भारतीय शेयर बाजार के प्रमुख सूचकांक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) सोमवार, 20 मई 2024 को लोकसभा चुनाव के कारण बंद रहेंगे। यह बंदी इक्विटी सेगमेंट, इक्विटी डेरिवेटिव सेगमेंट, सिक्योरिटी लेंडिंग एंड बॉरोइंग (SLB) सेगमेंट के साथ-साथ करेंसी डेरिवेटिव, कमोडिटी डेरिवेटिव और इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रिसीट्स सेगमेंट को भी प्रभावित करेगी।
हालांकि, 18 मई को शेयर बाजार एक विशेष ट्रेडिंग सेशन के लिए खुले थे जिसमें NSE निफ्टी 36 अंक ऊपर 22,502 के स्तर पर और BSE सेंसेक्स 89 अंक बढ़कर 74,006 के स्तर पर बंद हुआ। निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 क्रमशः 0.51 प्रतिशत और 0.82 प्रतिशत की बढ़त के साथ बंद हुए। NSE पर सभी 16 सेक्टोरल इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए।
नेस्ले इंडिया, L&T, TCS, पावर ग्रिड, टाटा मोटर्स, SBI, एयरटेल, HUL और HCL टेक जैसे फ्रंटलाइन स्टॉक्स 2.33 प्रतिशत तक चढ़े। घरेलू बाजार मंगलवार, 21 मई 2024 को फिर से खुलेंगे।
LKP सिक्योरिटीज के सीनियर टेक्निकल एनालिस्ट रुपक डे ने निफ्टी आउटलुक पर अपनी राय देते हुए कहा कि यह एक चैनल के भीतर है और ट्रेडर्स को किसी भी दिशात्मक उतार-चढ़ाव के लिए सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा:
- निफ्टी 22400-22650 के दायरे में कारोबार कर रहा है
- 22650 के ऊपर ब्रेकआउट से और तेजी आ सकती है
- 22400 के नीचे ब्रेकडाउन से गिरावट आ सकती है
- ट्रेडर्स को उतार-चढ़ाव वाले बाजार में सावधानी बरतनी चाहिए
तकनीकी चार्ट पर निफ्टी एक चैनल पैटर्न बना रहा है। यदि यह 22650 के महत्वपूर्ण स्तर को पार कर जाता है, तो और तेजी आ सकती है। वहीं, अगर यह 22400 के सपोर्ट लेवल से नीचे फिसलता है, तो कुछ और गिरावट देखने को मिल सकती है।
हालांकि लंबी अवधि में बाजार का रुख सकारात्मक बना हुआ है, लेकिन अल्पावधि में यह रेंज बाउंड दिख रहा है। ऐसे में निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचने के लिए सतर्क रहना चाहिए और अपने निवेश के फैसले सोच-समझकर लेने चाहिए।
शेयर बाजार की इस छुट्टी के कारण कई कंपनियों की बोर्ड मीटिंग और वित्तीय नतीजों की घोषणा भी प्रभावित हो सकती है। हालांकि, चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद बाजार में तेजी या गिरावट का रुख तय होगा, जो कई कारकों जैसे नई सरकार की नीतियां, वैश्विक बाजार का सेंटीमेंट आदि पर निर्भर करेगा।
निवेशकों को चाहिए कि वे बाजार की अल्पकालिक अस्थिरता से न घबराएं और लंबी अवधि के लिए निवेश करते रहें। मजबूत फंडामेंटल वाली कंपनियों में निवेश और अपने पोर्टफोलियो का विविधीकरण उन्हें बाजार के जोखिमों से बचाने में मदद कर सकता है।
इस बीच, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की ओर से लगातार पैसे के प्रवाह से भी बाजार को सपोर्ट मिल रहा है। मई महीने में अब तक FPI ने शुद्ध रूप से 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है, जबकि DII का निवेश 10,000 करोड़ रुपये के करीब रहा है।
कुल मिलाकर, लोकसभा चुनाव जैसे महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम के चलते शेयर बाजार में अस्थिरता रहने की संभावना है। लेकिन लंबी अवधि में भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत आधारभूत कारक बाजार को गति देते रहेंगे। निवेशकों को धैर्य रखने और गुणवत्तापूर्ण शेयरों में निवेश जारी रखने की सलाह दी जाती है।
Nilanjan Banerjee
मई 21, 2024 AT 00:56आज के राजनीतिक माहौल में शेयर बाजार का बंद होना केवल एक औपचारिक उपाय नहीं, बल्कि आर्थिक नियतियों की जाँच का प्रतीक है।
