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झारखंड में 5‑6 अक्टूबर को बारिश के लिए IMD ने ऑरेंज व येलो अलर्ट जारी

दिसंबर की धुंध में जब कई लोग ठंडे कपड़े निकाल रहे थे, तभी भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने ऑरेंज अलर्ट और येलो अलर्ट जारी करके झारखंड के 20 से अधिक जिलों में 5‑6 अक्टूबर 2025 को भारी बारिश की चेतावनी दी। यह चेतावनी इसलिए आवश्यक थी क्योंकि पिछले दो हफ्तों में सामान्य 11.7 mm की तुलना में 46 mm तक बारिश दर्ज हुई, और जामताड़ा के करमाटांड में 73.2 mm की तीव्र वर्षा हो चुकी थी। इस कारण न केवल फसल‑उत्पादन बल्कि यात्रियों, स्कूल‑छात्रों और निर्माण कार्यों पर भी असर पड़ेगा, इसलिए विभाग ने लोगों से सतर्क रहने की अपील की।

पिछले दिनों की मौसम‑व्यवस्था

पिछले सप्ताह उत्तर‑बिहार और उसके पड़ोसी इलाकों में एक कमजोर लो‑प्रेशर एरिया बना रहा, पर साइक्लोनिक सर्कुलेशन अभी भी पूर्वोत्तर बिहार, ओडिशा और झारखंड के कई हिस्सों में सक्रिय है। इन परिनियमों की वजह से जलवायु बिल्कुल अस्थिर हो गई। एक अनुभवी मौसम विज्ञानी, डॉ. वी. के. सिंह, ने कहा, "वर्तमान में समुद्र‑स्तर से 1.5 km ऊपर स्थित एंटिक्लोनिक बॉक्स धुंध और तेज़ हवाओं को बढ़ा रहा है, जिससे बाढ़ की संभावनाएँ बढ़ रही हैं।"

जून से अगस्त तक आम तौर पर इस समय झरना‑फरवाही और धुंधली हवा रहती है, पर इस साल मौसमी पैटर्न में बदलाव देखा गया। 1‑3 अक्टूबर में रिकॉर्ड‑तोड़ 46 mm वर्षा हुई, जो सामान्य 11.7 mm से 34.3 mm अधिक है।

ऑरेंज व येलो अलर्ट के विस्तृत विवरण

IMD के अभिलेखों के अनुसार, ऑरेंज अलर्ट गढ़वा, पलामू, लातेहार, चतरा और हजारीबाग जिलों के लिए जारी किया गया, जबकि येलो अलर्ट कोडरमा, गिरिडीह, देवघर, जामताड़ा, धनबाद, बोकारो, रामगढ़, रांची और लोहरदगा सहित 14 अन्य जिलों में लागू है। राजधानी रांची, खूंटी और सिमडेगा समेत कुल 20 जिलों को भी येलो अलर्ट मिला।

  • ऑरेंज अलर्ट – 5‑6 अक्टूबर, संभावित भारी वर्षा व तेज़ हवा
  • येलो अलर्ट – समान अवधि, मध्यम‑तेज़ वर्षा, वैद्युत जोखिम

इन अलर्टों की वैधता 48 घंटे तक रहेगी, जिससे स्थानीय अधिकारियों को आपातकालीन तैयारी के लिये पर्याप्त समय मिलेगा।

प्रभावित जिलों में मौसमी स्थिति

प्रभावित जिलों में मौसमी स्थिति

5 अक्टूबर को गिरिडीह, धनबाद, जामताड़ा, देवघर, दुमका, पाकुड़ और गोड्डा जिलों में कुछ क्षेत्रों में तेज़ बारिश की आशंका है। 6 अक्टूबर को गोड्डा, साहिबगंज, दुमका और पाकुड़ में भी भारी वर्षा की संभावना जताई गई। सिमडेगा, गुमला, लोहरदगा और पश्चिमी सिंहभूम में भी हल्की से मध्यम बारिश का अनुमान है।

कुल मिलाकर, राज्य के पूर्वी भाग में तेज़ हवा, बिजली गिरने की संभावना और स्थानीय बाढ़ की आशंका स्पष्ट है। इस दौरान तापमान 30‑35 °C के बीच रहेगा, जबकि रात में 25 °C तक गिर सकता है।

किसानों व सामान्य जनता के लिये शुरुआती सलाह

IMD ने किसानों को कहा कि वे उन खेतों में सिंचाई टालें जहाँ बारिश की संभावनाएं अधिक हैं, और फसल को ढकने की व्यवस्था जल्द से जल्द करें। कृषि विभाग के स्थानीय अधिकारी ने बताया कि यदि धान या गन्ना जैसे नकदी‑फ़सलें बाढ़‑जनित नुकसान से बचें तो बचत में लगभग 12 % सुधार हो सकता है।

