देश की प्रमुख मेडिकल प्रवेश परीक्षा, NEET-UG 2024, में पर्चा लीक और अन्य अनियमितताओं का आरोप लगने पर सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) और केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है। यह मुद्दा उस समय प्रकट हुआ जब दस उम्मीदवारों ने इस परीक्षा के परिणामों पर रोक लगाने और दोबारा परीक्षा कराने की मांग की। कोर्ट ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए कहा कि परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है।
याचिका दाखिल करने वाले सभी 10 उम्मीदवारों का दावा है कि NEET-UG 2024 की परीक्षा में व्यापक तौर पर अनियमितताएं हुई हैं। उम्मीदवारों ने कहा कि परीक्षा के पर्चे लीक हुए हैं और कई छात्रों को अनुचित तिथि में परिणाम मिले हैं। इसके अलावा, अनेक प्रश्नों के अंकन में भी त्रुटियां रही हैं। कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान यह दिखाया कि परीक्षा की पवित्रता पर गंभीर सवाल उठे हैं। हालांकि, अदालत ने तत्कालीन तौर पर चल रही काउंसलिंग प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और मामले की अगली सुनवाई 8 जुलाई को निर्धारित की।
इस मामले को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और अहेसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच द्वारा सुना जा रहा है। दोनों न्यायाधीशों ने NTA को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में अपना जवाब दाखिल करें। पर्चा लीक, गलत अंकन, और ग्रेस मार्क्स देने की नीतियों पर उठे सवालों के चलते यह मामला और भी गंभीर हो गया है।
विपक्षी दल, खासतौर पर कांग्रेस, ने इस मामले पर जांच की मांग की है। कांग्रेस का कहना है कि NEET-UG 2024 की परीक्षा में अनियमितताएं और पेपर लीक जैसे मामले शिक्षा प्रणाली की गिरती साख का प्रतीक हैं और इसे तत्काल रूप से सही किया जाना चाहिए।
इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए, सरकार ने 1,500 से अधिक छात्रों को दिए गए ग्रेस मार्क्स की समीक्षा करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति का उद्देश्य यह पता लगाना है कि ग्रेस मार्क्स देने की प्रक्रिया कितनी सही थी और उसमें क्या-क्या खामियां रह गई हैं।
कई राज्यों, जैसे राजस्थान और बिहार, से पेपर लीक की खबरें सामने आई हैं और वहां जांच जारी है। इस संदर्भ में, NTA और अन्य एजेंसियों को इन आरोपों की सत्यता की पुष्टि करने के लिए कड़ा कदम उठाना पड़ेगा ताकि भविष्य में ऐसे मामलों से बचा जा सके।
NEET-UG 2024 परीक्षा को लेकर विभिन्न उच्च न्यायालयों में भी मामले दायर किए गए हैं। कोलकाता उच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालयों में इसे चुनौती दी गई है। इस बीच, मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) धनंजय वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच इन मामलों को सुन रही है।
ऐसे समय में, जब शिक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय और NTA से जवाब तलब एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। छात्रों और उनके अभिभावकों को उम्मीद है कि इन जांचों के माध्यम से परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता और भरोसे को बहाल किया जाएगा।
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