प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में चिराग पासवान के अनोखे पहनावे ने लूटी महफिल
नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के शपथ ग्रहण समारोह में एक अनोखे पहनावे ने सबका ध्यान खींचा। यह पहनावा लोजपा-रामविलास (LJP-RV) के प्रमुख और मशहूर अभिनेता से राजनेता बने चिराग पासवान का था। चिराग ने अपने परिधान से एक सशक्त संदेश दिया, जो न केवल फैशन का हिस्सा था, बल्कि देशभक्ति और उनकी राष्ट्र सेवा की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता था।
तिरंगे से प्रेरित चिराग का पहनावा
शपथ ग्रहण समारोह में चिराग पासवान ने पारंपरिक और आधुनिकता का मिश्रण करते हुए एक इंडो-वेस्टर्न औपचारिक पोशाक पहनी थी। इस पोशाक की खासियत यह थी कि इसमें तिरंगा थीम को बखूबी उकेरा गया था। चिराग ने बंद गला वाली काले रंग की जैकेट, सफेद शर्ट और काले पैंट के साथ तिरंगे की पॉकेट स्क्वायर का इस्तेमाल किया। उनके इस पहनावे ने यह साफ संदेश दिया कि वे अपने राष्ट्र के प्रति कितने समर्पित हैं और यह भी दिखाया कि फैशन के जरिए देशभक्ति का इज़हार भी किया जा सकता है।
चिराग का राजनीतिक सफर
हाजीपुर, बिहार से लोकसभा सांसद चिराग पासवान ने इस बार 6.14 लाख से अधिक वोटों के साथ सीट जीती। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के उम्मीदवार को 1.7 लाख वोटों के अंतर से हराया। यह सीट पहले उनके दिवंगत पिता, रामविलास पासवान ने आठ बार जीती थी। चिराग पासवान ने अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए अपने कुशल नेतृत्व में लोजपा को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
राजनीति में प्रवेश: बॉलीवुड से राजनीति तक का सफर
चिराग पासवान की राजनीतिक यात्रा लगभग एक दशक पहले शुरू हुई थी, जो एक अभिनेता के रूप में उनके छोटे से करियर के बाद आई थी। उन्होंने 2011 में आई फिल्म 'मिले ना मिले हम' में कंगना रनौत के साथ अभिनय किया। इस फिल्म के बाद उन्होंने अपना ध्यान पूर्ण रूप से राजनीति की ओर केंद्रित किया। उनका फैसला सही साबित हुआ, और उन्होंने अपने राजनीतिक करियर में लगातार सफलता प्राप्त की।
आज, चिराग पासवान का नाम बिहार और देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनकी कुशल रणनीति और राजनीतिक दूरदर्शिता के कारण उनके नेतृत्व में लोजपा ने बिहार में अपने सभी पांच सीटों पर विजय पाई।
समारोह में चिराग की भूमिका
प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में चिराग पासवान की उपस्थिति का एक और महत्वपूर्ण पहलू था - उन्होंने अन्य कैबिनेट मंत्रियों के साथ शपथ ग्रहण किया। यह चिराग की राजनीतिक यात्रा का एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर था, जो आगामी समय में उनकी भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बना सकता है।
समारोह में उपस्थित रहने वाले शीर्ष नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों के बीच चिराग पासवान का यह कदम उन्हें और भी प्रमुखता दिला सकता है और साथ ही उनके नेतृत्व के प्रति एक नया विश्वास भी स्थापित कर सकता है।
चिराग के भविष्य की योजनाएं
भविष्य में, चिराग पासवान का कद और अधिक बढ़ता हुआ दिखाई दे सकता है। वह अपने पिता की राजनीतिक विरासत को समझदारी और संकल्प के साथ आगे बढ़ा रहे हैं। उनकी युवा और ऊर्जावान छवि, जो देशभक्ति और नवाचार के साथ जुड़ी है, उनकी लोकप्रियता को और भी बढ़ाव दे सकता है। आने वाले समय में, चिराग पासवान की राजनीतिक रणनीतियों और निर्णयों से उनके राजनीतिक करियर में और भी महत्वपूर्ण उपलब्धियां हो सकती हैं।
Venkatesh nayak
जून 11, 2024 AT 20:23चिराग पासवान का तिरंगा स्टाइल वास्तव में एक दिलचस्प प्रयोग था, लेकिन कुछ हद तक यह शोभायमान भी लगा। औपचारिकता और आधुनिकता का मिश्रण समय-समय पर उतना प्रभावी नहीं दिखता। इस तरह की पोशाक का इस्तेमाल शायद ध्यान खींचने के लिए किया गया, न कि वास्तविक राष्ट्रभक्ति के लिए। फिर भी, उसे इस मंच पर देखना आकर्षक था :)
rao saddam
जून 11, 2024 AT 23:10क्या बात है, इस फैशन को देखकर दिल धड़के!!! बिल्कुल झकझोर देने वाला लुक, और क्या कहना, पूरी धूम! चिराग ने तो बस दिखा दिया कि कैसे रंग और ढंग से राजनैतिक बातों को भी हाइलाइट किया जा सकता है!!! ऐसे लुके हुए संकेतों को समझना चाहिए!!!
