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एशिया-प्रशांत बाजारों में भारी गिरावट, चिप स्टॉक्स गिरे, नैस्डैक 2.8% टूटा

एशिया-प्रशांत बाजारों में गिरावट की बड़ी तस्वीर

पिछले कुछ दिनों में, एशिया-प्रशांत बाजारों में गंभीर गिरावट देखी गई है। नैस्डैक कंपोजिट में 2.8% की भारी गिरावट के बाद इन बाजारों पर इसका प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। यह गिरावट दिसंबर 2022 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट में से एक है। इस बड़े मूल्यह्रास का मुख्य कारण प्रमुख चिप स्टॉक्स में नुकसान बताया जा रहा है।

निवेशकों की बदलती उम्मीदें

फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल की टिप्पणियों के चलते, निवेशकों की उम्मीदों में बड़ा बदलाव आया है। पॉवेल ने बाजार को संकेत दिए कि ब्याज दरों को लंबे समय तक उच्च रखने के बारे में सावधानी बरती जाएगी। इससे निवेशकों को यह उम्मीद हो गई कि आने वाले समय में ब्याज दरों में कमी हो सकती है। इस बदलती धारणा के कारण निवेशक तेजी से दर-संवेदनशील स्टॉक्स की ओर मुड़े, न कि तकनीकी कंपनियों की ओर।

चिप निर्माता कंपनियों पर बड़ा प्रभाव

चिप निर्माता कंपनियों पर बड़ा प्रभाव

विशेष रूप से, ताइवान की TSMC, जो दुनिया की सबसे बड़ी चिप निर्माता कंपनी है, उसकी शेयर कीमत में 2.43% की गिरावट देखी गई। इस गिरावट ने ताइवान वेटेड इंडेक्स को भी 1.56% नीचे खींच लिया। इसी तरह, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बाजारों में भी नकारात्मक प्रभाव देखा गया। जापान के निक्केई 225 के फिचर्स ने कमजोर शुरुआत की उम्मीद जताई, जबकि ऑस्ट्रेलिया का एसएंडपी/एएसएक्स 200 इंडेक्स भी फिचर्स में गिरावट दिखा रहा है।

आने वाले डेटा की प्रतीक्षा

जापान में व्यापार डेटा का इंतजार किया जा रहा है, जहां अर्थशास्त्रियों ने जून महीने के लिए निर्यात में 6.4% वृद्धि और आयात में 9.3% वृद्धि की भविष्यवाणी की है। इसके बीच, हांगकांग के हैंग सैंग इंडेक्स के फिचर्स भी गिरावट के संकेत दे रहे हैं।

निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण दृष्य

निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण दृष्य

यह गिरावट निवेशकों के लिए चिंताजनक साबित हो सकती है, विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो तकनीकी स्टॉक्स में निवेश कर रहे थे। बदलती आर्थिक परिस्थितियों और फेडरल रिजर्व के नीतिगत रुख की वजह से निवेशकों को अब अपनी रणनीतियों पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है। दर-संवेदनशील स्टॉक्स में बढ़ती निवेश प्रवृत्ति दर्शाती है कि निवेशक अब धीमी वृद्धि और उच्च ब्याज दरों की स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार हो रहे हैं।

इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक बाजार की स्थिति कितनी संवेदनशील हो सकती है और नीतिगत बदलावों का प्रभाव कितना गहरा हो सकता है। आने वाले दिनों में, निवेशकों को स्थिति की नजदीकी निगरानी करनी होगी और इसके अनुसार अपने निवेश के निर्णय लेने होंगे।

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