लोकसभा चुनाव की गूंज बँधी हुई है और निवेशकों की मनोदशा पर इसका गहरा असर पड़ता है।
बाजार का यह अंतराल एक लिप्त स्थिति उत्पन्न कर सकता है जहाँ तरलता में अस्थायी गिरावट देखी जा सकती है।
निवेशकों को चाहिए कि वे इस अंतराल को एक अवसर के रूप में देखें, न कि भय का कारण।
ऐसे समय में मूलभूत विश्लेषण, अर्थात् फंडामेंटल्स, को प्राथमिकता देना चाहिए।
वित्तीय संस्थानों के द्वारा जारी रिपोर्टें इस बात का इशारा करती हैं कि दीर्घकालिक रुझान अभी भी सकारात्मक है।
हमें यह भी समझना चाहिए कि चुनावी परिणामों की अनिश्चितता अस्थायी है, जबकि भारत की आर्थिक बुनियादें मजबूत हैं।
विचारधारा के बंधन से मुक्त होकर, उपभोक्ता मांग, निर्यात आँकड़े और विनिर्माण डेटा को देखना आवश्यक है।
बाजार में अस्थायी अटकलें अक्सर अनुभवी निवेशकों को अनावश्यक जोखिम उठाने के लिए प्रेरित करती हैं, जिससे नुकसान हो सकता है।
इस कारण, पोर्टफोलियो का विविधीकरण, जैसे कि प्रमुख ब्लू‑चिप स्टॉक्स और मजबूत बैलेंस शीट वाली कंपनियों में निवेश, एक समझदार कदम होगा।
राजनीतिक निर्णयों का प्रभाव अक्सर सेक्टर‑विशिष्ट रूप से दिखता है, उदाहरण के तौर पर इंफ़्रा और ऊर्जा क्षेत्र में।
उचित जोखिम प्रबंधन तकनीकों जैसे कि स्टॉप‑लॉस और हेजिंग का सही उपयोग इस अवधि में लाभप्रद हो सकता है।
वित्तीय बाजारों की अचेतनता को तोड़ते हुए, हमें डेटा‑ड्रिवन रणनीति अपनानी चाहिए।
एक सिद्धान्त यह है कि छोटे‑छोटे अँधेरे बादल हमेशा साफ़ आकाश की ओर ले जाते हैं।
अतः, धैर्य और ज्ञान के साथ आगे बढ़ना ही यही समय है जब बाजार की अस्थिरता को सतह पर लाया जा सकता है।
sri surahno
जून 1, 2024 AT 14:43आज के इस बंद बाजार में हम सिर्फ एक अनुपस्थिति नहीं देख रहे, बल्कि एक गुप्त शक्ति का सूक्ष्म हस्तक्षेप महसूस कर रहे हैं।
बाजार का अचानक बंद होना, उलटा एक सामरिक कदम है जो बड़े पूँजीवादी दलों की अग्निपरीक्षा को दर्शाता है।
ऐसे समय में, बाहरी शक्तियों के आर्थिक हितों की गूढ़ योजनाओं को समझना अनिवार्य हो जाता है।
लोकसभा चुनाव का बहाना केवल एक मुखौटा है, असली मकसद है मौजूदा आर्थिक नीतियों को पुनः आकार देना।
उनके द्वारा नियंत्रित संस्थाएँ, जिनमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) का भी हिस्सा है, इस बंदी से लाभ उठायेंगे।
आर्थिक नीतियों के पीछे छिपे अभिकर्ताओं की चालों को समझना, हमें संशयात्मक रूप से देखना चाहिए।
अब जब बाजार बंद है, तो ध्यान देना चाहिए कि किस प्रकार के नियामक आदेश जारी हो रहे हैं।
हमारे देश की आर्थिक स्वाधीनता को इन योजनाओं से बचाने के लिए सतर्क रहना आवश्यक है।
ऐसे माहौल में, नैतिकता और वैधता के सिद्धांतों को ऊपर रखकर ही हम आगे बढ़ सकते हैं।
Varun Kumar
जून 13, 2024 AT 04:30बंद बाजार से हमारी ताकत नहीं घटती।
Madhu Murthi
जून 24, 2024 AT 18:16बिल्कुल सही कहा भाई, बाजार का बंद होना सिर्फ एक झटका नहीं बल्कि हमारे देश की सच्ची शक्ति की परीक्षा है! 💪🌟
Amrinder Kahlon
जुलाई 6, 2024 AT 08:03ओह वाह, अब तो बाजार ने भी छुट्टी ली, लगता है कि शेयरों को भी ऑफिस में पंजीकरण चाहिए।
Abhay patil
जुलाई 17, 2024 AT 21:50चलो इस समय को फोकस बढ़ाने का इस्तेमाल करते हैं हम सब मिलकर अपने पोर्टफोलियो को रीव्यू कर सकते हैं नई कंपनियों को देख सकते हैं रिटर्न को बेहतर बना सकते हैं इस अंतराल को सीखने का मौका बनाते हैं आगे बढ़ते रहें
Neha xo
जुलाई 29, 2024 AT 11:36बाजार के बंद होने से निवेशकों को कुछ समय मिलता है अपना पोर्टफोलियो रीबैलेंस करने का, इसलिए यह एक सकारात्मक पहल भी माना जा सकता है।