यात्रियों को सड़कों पर धुंध और जलजमाव से बचने हेतु वैकल्पिक मार्ग अपनाने की सलाह दी गई। स्कूलों को भी अलर्ट के आधार पर विद्या‑सत्र छोड़ने या शॉर्ट‑टर्म क्लासेस चलाने का निर्देश मिला है।

औसत नागरिक ने कहा, "बारिश के साथ बिजली गिरने की चिंगारी से डर लगता है, परंतु अगर सरकार और हम मिलकर सावधानी बरतें तो नुकसान कम हो सकता है।"

भविष्य की संभावनाएँ और तैयारी

भविष्य की संभावनाएँ और तैयारी

वैज्ञानिकों के अनुसार, अगले दो हफ्तों में मौसम प्रणाली में हल्का सुधार आ सकता है, पर फिर भी स्थानीय जल‑प्रबंधन एजेंसियां सतर्क रहेंगी। अगले 7‑10 दिनों में अगर कोई नई साइक्लोनिक प्रवाह नहीं आया, तो अलर्ट धीरे‑धीरे घटेंगे, परंतु अस्थायी बाढ़ निचले क्षेत्रों में जमा हो सकती है।

राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन टीम को तैनात कर दिया है, और प्रत्येक जिले में हेल्प‑डेस्क खोल कर आपातकालीन रिपोर्टिंग को आसान बना दिया है। जल‑स्रोतों की सफाई, नाली‑नाली की जाँच और बचाव‑केंद्रों की तैयारी अभी चालू है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

ऑरेंज अलर्ट और येलो अलर्ट में क्या अंतर है?

ऑरेंज अलर्ट का अर्थ है संभावित भारी वर्षा, तेज़ हवाएँ और गड़गड़ाहट, जबकि येलो अलर्ट मध्यम‑तीव्रता की बारिश और वैद्युत जोखिम को दर्शाता है। दोनों में सावधानी बरतनी होती है, पर ऑरेंज में स्थानीय प्राधिकरण अक्सर बचाव‑कार्रवाई शुरू कर देते हैं।

किसान किस समय अपनी फसलों की सुरक्षा कर सकते हैं?

भारी बारिश की पूर्वानुमानित समय सीमा (सुबह 6‑10 बजे और शाम 4‑8 बजे) के पहले ही फसलों को ढकें और पानी निकासी के लिए खंदक खोलें। इससे जल‑संचयन को कम करके फसल को बचाया जा सकता है।

क्या इस अलर्ट से स्कूल‑छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ेगा?

कुछ जिलों में बाढ़‑जोखिम के कारण स्कूलों को अस्थायी रूप से बंद किया जा सकता है। कई स्कूल शॉर्ट‑टर्म क्लासेज़ या ऑनलाइन लेक्चर लेकर पढ़ाई जारी रखेंगे। स्थानीय शिक्षा विभाग ने अलर्ट के दौरान वैकल्पिक पढ़ाई के उपाय बताए हैं।

सड़क यात्रा पर इस मौसम का क्या प्रभाव पड़ेगा?

भारी बारिश और जल‑जमाव के कारण कई ग्राम‑जिले के रास्ते बंद हो सकते हैं। यात्रियों को मुख्य राजमार्गों पर वैकल्पिक मार्ग अपनाने और रियल‑टाइम ट्रैफिक अपडेट सुनने की सलाह दी जाती है।

आगामि कुछ दिनों में अलर्ट कब तक बना रहेगा?

IMD ने कहा है कि अलर्ट 48 घंटे के लिये वैध है, पर यदि मौसम में और बदलाव आया तो विभाग नई अलर्ट जारी कर सकता है। इस हेतु स्थानीय एएमडीडी सेंटर के अपडेट पर नज़र रखें।