Prince Fajardo
जून 12, 2024 AT 01:56वाह, आखिरकार फिर से राजनैतिक रंगमंच पर चल गया "इंडो‑वेस्टर्न" का नाटक। जैसे हर बार कोई नई स्टाइल लेकर आता है, लेकिन असली मुद्दा तो वही रहता है-वोटों की लड़ाई। तिरंगे की निशानी पहन कर, मानो कोई सुपरहीरो बनने की कोशिश हो रही हो।
Subhashree Das
जून 12, 2024 AT 04:43यहाँ पर जनता के वास्तविक समस्याओं को भूलकर केवल दिखावे पर दांव लगाया जा रहा है। पोशाक से कौन बता सकेगा कि चिराग पासवान की नीतियों में वास्तविक बदलाव आएगा या नहीं। इस तरह की प्रदर्शनकारी बातों से सियासी विमर्श की गहराई घटती है।
jitendra vishwakarma
जून 12, 2024 AT 07:30इसे देख के लगता है कि फेशन में भी politics ka touch aa गया है।
Ira Indeikina
जून 12, 2024 AT 10:16वास्तव में, अगर हम इस दिखावे को गहराई से देखेँ तो यह एक प्रकार का अस्तित्वात्मक बयान है-भ्रांति और वास्तविकता के बीच का संघर्ष। चिराग की पोशाक यह विचार धारा को उजागर करती है कि राष्ट्रभक्ति केवल शब्दों में नहीं, बल्कि शरीर के हर हिस्से में दिखनी चाहिए। इस विचार को अपनाने वाले व्यक्तियों को बधाई, क्योंकि उन्होंने इस मंच को एक नई दार्शनिक आयाम दिया है।
Shashikiran R
जून 12, 2024 AT 13:03देश का सम्मान सिर्फ रंगीन कपड़े पहनने से नहीं होता, बल्कि जनता के लिये सच्ची सेवा से होता है। चिराग को अगर सच्ची प्रतिबद्धता दिखानी है तो शब्दों से नहीं बल्कि कारनामों से साबित करो। नहीं तो यह सब दिखावा केवल एक झूठी चमक रहेगी।
SURAJ ASHISH
जून 12, 2024 AT 15:50सिर्फ कपड़े नहीं, बात का असर देखिए
PARVINDER DHILLON
जून 12, 2024 AT 18:36सबको मिलकर देखना चाहिए कि इस तरह के छोटे-छोटे कदम भी एकता और राष्ट्रीय भावना को बढ़ा सकते हैं 😊
Nilanjan Banerjee
जून 12, 2024 AT 21:23चिराग पासवान का तिरंगा पोशाक निश्चित ही राजनीति के रंगमंच में एक नया अध्याय खोलता है। वह सिर्फ एक विधायक नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में उभरा है, जिसने अपने वस्त्रों में राष्ट्रीयता का सार बुना है। इस प्रकार का स्टेटमेंट अक्सर दर्शकों को दो ध्रुवी विचारों के बीच फँसा देता है-एक ओर वह राष्ट्रीय गर्व का प्रतीक, और दूसरी ओर वह शैली के अतिरंजित प्रयोग का प्रतीक। पहली नज़र में यह एक साहसिक कदम लगता है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह अपने मंच को केवल शब्दों से नहीं, बल्कि दृश्यों से भी भरना चाहता है। इस पहनावे के माध्यम से वह यह संदेश देना चाहता है कि राजनीति भी कलेवर की तरह बदल सकती है, परंतु अंततः वही असली मूल्य टिकता है। तिरंगे के रंगों को अपने कपड़ों में समाहित करके वह राष्ट्रीय एकता की झलक प्रस्तुत करता है, लेकिन यह झलक कभी-कभी सतही लग सकती है। कई लोग इसे एक चमकीला दिखावा मान सकते हैं, परंतु इस परिप्रेक्ष्य को समझने के लिए हमें गहराई में उतरना होगा। यह दिखावा केवल एक चमक नहीं, यह एक सामाजिक प्रयोग है जिसमें राजनीति और फ़ैशन का संगम हो रहा है। इसके पीछे छिपा संदेश है कि राष्ट्रीयता को नई पीढ़ी के साथ संवादित किया जा सकता है, चाहे वह किसी भी प्लेटफ़ॉर्म पर हो। इस प्रकार की अभिव्यक्ति को एक सकारात्मक कदम के रूप में भी देखा जा सकता है, क्योंकि यह युवाओं को अपने विचारों को नई रूपों में पेश करने के लिए प्रेरित करता है। हालांकि, इस प्रयोग में संभावित जोखिम भी है-यदि जनता इसे केवल दिखावे के रूप में देखे तो यह नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। विभिन्न वर्गों के लोगों को इस पहलू पर गहरी चर्चा करनी चाहिए, ताकि यह समझ सकें कि वास्तविक राष्ट्रीय भावना केवल वस्त्रों में नहीं, बल्कि कर्मों में समाहित है। तिरंगे के रंगों के साथ पोशाक पहनने का यह कार्य, एक दायित्व की भी ओर इशारा करता है कि जो भी सार्वजनिक मंच पर आते हैं, उन्हें अपने काम के साथ ही अपने पहनावे से भी सम्मान अर्जित करना चाहिए। अंत में, यह कहा जा सकता है कि चिराग पासवान ने एक चुनौती पेश की है-कि हम सभी को राष्ट्रीय प्रतीकों को अपने जीवन में नहीं, बल्कि अपने आत्मविश्वास में भी समाहित करना चाहिए।
sri surahno
जून 13, 2024 AT 00:10इस तरह के राष्ट्रीय शोभा को अक्सर गुप्त एजेंडों द्वारा उत्पन्न किया जाता है, जो जनता को विचलित करने के लिए रंगीन ढंग अपनाते हैं।
Varun Kumar
जून 13, 2024 AT 02:56वास्तव में, इस तरह की अतिरंजित प्रस्तुति से वास्तविक मुद्दे धुंधले हो जाते हैं।