जब बात डॉ. वी.के. सिंह, एक वरिष्ठ राजनेता, पूर्व रक्षा मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ हैं. उन्हें अक्सर वी.के. सिंह कहा जाता है, जो भारत के लम्बे समय से चल रहे राजनीतिक परिदृश्य में प्रमुख भूमिका निभाते आए हैं। उन्होंने भारतीय रक्षा मंत्रालय, देश के सशस्त्र बलों और रक्षा नीतियों का प्रबंधन करता विभाग का शासन किया और उनकी नीति राष्ट्रीय सुरक्षा नीति, देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के व्यापक ढांचे को दर्शाती है में स्पष्ट रूप से झलकती है।
डॉ. वी.के. सिंह का राजनीतिक सफ़र 1990 के दशक में राष्ट्रीय कांग्रेस से शुरू हुआ, जहाँ उन्होंने युवा नेता के रूप में कई सामाजिक मुद्दों पर आवाज़ उठाई। चंडीगढ़ और पंजाब में उनके कार्यकाल में उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य सुधारों को प्राथमिकता दी, जिससे स्थानीय लोग सीधे लाभान्वित हुए। 1998 में उन्होंने संसद में पहली बार सीट जीतते ही राष्ट्रीय स्तर पर मदद पहुंचाई, और धीरे‑धीरे उनके नाम पर कई महत्वपूर्ण कमेटी और आयोग जुड़े। उनका व्यावहारिक दृष्टिकोण और तकनीकी ज्ञान उन्हें अन्य राजनेताओं से अलग करता है।
2012 में रक्षा मंत्री के रूप में नियुक्ति उनके करियर का मील का पत्थर थी। इस पद पर रहते हुए उन्होंने भारत की रक्षा उत्पादन को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कई पहलें शुरू कीं। स्वदेशी हथियार विकास, संदर्भ में ‘उड़ान’ प्रोजेक्ट, और रक्षा उत्पादन को राष्ट्रीय कंपनियों के साथ जोड़ने की नीति उनके प्रमुख योगदान में गिनी जा सकती है। साथ ही, उन्होंने सेना की जल-हवा‑भूमि क्षमताओं को संतुलित करने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी को अपनाया, जिससे भारत की सुरक्षा स्थिति में सुधार आया। ये प्रयास आज भी भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के मूलभूत आधार बनाते हैं।
डॉ. सिंह ने विदेश नीति में भी सक्रिय भूमिका निभाई। उनका मानना था कि सुरक्षा केवल सैन्य शक्ति पर नहीं, बल्कि कूटनीति, आर्थिक सहयोग और ऊर्जा सुरक्षा पर भी निर्भर करती है। उन्होंने भारत की ‘ड्राइवर’ भूमिका को एशिया‑प्रशांत क्षेत्र में मजबूत करने के लिए कई द्विपक्षीय संवादों की व्यवस्था की। चीन‑भारत सीमा मुद्दे, अफगानिस्तान में शांति‑प्रक्रिया और मध्य‑पूर्व में ऊर्जा साझेदारियों पर उनके विचार व्यापक रूप से उद्धृत होते हैं। इन दृष्टिकोणों ने भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अधिक विश्वसनीय और रणनीतिक भागीदार बनाया।
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अक्तूबर 6 2025