पंजाब की हवाओं ने अपने एक महान कवि को खो दिया है। सुरजीत पातर, जो कि एक विशिष्ट पंजाबी कवि के रूप में जाने जाते थे, अब हमारे बीच नहीं रहे। 79 वर्ष की उम्र में उनका लुधियाना स्थित अपने निवास स्थान बरेवाल कॉलोनी में शांतिपूर्वक निधन हो गया। पातर जी ने रात को सोने के पश्चात, पुनः जागना तो दूर, स्वप्नलोक में ही कदम रख दिया।
सुरजीत पातर का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी ऊर्जा और लगन से साहित्य के क्षेत्र में एक ऊँचा मुकाम हासिल किया। उनके द्वारा रचित कई कृतियाँ, जैसे 'हवा विच लिखे हरफ', 'हानेरे विच सुलगदी वरणमाला', 'पतझर दी पाज़ेब', 'लफ़्ज़ान दी दरगाह', और 'सूरजमीन' ने पंजाबी साहित्य में उन्हें एक विशेष पहचान दिलाई।
उनकी लेखनी में जो खासियत थी, वह थी उनका जीवन के प्रति उनका दृष्टिकोण, जिसे उन्होंने अपनी कविताओं में बखूबी उतारा। सुरजीत पातर ने पंजाबी साहित्य जगत में न सिर्फ अपनी कविताओं के माध्यम से, बल्कि विभिन्न पुरस्कारों के रूप में भी सम्मान प्राप्त किया। वर्ष 2012 में उन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए प�...
साहित्य अकादमी पुरस्कार, पंच नदी पुरस्कार, सरस्वती सम्मान, और कुसुमांजलि साहित्य सम्मान जैसे अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कारों से उन्होंने साहित्य के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा को साबित किया। उनकी इन उपलब्धियों ने न सिर्फ उन्हें बल्कि पूरे पंजाब को गर्व महसूस कराया है।
Amrinder Kahlon
मई 11, 2024 AT 20:53ओह, फिर भी एक और दिग्गज का लेबल हट गया।
Abhay patil
मई 11, 2024 AT 22:16सुरजीत पातर की रचनाएँ आज भी हमें जीवन के हर रंग दिखाती हैं। उनका संघर्ष और समर्पण हमें प्रेरित करता है
आइए हम उनकी कविताओं को पढ़ें और उनकी भावना को समझें। हमें उनके योगदान को हमेशा याद रखना चाहिए।
Neha xo
मई 11, 2024 AT 23:40उनकी कविताओं में अक्सर गहरी आत्म-चिंतन की झलक मिलती है। ऐसे शब्दों का चयन उनके कलाकार मन को दर्शाता है
पाठक को अपने अंदर झाँकने की प्रेरणा देता है। यह एक मूल्यवान विरासत है जिसे संजोना चाहिए।
Rahul Jha
मई 12, 2024 AT 01:03पाठकों को पता होना चाहिए कि पातर जी ने "हवा विच लिखे हरफ" में कौन-कौन से मीटर प्रयोग किए थे 😎 उनका साहित्यिक विश्लेषण आज भी अकादमी में पढ़ाया जाता है 📚
Gauri Sheth
मई 12, 2024 AT 02:26ऐसे महान कवि का निधन हमारी सांस्कृतिक धरती को बहुत बड़ा झटका दियेगा । हमें उनकी रचनाओं को पढ़ते रहना चाहिए क्योंकि ये हमारे नैतिक मूल्यों को सुदृढ़ करता है । कोई भी इसको हल्के में नहीं ले सकता , ये तो इतिहास का हिस्सा है ।
om biswas
मई 12, 2024 AT 03:50पुर्तगाली प्रभाव वाले कुछ युवा आजकल के कवियों को घातक रूप से हतोत्साहित कर रहे हैं . यह हमारी वैरिटी को घटाता है और सच्ची पंजाबिया भावना को नष्ट करता है . हमें ऐसे बदलाव को रोकना चाहिए .
sumi vinay
मई 12, 2024 AT 05:13चलो, पातर जी की याद में एक छोटी सी शाम आयोजित करें! हम सभी अपने-अपने पसंदीदा कविताओं को पढ़ेंगे और एक साथ इस विरासत को जीवित रखेंगे। इस तरह हम न सिर्फ सम्मान देंगे बल्कि नई पीढ़ी को भी प्रेरित करेंगे।
Anjali Das
मई 12, 2024 AT 06:36सुरजीत पातर का काम हमारी भाषा के लिए एक आधारशिला है। उनके शब्दों में ग्रामीण जीवन की सच्ची झलक है। उन्होंने सामाजिक मुद्दों को बिन किसी झिझक के उठाया। उनके कवि‑परिचय में अक्सर आर्थिक असमानता का उल्लेख मिलता है। यह असमानता आज भी कई क्षेत्रों में मौजूद है। पातर जी ने अपनी रचनाओं में इसे उजागर किया। उनके विचारों को नज़रअंदाज़ करना हमारी जिम्मेदारी नहीं है। हमें उनके संदेश को आधुनिक संदर्भ में लागू करना चाहिए। कई युवा उनके विचारों से प्रेरणा ले सकते हैं। साहित्यिक कार्यों में यह स्पष्ट है कि उन्होंने भाषा को सरल रखा। इससे आम जनता को उनका संदेश आसानी से समझ आया। पातर जी की शैली में कभी वैभव नहीं बल्कि शुद्धता है। इस शुद्धता को हम सभी को अपनाना चाहिए। उनके वाक्यांशों में गहरी दार्शनिकता निहित है। यह दार्शनिकता हमें जीवन के मूल्य सिखाती है। ऐसे कवि का निधन हमारे समाज के लिए एक बड़ा नुकसान है। परंतु उनकी कृतियों को पढ़कर हम उनका आदर कर सकते हैं।