पहल्गाम हमला: पर्यटकों पर बरसी गोलियां, राष्ट्रीय शोक
22 अप्रैल 2025 की दोपहर जम्मू कश्मीर के पहल्गाम में एक ऐसा मंजर सामने आया, जिसने देश को झकझोर दिया। पहल्गाम हमला कोई आम घटना नहीं थी—यहां के बायसारन घास के मैदान में अचानक गोलियों की बौछार शुरू हुई। हमलावरों ने वहां मौजूद पर्यटकों से उनका परिचय पक्का किया और फिर उन पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। देखते ही देखते 25 भारतीय नागरिक और एक नेपाली नागरिक की जान चली गई। बायसारन, जहां आमतौर पर सैलानी पहाड़ों की खूबसूरती देखने आते हैं, शवों और चीखों के अंधकार में बदल गया।
हमले की जिम्मेदारी 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' ने ली, जो पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा है। पिछले छह सालों में कश्मीर में इतनी बड़ी जानहानि पहली बार हुई है। 2019 के पुलवामा हमले के बाद यह सबसे क्रूर आतंकी घटना मानी जा रही है। दुखद पहलू यह कि आतंकी बाकायदा पहचान पक्की करते हुए चुनकर निशाना बना रहे थे। स्थानीय लोगों में दहशत और गुस्से की लहर दौड़ गई है।
सरकार का सख्त रुख, सिंधु जल संधि सस्पेंड
सरकार ने माना कि अब सिर्फ सैन्य प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि हर स्तर पर सख्ती जरूरी है। सबसे बड़ा कदम यह रहा कि भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया। इस संधि के तहत सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों का पानी दोनों देशों में बंटता है। इस फैसले के बाद पाकिस्तान को इन नदियों के पानी पर मिलने वाली सुविधाओं पर सीधा असर पड़ेगा। कभी नहीं देखा गया ऐसा रुख भारत को मानो पाकिस्तान को सीधे चेतावनी देने वाला है।
सिर्फ यहीं नहीं, भारत में मौजूद तमाम पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा भी तत्काल कैंसिल किए गए। भारत-सरकार ने SAARC वीसा छूट का लाभ उठा रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का अल्टीमेटम दिया। दिल्ली से कश्मीर तक सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट मोड में ऑपरेशन शुरू कर दिया है।
हमले के जिम्मेदारों को तलाशने के लिए एनआईए ने तीन संदिग्धों के स्केच सार्वजनिक किए: अदिल ग़ोरी (हाल ही में घुसपैठ कर चुका लश्कर कमांडर), अबू फौची (स्थानीय आतंकी) और सुलमान शाह। चौथे आरोपी जुनैद की पहचान भी हुई, जो पहले ही एक मुठभेड़ में मारा जा चुका है। आसपास के इलाकों में तलाशी और दबिश का सिलसिला जारी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुरंत हाई-लेवल सुरक्षा बैठक बुलाई और ज़मीनी हालात की समीक्षा की। सुप्रीम कोर्ट ने इस हमले को 'कायराना' बताया और देशभर में शोक जताया गया।
पर्यटकों और स्थानीय लोगों की मदद के लिए कई हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं, ताकि किसी भी आपात स्थिति में लोग फ़ौरन संपर्क कर सकें। श्रीनगर में कंट्रोल रूम बनाने के साथ-साथ अनंतनाग पुलिस और जम्मू-कश्मीर टूरिस्ट डिपार्टमेंट ने भी अपने नंबर सार्वजनिक किए हैं: 0194-2457543, 0194-2483651, 7006058623 (श्रीनगर कंट्रोल रूम); 9596777669, 01932-225870 (अनंतनाग पुलिस); 8899931010, 8899941010 (पर्यटन विभाग)।
- सिंधु जल संधि का सस्पेंशन पाकिस्तान को पानी की सप्लाई पर असर डालेगा।
- 200 से अधिक परिवार अपने रिश्तेदारों की तलाश में हैं।
- घायलों का इलाज श्रीनगर अस्पतालों में चल रहा है, जिनमें से कई की हालत गंभीर है।
- सुरक्षा एजेंसियां नदी किनारे और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार तलाशी अभियान चला रही हैं।
एनआईए की टीम जांच में हर छोटी-बड़ी डीटेल्राें की जाँच कर रही है। हमला किस तरीके से, किस सूचना के आधार पर और किस तैयारी से किया गया—इन सब बिंदुओं पर पुलिस और खुफिया एजेंसियां फोकस कर रही हैं। उस गांव में अब भी दहशत और डर का माहौल है, लेकिन सुरक्षा बलों की मौजूदगी लोगों को थोड़ा सुकून दे रही है।
Chand Shahzad
अप्रैल 23, 2025 AT 19:42हमें इस त्रासदी में एकजुट होना चाहिए; सरकार की कड़ी कार्रवाई का समर्थन करने के साथ साथ जनता को भी सतर्क रहना चाहिए। इस प्रकार के आतंकवादी हमलों को रोकने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सख्त नीतियों की आवश्यकता है। हम सभी को मिलकर सुरक्षा एजेंसियों को जानकारी देना चाहिए, ताकि आगे ऐसे घटनाओं से बचा जा सके। हमें शांति के लिए साहस दिखाना होगा और आतंकवादी तत्वों को जवाब देना होगा।
Ramesh Modi
अप्रैल 26, 2025 AT 03:16क्या विचार‑विमर्श के बाद भी हम इस दर्दनाक सच से बच नहीं पाए! कहाँ बँधे हैं हमारे नैतिक कम्पास-वह भी इस अंधेरी रात में!
