मुंबई में राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी (एनसीपी) की प्रमुख और उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पत्नी सुनैत्रा पवार ने राज्यसभा सीट के लिए अपना नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर एनसीपी के कई वरिष्ठ नेता उपस्थित थे, जिनमें अजित पवार, प्रफुल पटेल, सुनील तटकरे और छगन भुजबल शामिल थे। हालांकि, शिवसेना एवं भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेताओं की उपस्थिति नहीं थी, जो कि गठबंधन पार्टी के लोग होने के बावजूद नहीं दिखे।
प्रफुल पटेल ने स्पष्ट किया कि शिवसेना और बीजेपी के नेताओं को नामांकन प्रक्रिया के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था, लेकिन उन्हें सुनैत्रा पवार की उम्मीदवारिता के बारे में पहले ही सूचित कर दिया गया था। इसका कारण देते हुए पटेल ने बताया कि यह एक आंतरिक मामला था और इसमें किसी भी रूप में असहमति या विवाद की स्थिति नहीं थी। पार्टी ने सर्वसम्मति से इस निर्णय को लिया और सुनैत्रा का चयन पहले से ही तय माना जा रहा था।
प्रफुल पटेल ने बताया कि सुनैत्रा पवार का नामांकन पार्टी के मुख्य समूह की बैठक में तय किया गया था, जिसमें अजित पवार, सुनील तटकरे और छगन भुजबल शामिल थे। यह निर्णय पूर्ण सहमति से लिया गया था और इस पर कोई विवाद नहीं था। हालांकि, पार्टी के कुछ विधायक इससे नाराजगी जता रहे थे और उनका मानना था कि पार्टी को पवार परिवार के सदस्य के बजाय किसी अन्य उम्मीदवार का चयन करना चाहिए था।
सुनैत्रा पवार की शैक्षिक पृष्ठभूमि एक वाणिज्य स्नातक की है। अजित पवार और सुनैत्रा पवार ने संयुक्त रूप से करीब 123 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की है। इससे पहले सुनैत्रा की बहन सुप्रिया सुले ने लोकसभा चुनाव में उन्हे बारामती से पराजित किया था। इसका मतलब यह है कि सुनैत्रा पवार राजनीतिक परिवार से आती हैं और उनकी उम्मीदवारी में पार्टी का विश्वास है।
कुछ एनसीपी विधायकों ने सुनैत्रा पवार के चयन पर असंतोष जताया है। उनका मानना है कि पार्टी को पवार परिवार के सदस्य के बजाय किसी और उम्मीदवार का चयन करना चाहिए था। यह आग्रह करते हुए, ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी के भीतर कुछ खटास हो सकती है, लेकिन प्रफुल पटेल के बयान के अनुसार, यह नामांकन पूरी पार्टी की सहमति से लिया गया था और इसे लेकर अंदरूनी कोई विवाद नहीं है।
पार्टी के लिए यह नामांकन महत्वपूर्ण है क्योंकि राज्यसभा में स्थिति मजबूत करने की दिशा में यह एक निर्णायक कदम हो सकता है। सुनैत्रा पवार की उम्मीदवारी पार्टी के लिए एक रणनीतिक चाल का हिस्सा है और एनसीपी की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को दर्शाती है। इसके साथ ही, यह दिखाता है कि पार्टी अपने मजबूत नेताओं और उनके परिवार के सदस्यों पर विश्वास जताने के लिए तैयार है।
शिवसेना और बीजेपी की अनुपस्थिति पर चर्चा भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये दोनों दल एनसीपी के प्रमुख सहयोगी हैं। हालांकि, उनके नेताओं को नामांकन के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था, फिर भी उन्हें सूचित जरूर किया गया था। इस प्रकार, इसमें कोई गले-शिकवे की बात नहीं है। यह मामला सिर्फ पार्टी का आंतरिक विषय था, जहां निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया था।
कुल मिलाकर, सुनैत्रा पवार का राज्यसभा के लिए नामांकन पार्टी के आंतरिक सहमति का परिणाम है। प्रफुल पटेल ने जोर देकर कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है और एनसीपी ने सर्वसम्मति से इस निर्णय को लिया है। पार्टी के कुछ विधायकों की असहमति के बावजूद, यह नामांकन एक मजबूती से लिया गया फैसला है और पार्टी की आगामी रणनीतियों को दर्शाता है।
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