जब हम छठ पूजा, एक प्राचीन व्रत और सूर्य देवता को अर्पित किया जाने वाला प्रमुख हिन्दू त्यौहार है, जो मुख्यतः बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में बड़े जोश से मनाया जाता है. Also known as सूर्यवन्धी व्रत, it strengthens सामाजिक एकता, पर्यावरण जागरूकता और पारिवारिक बंधनों को.
छठ पूजा छठ पूजा कई प्रमुख तत्वों को आपस में जोड़ती है: यह सूर्य (सूर्य) को सम्मानित करती है, विशेष अर्घ्य (अर्घ्य) की विधि अपनाती है, और नैना घाट (नैना घाट) पर भक्तों का जमावड़ा बनाता है। सूर्य, हिंदू पंक्तियों में ऊर्जा और जीवन का स्रोत माना जाता है का अर्घ्य इस त्योहारी क्रम का केंद्र बिंदु है, जहाँ व्रती अपने हाथों में ठंडा पानी और गंगाजल लाकर सूर्य को अर्पित करते हैं। यह प्रक्रिया "अर्घ्य देना" छठ के तीन प्रमुख चरणों – नहाय खाय, कर्णाविनीत और अर्घ्य – में से एक है, जिससे व्यक्तिगत शुद्धि और सामुदायिक सुख दोनों की प्राप्ति होती है।
रिवाज़ों के अलावा, छठ पूजा का सामाजिक प्रभाव भी गहरा है। नैना घाट, सूर्य अर्घ्य के लिए चुनी गई नदी या तालाब का किनारा है, जहाँ शाम को अर्घ्य समारोह आयोजित होते हैं पर लोग एकत्रित होते हैं, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है—बाजार में ताज़ा फल, प्रसाद के लिए बिंदी, और परम्परागत छठ भोजन की मांग बढ़ जाती है। यही भोजन—रोटिका, ठेकभोज, संत्रा, सत्तू और कद्दू के हलवा—त्रिकाली के साथ ऊर्जा का संतुलन बनाते हैं और व्रती को पोषण प्रदान करते हैं।
छठ की तैयारियों में पर्यावरणीय जागरूकता भी शामिल है। कई गाँव अब रासायनिक सफाई के बजाय प्राकृतिक पदार्थों से घाट की सफाई करते हैं, ताकि जल निकाय शुद्ध रहे। यह पहल दर्शाती है कि छठ पूजा न केवल आध्यात्मिक उन्नति बल्कि सतत विकास का संदेश भी ले जाती है।
इन सभी पहलुओं को देखते हुए, नीचे दिए गए लेखों में आप पाएँगे: 1) छठ की सटीक समय-सारिणी और मौसम‑संबंधी प्रभाव, 2) विभिन्न राज्यों में लोक‑परम्पराओं की तुलना, 3) अर्घ्य के तकनीकी डिटेल और वैधता, 4) छठ के प्रसाद में प्रयोग होने वाले स्थानीय सामग्री की स्वास्थ्य‑प्रभावी जानकारी, तथा 5) सामाजिक एकता को बढ़ाने वाले सामुदायिक कार्यक्रमों की रिपोर्ट। यह संग्रह आपके लिये छठ पूजा को समझने, भाग लेने और आगे बढ़ाने के लिये एक समग्र गाइड बनता है। आगे आने वाले लेखों में आप इन सब बिंदुओं की गहराई से पड़ताल करेंगे, जिससे आपका छठ अनुभव और भी समृद्ध हो सकेगा।
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अक्तूबर 1 2025