क्या आप जानते हैं कि शब-ए-बरात मुस्लिम समुदाय में मांगी और माफी की रात मानी जाती है? यह रात शाबान महीने की पंद्रहवीं रात को आती है और लोग इसे इबादत, दुआ और आत्मनिरीक्षण के लिए उपयोग करते हैं। हर जगह एक जैसी प्रथाएँ नहीं हैं, पर आम तौर पर लोग इस रात को खास बनाते हैं — नमाज़ पढ़ते हैं, क़ुरआन पढ़ते हैं, मकबरे जाते हैं और जरूरतमंदों को खाना या दान देते हैं।
तिथि हर साल चाँद के आधार पर बदलती है, इसलिए स्थानीय चांद देखने या इस्लामी पंचांग की पुष्टि कर लेना चाहिए। कुछ समुदायों में अगला दिन रोज़ा रखा जाता है, जबकि कई जगह रात भर इबादत करके दिन भर भी अखंड दुआ में रहते हैं।
यहां उन रिवाज़ों का आसान और स्पष्ट सार है जिन्हें अधिकतर लोग अपनाते हैं:
- रात में तहज्जुद और नफ्ल नमाज़ें पढ़ना।
- क़ुरआन की तिलावत और तसबीह-तहरीम करना।
- माकराना मकबरों पर जाकर पढ़ना और अपने पिता-माता व पिछले लोगों की याद कर के दुआ करना।
- गरीबों और जरूरतमंदों को खाना या पैसे देना (सदक़ा)।
- घर की सफाई, दीया या मोमबत्ती जलाना और बच्चों को धार्मिक सीख देना।
अगर आप पहली बार शब-ए-बरात मना रहे हैं या पारम्परिक तरीके से करना चाहते हैं, तो ये कदम मददगार होंगे।
1) तारीख पुष्टि करें: अपने स्थानीय मुसलिम पंडित/मस्जिद या भरोसेमंद इस्लामी कैलेंडर से चाँद देखने की सूचना लें।
2) छोटा इबादत प्लान बनाएं: रात में 2-3 नफ्ल, थोड़ा क़ुरआन और कुछ दुआएं — निरंतरता ही मायने रखती है।
3) परिवार के साथ शांत माहौल बनाएं: छोटे बच्चों को कहानी सुनाएँ, बुजुर्गों को शामिल करें, तेज आवाज़ और भीड़ से बचें।
4) अगर मकबरा जाते हैं तो अनुमति लें और साफ-सफाई का ध्यान रखें; छाया-छीना या किसी को असुविधा न हो।
5) दान और खाना बाँटना सरल रखें — घर के पास जरूरतमंदों को गर्म खाना या पैकेट बांटना ज्यादा असरदार होता है।
शब-ए-बरात एक व्यक्तिगत और समाजिक मौका दोनों है: खुद की गलतियों पर सोचने की, दूसरों के लिए कुछ करने की और अपने रिश्तों को मजबूत करने की। आप कैसे मनाते हैं, यह आपकी नीयत और सादगी पर निर्भर करता है। अगर किसी बात का संशय हो तो अपने स्थानीय धर्मगुरु या मस्जिद से सलाह लें।
शब-ए-बरात 2025 को 13-14 फरवरी की रात मनाई जाती है, इस्लामी पंचांग के शा'बान महीने की 15वीं रात को 'माफी की रात' के रूप में जाना जाता है। इस दिन रात्रि की प्रार्थनाएं, कब्रों की زيارت और दान-पुण्य होता है, जबकि कुछ लोग मिठाई वितरण और आतिशबाज़ी जैसे सांस्कृतिक आयोजनों में भी भाग लेते हैं।
फ़रवरी 12 2025