इक्वेटोरियल गिनी, जो अफ्रीका के पश्चिमी तट पर स्थित है, इन दिनों एक विशाल सेक्स स्कैंडल के कारण सुर्खियों में है। राष्ट्रीय वित्तीय जांच एजेंसी के निदेशक बाल्तसार एंगोंगा को गिरफ्तार किया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने 400 से अधिक अश्लील वीडियो बनाए हैं जिनमें कई विख्यात व्यक्ति सम्मिलित हैं। इन व्यक्तियों में राष्ट्रपति की बहन, पुलिस इंस्पेक्टर जनरल की पत्नी, और लगभग बीस मंत्रियों की पत्नियां शामिल हैं। वीडियो, जिनमें वे महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने अपनी सहमति से फिल्मांकन कराया था, इंटरनेट पर लीक हो गए और जनता में व्यापक गुस्सा उत्पन्न कर दिया।
बाल्तसार एंगोंगा, जिन्हें 'बेलो' के नाम से भी जाना जाता है, पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद का गलत प्रयोग किया और सरकारी निगरानी उपकरणों का दुरुपयोग करके व्यक्तिगत लाभ के लिए इन घृणास्पद सामग्री की रचना की। निगरानी उपकरणों के इस दुरुपयोग ने राजनीति और प्रशासन में निरंतर बढ़ती हुई नैतिकता का प्रश्न उठाया है। ये वीडियो सार्वजनिक और व्यवसायिक स्थानों सहित कई विभिन्न स्थानों पर फिल्माए गए थे। चौंकाने वाली बात यह है कि कुछ वीडियो उनके कार्यालय में फिल्माए गए थे जहाँ पास में ही राष्ट्रीय ध्वज स्थापित था।
इस मामले की गंभीरता को सरकार ने तुरंत संज्ञान में लिया और उन सभी अधिकारियों को निलंबित कर दिया जिनका नाम इस कांड से जुड़ा हुआ था। उपराष्ट्रपति न्गुएमा मंगुइ ने कहा कि 'हमारे प्रशासन में नैतिकता और सम्मान बुनियादी मूल्य हैं' और कोई भी गैरजिम्मेदाराना रवैया जो नागरिकों के विश्वास को तोड़ता है, अस्वीकार्य है। ये कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाए गए हैं कि भविष्य में कोई भी ऐसा अप्रिय घटना न घटे जो लोगों के जनता के प्रति विश्वास को ठेस पहुंचाए।
अटॉर्नी जनरल, न्जांग न्गुएमा ने कहा कि तस्वीरें दर्शाती हैं कि वीडियो में शामिल महिलाओं को मजबूर नहीं किया गया था। फिर भी, कानूनी दृष्टिकोण से सहमति से सेक्सुअल संबंध तब तक अपराध नहीं माना जाता जब तक कि हिंसा या दबाव के प्रमाण न हों। हालांकि, एनजीओ और स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि सामूहिक और अनियंत्रित रूप से हो रहे इन संबंधों के कारण संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा भी बढ़ा है। इस परिस्थिति ने देश में स्वास्थ्य संबंधी एक संकट खड़ा कर दिया है।
सरकार अब इस स्थिति से निपटने के लिए सभी राज्य कार्यालयों में निगरानी कैमरे लगाने की योजना बना रही है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग कानून का पालन करें और कार्यस्थल में अनुचित आचरण न करें। जिन भी अधिकारियों को कार्यस्थल पर अपमानजनक या अभद्र व्यवहार करते हुए पाया जाएगा, उन्हें नौकरी से निकाल दिए जाने तक के कड़े कदम उठाए जाएंगे।
यह प्रकरण न केवल इक्वेटोरियल गिनी के समाज में नैतिकता के स्तर पर एक सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह दिखाता है कि मौजूदा तकनीक का दुरुपयोग कैसे समाज के ताने-बाने को हानि पहुँचा सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में प्रशासन इस प्रकार की विकट समस्याओं से कैसे निपटता है और नागरिकों के विश्वास को फिर से कैसे मजबूत करता है।
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