क्या आपने कभी किसी को अचानक चुप देखा, या कोई ऐसा बयान सुना कि "मुझसे अच्छा नहीं होगा"? ऐसे संकेत अनदेखा करने से हालात बिगड़ सकते हैं। आत्महत्या संवेदनशील मुद्दा है और इसे समाचार, परिवार और समुदाय—तीनों स्तरों पर समझना जरूरी है। यह पेज आपको जल्दी समझने, तुरंत मदद करने और खबर लिखते समय सावधान रहने के व्यावहारिक सुझाव देगा।
हर कोई एक जैसा नहीं होता, पर कुछ सामान्य संकेत हैं जिन पर ध्यान दें:
खुलकर मृत्यु की बातें या खुद को खत्म करने की बातचीत करना।
लोगों से कट जाना, रोज की गतिविधियों में रुचि खो देना।
अचानक मिलनसारिता में कमी या असामान्य चिल्लाना, गुस्सा या उदासी।
महत्वपूर्ण चीजें बांटना या अचानक तार्किक योजनाएँ बनाना (जैसे जमानत, वसीयत जैसी बातें)।
नींद और खाने में बड़ा बदलाव—बहुत कम या ज़्यादा।
पहला काम: शान्त रहें और मौजूद रहें। किसी को छोड़कर मत जाइए। सीधे पूछिए—"क्या तुम खुद को नुकसान पहुँचाने के बारे में सोच रहे हो?" यह सवाल पूछना मददगार होता है और अक्सर राहत देता है।
अगला कदम: अगर तत्काल खतरा हो तो 112 पर कॉल करें या नज़दीकी अस्पताल ले जाएँ। ऐसे व्यक्ति से तीखे बहस में न पड़ें। सुनें, सहानुभूति दिखाएँ और छोटा-छोटा काम करके सुरक्षित स्थान पर ले जाने की कोशिश करें।
किसी के पास रहने के दौरान उनकी बात को छोटा न आँके। यदि वह मदद लेना चाहे तो उन्हें स्थानीय मनोवैज्ञानिक, साइकिएट्रिस्ट या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जोड़ें। परिवार और दोस्तों को सूचित करना भी जरूरी है, पर व्यक्ति की सहमति और गोपनीयता का ध्यान रखें जब तक स्थिति इमरजेंसी न हो।
रोकथाम के लिए रोजमर्रा की मदद: नियमित बात-चीत, ध्यान रखना कि व्यक्ति अकेला न रहे, छोटी-छोटी गतिविधियों में शामिल करना और आवश्यकता पड़ने पर प्रोफेशनल थेरेपी शुरू कराना। दवाओं और उपचार के विकल्प डॉक्टर बताएँगे—खुद निर्णय ना लें।
समाचारकारों और ब्लॉगर्स के लिए टिप्स: आत्महत्या की खबर लिखते समय सेंसेशनल हेडलाइन और तरीका बताने से बचें। घटना की मानवीय वजह बताइए, लेकिन तकनीक/विधि का विवरण न दें। लेख में मदद के संसाधन और हेल्पलाइन जानकारी अवश्य डालें—यह पाठक की जान बचा सकता है।
अगर आप खुद ऐसे विचारों से जूझ रहे हैं, तो तुरंत किसी भरोसेमंद मित्र, परिवार या पेशेवर से बात करें। भारत में आप आपातकालीन मदद के लिए 112 पर कॉल कर सकते हैं या नज़दीकी अस्पताल से संपर्क करिए। अकेले रहने की बजाय किसी के साथ समय बिताने की कोशिश करें।
यह पेज त्वरित मार्गदर्शन देता है, पर इलाज और सुझाव हर व्यक्ति के लिए अलग होते हैं। अगर आप किसी खबर या संसाधन के बारे में और जानकारी चाहते हैं, तो हमारी साइट पर संबंधित रिपोर्ट देखें और स्थानीय स्वास्थ्य सेवाओं से संपर्क करें। मदद माँगना बहादुरी है—पहला कदम उठाइए।
प्रसिद्ध कन्नड़ फिल्म निर्देशक गुरु प्रसाद की बेंगलुरु में उनके फ्लैट में संदिग्ध आत्महत्या से मृत्यु हुई। पुलिस का मानना है कि उनकी मौत दो-तीन दिन पूर्व हो चुकी थी। वह हाल ही में आर्थिक संकट से गुजर रहे थे जिससे वह अवसाद में थे। उनके हालिया फिल्म *रंगनायक* की व्यावसायिक असफलता के कारण उन्होंने आर्थिक समस्याओं का सामना किया था।
नवंबर 3 2024