भले ही शब्दों की बारिश हो, पर कार्रवाई की प्यास को बुझाना अब समय की कसौटी है!!!
आइए, इस स्थिति को एक नई दार्शनिक दिशा दें, जहाँ हम सब मिलकर एकजुट हों, न कि विभाजित।
Ghanshyam Shinde
अप्रैल 28, 2025 AT 10:49वाह, बहुत बड़ी बात है कि हम फिर से एक और नरसंहार देख रहे हैं। हर बार यही कहानी दोहराई जाती है, लेकिन कुछ भी बदलता नहीं। सरकार तुरंत कदम उठा रही है, लेकिन क्या वही काफी है? सिंधु जल संधि को सस्पेंड कर दिया, पर उस कदम का असर क्या होगा? पानी की कमी का सामना दोनों देशों को होगा, पर क्या यह आशा देता है कि आतंकियों को रोक पाएँगे? नेपालियों की भी हानि हुई, यह दिखाता है कि सीमा पार भी उनका असर है। एनआईए ने आरोपी का स्केच जारी किया, पर क्या वह सच में मदद करेगा? जनता की आवाज़ तेज़ है, पर क्या वे शक्ति में बदल पाएँगी? इस तरह की घटनाएं सामाजिक बंधन को कमजोर करती हैं।
हमें नयी नीतियों की ज़रूरत है, जो सच्ची सुरक्षा प्रदान करे।
भले ही हम इस्लामी या हिन्दू पहचान को लेकर संवाद करें, लेकिन आतंकवाद का कोई धर्म नहीं है।
आमतौर पर लोग इस बात को नजरअंदाज़ करते हैं, पर यह एक बड़ी समस्या है।
एक बार फिर यह याद दिलाता है कि हमें सतर्क रहना चाहिए।
समय है कि हम अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दें।
परन्तु, हम यही तो चाहते हैं कि शांति फिर से लौटे।
हम सभी को इस दुख में साथ खड़ा होना चाहिए और भविष्य की योजना बनानी चाहिए।
आशा है कि आगे की जांच में सब कुछ साफ़ हो जाएगा।
साथ ही, एक बात स्पष्ट है – इस तरह की बर्बरता को कभी न दोहराया जाए।
SAI JENA
अप्रैल 30, 2025 AT 18:22इस दुखद घटना में सभी पीड़ितों के परिवारों को हमारा समर्थन चाहिए। सरकार द्वारा लिये गये कड़े कदम सराहनीय हैं, पर साथ ही मानवीय मदद भी त्वरित होनी चाहिए। हमें मिलकर इस आघात से उबरने का मार्ग निकालना होगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये सटीक कदम उठाने चाहिए।
Hariom Kumar
मई 3, 2025 AT 01:56सबको बहुत ताक़त मिलें 🙏❤️ यह दुख बहुत बड़ा है, पर हम एकजुट रहेंगे और आगे बढ़ेंगे। आशा है कि सरकार जल्दी से जल्दी सभी आवश्यक सहायता पहुँचाएगी। अपने दिल को मजबूत रखें, बेहतर कल आएगा 😊