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6 टिप्पणि

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    aparna apu

    अक्तूबर 6, 2025 AT 19:45

    अरे भाई, क्या बात है! 🍃🌧️ अचानक से मौसम ने अपना मूड बदल दिया है, और हम सबको अपनी-अपनी चुनौतियों का सामना करने के लिए मजबूर कर दिया है।
    ऑरेंज अलर्ट का मतलब है कि भारी बारिश और तेज़ हवाओं का दाब बहुत ज़्यादा है, और यह हमारे खेतों और स्कूलों के लिए काफी परेशानियों का कारण बन सकता है।
    जिलों में जल जमाव की समस्या बढ़ रही है, जिससे सड़कें बंद हो रही हैं और लोग फँस रहे हैं।
    फसल‑उत्पादन को लेकर किसान भाई बहुत चिंतित हैं, क्योंकि अधिक बरसात से धान की पैदावार पर असर पड़ सकता है।
    इसीलिए IMD ने सभी को सावधानी बरतने की अपील की है, नहीं तो नुकसान की मार से बचना मुश्किल हो जाएगा।
    येलो अलर्ट वाले जिलों में भी सावधान रहना जरूरी है, क्योंकि मध्यम‑तीव्रता की बारिश से विद्युत गिरावट और बाढ़ का खतरा बना रहता है।
    पहले ही भाग में, कई लोग अपने घरों के पास पानी का स्तर बढ़ते देख रहे हैं, और कुछ गवर्नमेंट ने तुरंत राहत कार्य शुरू कर दिए हैं।
    अब सवाल यह नहीं है कि क्या बारिश होगी, बल्कि यह है कि हम इस आपदा के लिए कैसे तैयार हों।
    आइए, हम सब मिलकर जल निकासी के उपाय अपनाएं, नालियों को साफ रखें और खेतों में उचित जल प्रबंधन करें।
    स्कूलों में प्रशासन ने वैकल्पिक कक्षाओं की व्यवस्था की है, ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई बाधा न आए।
    यात्रियों को भी अपने रूट प्लान में बदलाव करना चाहिए, क्योंकि कई छोटे रास्ते जल में डूब सकते हैं।
    जैसे कि कहते हैं, "एकता में शक्ति है", हमें इस भीगी हुई परिस्थितियों में एक-दूसरे का साथ देना चाहिए।
    आशा है कि अगले कुछ दिनों में मौसम थोड़ा सुधरेगा, पर हमें अभी भी सतर्क रहना पड़ेगा।
    सबको याद रहे, बिजली गिरने की संभावना बहुत अधिक है, इसलिए खुले स्थानों पर न रहें।
    समाप्ति में, मैं सभी को यह स्मरण कराना चाहता हूँ कि सावधानी ही इस बार की सबसे बड़ी कुंजी है।😊

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    arun kumar

    अक्तूबर 15, 2025 AT 12:12

    भाइयों और बेनो, इस अलर्ट को गंभीरता से लेना चाहिए। हम सब मिलकर अपनी सुरक्षा को प्राथमिकता दें और स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें। साथ ही, जो लोग कृषि में हैं, वे फसल संरक्षण के उपाय तुरंत अपनाएँ। ऊर्जा और उत्साह के साथ, हम इस चुनौती को पार कर सकते हैं।

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    Karan Kamal

    अक्तूबर 24, 2025 AT 04:38

    ध्यान देना जरूरी है कि ऑरेंज और येलो अलर्ट के अलग‑अलग जोखिम हैं। विशेषकर, जो जिले ऑरेंज में हैं, उन्हें तेज़ हवाओं और बाढ़ की संभावना अधिक है। इसलिए, स्थानीय प्रशासन के साथ संपर्क में रहना चाहिए। समय पर उपाय करने से नुकसान कम किया जा सकता है।

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    Mohammed Azharuddin Sayed

    नवंबर 1, 2025 AT 21:05

    मौसम विज्ञान विभाग ने जो संकेत दिए हैं, वे काफी सटीक प्रतीत होते हैं। जल निकासी की व्यवस्था को मजबूत करना इस समय प्राथमिकता होना चाहिए। साथ ही, खेती के लिए जल‑संकलन तकनीकों को अपनाना फायदेमंद रहेगा। इस तरह से हम संभावित नुकसान को घटा सकते हैं।

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    Avadh Kakkad

    नवंबर 10, 2025 AT 13:32

    वास्तव में, पिछले आँकड़े दिखाते हैं कि ऐसी अचानक बारिश से अक्सर कृषि उत्पादन पर 10‑15% तक का असर पड़ता है। इसलिए, हमारे स्थानीय कृषि कार्यालयों को फसल‑सुरक्षा के लिए त्वरित सहायता प्रदान करनी चाहिए। हल्के‑फुल्के उपाय जैसे ड्रिप इरिगेशन भी मददगार हो सकते हैं। इसके अलावा, टनल्ड फसलें भी इस तरह के मौसम में अधिक स्थिर रहती हैं। अंत में, सही समय पर फसल को ढकना एक सरल लेकिन प्रभावी कदम है।

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    KRISHNAMURTHY R

    नवंबर 19, 2025 AT 05:58

    समुदाय के सभी सदस्यों को अनुकूलन रणनीतियों की जानकारी साझा करनी चाहिए।
    जैसे, जल‑धारण क्षमता वाले प्लॉट्स में मिट्टी को सुधारने के लिए जैविक पदार्थ जोड़ना फायदेमंद रहेगा।
    इसके साथ ही, स्थानीय डोमेस्टिक रेनवॉटर कलेक्शन सिस्टम को लागू करना भी उपयोगी हो सकता है।
    इस दृष्टिकोण से न केवल जल‑संरक्षण होगा, बल्कि फसल की पैदावार भी स्थिर रहेगी।😊

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