2024 के दिल्ली लोकसभा चुनावों में भाजपा ने फिर से बड़ी जीत दर्ज की है। इस बार चुनाव में कुल 57.67% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। कुल 1,47,18,119 मतदाताओं ने मतदान किया, जो एक खासा संख्या है। यह चुनाव 25 मई को आयोजित हुआ, जिसमें कुल सात सीटों के लिए मतदान हुआ।
इस बार के चुनाव में सबसे महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच गठबंधन था। आप ने चार सीटों पर जैसे कि नई दिल्ली, पूर्वी दिल्ली, दक्षिणी दिल्ली और पश्चिमी दिल्ली से चुनाव लड़ा, जबकि कांग्रेस ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली, उत्तर-पूर्वी दिल्ली, और चांदनी चौक से चुनाव लड़ा। भाजपा ने सभी सात सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ा। इस गठबंधन का सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि विपक्षी दलों ने एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ लड़ाई लड़ी, जो एक महत्वपूर्ण रणनीति थी।
इस चुनाव में कई प्रमुख उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। भाजपा के मौजूदा सांसद मनोज तिवारी ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस के कन्हैया कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ा। वहीं, आप के विधायक सोमनाथ भारती ने नई दिल्ली से भाजपा की बंसुरी स्वराज के खिलाफ मुकाबला किया। यह चुनाव कई मायनों में महत्वपूर्ण था क्योंकि इसमें न सिर्फ मतदाताओं को नए विकल्प मिले, बल्कि पुराने और दिग्गज नेताओं का भविष्य भी दांव पर लगा।
भाजपा ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भी सभी सात सीटों पर विजय हासिल की थी, और इस बार भी वह अपने इस क्रम को जारी रखने में सफल रही। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा की यह सफलता उसकी मजबूत जमीनी स्तर की संगठनात्मक ताकत और प्रभावी जनसंपर्क अभियानों का नतीजा है।
आप और कांग्रेस का गठबंधन भी इस बार के चुनाव की एक प्रमुख बात थी। दोनों दलों ने अपने आधार क्षेत्रों में मजबूती बनाए रखने की कोशिश की। हालांकि, इस गठबंधन का फायदा उतना नहीं हुआ जितना अपेक्षित था। आप के प्रमुख नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस गठबंधन को अपना समर्थन दिया था और अपने भाषणों में भाजपा की नीतियों की तीखी आलोचना की थी।
चुनावों के दौरान अदालती मामलों ने भी राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित किया। दिल्ली शराब नीति मामले में अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली, जिसने आप के कार्यकर्ताओं को कुछ राहत दी। इस मामले में आप के प्रमुख नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह की गिरफ्तारी ने भी दिल्ली की राजनीति में हलचल मचाई।
चुनावी नतीजों ने साफ कर दिया कि दिल्ली के मतदाताओं का झुकाव अभी भी भाजपा की ओर है। इस चुनाव में भाजपा की अपार सफलता ने यह सिद्ध कर दिया कि उसका दबदबा अभी भी कायम है। दिल्ली के चुनाव नतीजों के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगामी विधानसभा चुनावों में राजनीतिक समीकरण कैसे बदलते हैं और भाजपा, आप और कांग्रेस के बीच सत्ता संघर्ष क्या मोड़ लेता है।
सब मिलाकर, 2024 के दिल्ली लोकसभा चुनाव ने कई महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाओं और गठबंधनों को जन्म दिया। इस बार के चुनाव परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया कि दिल्ली की राजनीति में भाजपा का कद बड़ा है और वह अपनी रणनीतिक पकड़ को बरकरार रखे हुए है। अब यह देखना होगा कि विपक्षी दल अपने भविष्य की योजनाओं को कैसे निष्पादित करते हैं और आगे की राजनीति कैसे दिशा लेती है।
एक टिप्पणी लिखें
आपकी ईमेल आईडी प्रकाशित नहीं की जाएगी