भारतीय एविएशन इंडस्ट्री ने आगामी यूनियन बजट 2024 में व्यापार को सहज बनाने और लागत को कम करने के लिए नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया है। पिछले कुछ सालों में, एविएशन सेक्टर ने विभिन्न चुनौतियों का सामना किया है, जिनमें उच्च कर, बुनियादी ढांचा की कमी, और नियामक बाधाएं शामिल हैं। इंडस्ट्री के प्रमुख हितधारक, जैसे कि स्पाइसजेट के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अजय सिंह का कहना है कि सरकार को एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) पर कर कम करना चाहिए और सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कर रियायतें प्रदान करनी चाहिए।
अजय सिंह ने यह भी कहा कि इंडस्ट्री को व्यापक एविएशन नीति की आवश्यकता है, जो इसके विकास को प्रोत्साहित कर सके। इसके साथ ही, इंडस्ट्री ने विमान और स्पेयर पार्ट्स के आयात के लिए नियमों में छूट देने और इन वस्तुओं पर कस्टम ड्यूटी घटाने की मांग की है। यह कदम न केवल इंडस्ट्री की लागत को कम करेगा बल्कि इसे और प्रतिस्पर्धी भी बनाएगा।
इसके अतिरिक्त, इंडस्ट्री ने भारत में मेंटनेंस, रिपेयर, और ओवरहॉल (MRO) सुविधाओं के विकास के लिए प्रोत्साहन देने की भी मांग की है। भारत में इसका मौजूदा बाजार मूल्य लगभग ₹8,000 करोड़ है, और 2025 तक यह ₹35,000 करोड़ तक पहुंच सकता है। इस सेगमेंट में निवेश बढ़ाने से जहां एक ओर रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, वहीं देश में विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी।
इंडस्ट्री ने हवाई टिकटों पर GST दरों को घटाने और एयरक्राफ्ट लीज की कराधान प्रक्रिया पर भी स्पष्टता मांगी है। भारतीय एयरलाइंस फेडरेशन (FIA) ने भी सरकार के सामने एक विस्तृत मांग सूची प्रस्तुत की है, जिसमें ATF पर एक्साइज ड्यूटी कम करने, विमान और स्पेयर पार्ट्स के आयात पर कस्टम ड्यूटी को माफ करने, और हवाई टिकटों पर GST दरों में कमी की मांग शामिल है।
FIA ने एविएशन नीति की व्यापक समीक्षा की भी मांग की है ताकि इंडस्ट्री के विकास को प्रोत्साहन मिल सके। महामारी के बाद से एविएशन सेक्टर ने धीरे-धीरे पटरी पर आना शुरू किया है, ऐसे में सरकार से मिलने वाली राहत नीतियों से इसमें और तेजी आ सकती है।
इंडस्ट्री की सभी उम्मीदें अब 1 फरवरी 2024 को प्रस्तुत होने वाले यूनियन बजट 2024 पर टिकी हुई हैं। देखते हैं, सरकार एविएशन सेक्टर की इन मांगों पर किस हद तक जवाब देती है।
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