप दीर्घ‑कालिक सुरक्षा चाहते हैं, तो वर्तमान उच्च मूल्य को “स्मार्ट‑बाय” के तौर पर देख सकते हैं, विशेषकर यदि आप रिटायरमेंट‑फंड या वार्षिक पोर्टफ़ोलियो में सोने को एक हेज के रूप में रखना चाहते हैं। लेकिन अगर आप किफायती प्रवेश चाहते हैं, तो Goयल की तरह हल्के‑सहिष्णु स्तर का इंतज़ार करना फायदेमंद हो सकता है।
मुख्य तथ्य
- दीपावली 2025: 10 ग्राम सोना ₹1,20,000 से ऊपर।
- Goldman Sachs: $4,900/औंस लक्ष्य (दिसंबर 2026)।
- विजय गॉयल: $2,600‑$2,700/औंस पर पुनः प्रवेश की सलाह।
- मुख्य कारक: डॉलर‑कमज़ोरी, फेड दर‑कटौती, चीन‑रूस की केंद्रीय बैंक खरीद।
- संभावित नीचे‑दबाव: डॉलर‑मजबूती, फेड‑सख्ती, भारतीय आय‑संकट।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
दीपावली के बाद सोने की कीमत कब गिर सकती है?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अमेरिकी डॉलर पुनः मजबूती पकड़ता है और फेडरल रिज़र्व मौद्रिक सख्ती बनाए रखता है, तो अगले 3‑6 महीनों में कीमतों में 5‑10% की गिरावट संभव है। साथ ही, यदि चीन और रूस के केंद्रीय बैंकों की खरीद कम हो जाती है, तो अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है।
क्या दीपावली के समय सोने में निवेश करना अभी भी सुरक्षित है?
सुरक्षा के लिहाज़ से सोना लंबे समय से एक एसेट‑हेज रहा है। हालांकि, मौजूदा कीमतें ऐतिहासिक उच्च हैं, इसलिए यदि आप अल्पकालिक लाभ चाहते हैं तो कीमत में सुधार के बाद का एंट्री बेहतर हो सकता है। दीर्घकालिक सुरक्षा चाहते निवेशकों के लिए अभी भी यह एक आकर्षक विकल्प है।
Goldman Sachs का $4,900 लक्ष्य कितना भरोसेमंद है?
Goldman Sachs ने अपने लक्ष्य को मजबूत ETF‑इनफ़्लो और वैश्विक केंद्रीय बैंकों की निरंतर खरीद पर आधारित किया है। यह अनुमान बैंके की ऐतिहासिक सटीकता के आधार पर दिलचस्प है, पर बाजार की अस्थिरता और भविष्य में मौद्रिक नीति में बदलाव इसे जोखिम‑पूर्ण बना सकते हैं।
भारतीय रुपये‑डॉलर दर का सोने पर क्या असर पड़ेगा?
रुपया यदि डॉलर के मुकाबले मजबूत होगा, तो आयातित सोने की कीमतें घटेंगी, जिससे घरेलू बाजार में मूल्य पर दबाव पड़ेगा। वर्तमान में रुपये‑डॉलर में हल्की कमजोरी ने सोने के शुद्ध मूल्य को ऊपर धकेला है। इसलिए मुद्रा‑परिवर्तन सीधे ही भारत में सोने की कीमतों को प्रभावित करता है।
निवेशकों को अभी कौन सी रणनीति अपनानी चाहिए?
यदि आपका पोर्टफ़ोलियो विविधीकरण में सोना शामिल है, तो मौजूदा स्तर को “होल्ड” करना सुरक्षित रहेगा। लेकिन नई एंट्री के लिए, कई विशेषज्ञ डॉलर‑कमज़ोरी और फेड‑क्रम में संभावित गिरावट की उम्मीद करते हुए थोड़ी देर इंतज़ार करने की सलाह देते हैं। जोखिम‑अवसर को समझकर स्टेप‑इन/स्टेप‑आउट रणनीति अपनाना बेहतर रहेगा।
gouri panda
अक्तूबर 7, 2025 AT 21:27बाजार में सोना तो जैसे रोमांच का रोलरकोस्टर बन गया है!