बर्नआउट रोकथाम: छोटे बदलाव जिनसे फर्क दिखेगा

क्या काम के बाद आप पूरी तरह थक जाते हैं, पर फिर भी शाम को नींद नहीं आती? ये बर्नआउट के शुरुआती संकेत हो सकते हैं। बर्नआउट रोकथाम मुश्किल नहीं, बस कुछ सीधी आदतें बदलनी पड़ती हैं। नीचे दिए उपाय रोज़मर्रा में आसानी से अपनाए जा सकते हैं और तुरंत राहत मिलती है।

रोज़ाना करें ये छोटे लेकिन असरदार बदलाव

पहला नियम प्राथमिकताएं तय करना है। हर सुबह 3 सबसे जरूरी काम लिख लें और बाकी बाद में करें। इससे माइंड साफ रहता है और तनाव घटता है।

काम को छोटे हिस्सों में बांटें। 25-45 मिनट काम, फिर 5-15 मिनट का ब्रेक लें (Pomodoro तरीका)। ऐसे छोटे ब्रेक से दिमाग ताज़ा रहता है और आप ज्यादा उत्पादक बनते हैं।

नींद को प्राथमिकता दें। रोज़ाना 7-8 घंटे सोने की कोशिश करें। अगर रात में काम करना ज़रूरी है, तो दिन में 20-30 मिनट की पॉवर नैप से ऊर्जा लौटती है।

डिजिटल ब्रेक लें। फोन और ईमेल को हर वक्त चेक करने की आदत छोड़ें। नोटिफिकेशन सीमित कर दें और काम के समय में सिर्फ जरूरी ऐप खोलें। इससे मानसिक शोर कम होगा।

हेल्थी बॉडी, हेल्थी माइंड। रोज़ 20-30 मिनट की हल्की एक्सरसाइज या तेज़ चलना करें। शरीर की हलचल से मूड बेहतर होता है और चिंता घटती है।

सीमाएं तय करें — काम की समय सीमा बनाएं और उसे परिवार को भी बताएं। घर पर काम के समय और छुट्टी के समय स्पष्ट रखें, जिससे ओवरलोड कम होगा।

जब बर्नआउट गहरा लगे तो क्या करें

यदि आप लगातार थके हुए, निराश या असहाय महसूस कर रहे हैं, तो मदद माँगें। कोई भरोसेमंद दोस्त, परिवार या साथियों से बात करें। बात करने से तनाव आधा हो जाता है।

वर्कलोड कम कर पाने में सक्षम नहीं हैं तो छोटे-छोटे 'ना' कहना सीखें। किसी एक प्रोजेक्ट को किसी से सौंपना भी समाधान है। डेलिगेशन से आप फिर से नियंत्रित महसूस करेंगे।

माइंडफुलनेस और श्वास अभ्यास तुरंत आराम देते हैं। दिन में 5 मिनट गहरी श्वास या ध्यान करने से तनाव घटता है और फोकस बढ़ता है।

आखिरकार, अगर नींद या मूड में बहुत बदलाव आए हों या काम करने की इच्छा ही नहीं रहे, तो प्रोफेशनल की मदद लें। काउंसलर या डॉक्टर समय रहते मदद कर सकते हैं।

बर्नआउट रोकथाम का मतलब बड़े बदलाव नहीं, छोटे स्थिर कदम हैं। रोज़ की आदतें बदलें, सीमाएं बनाएं और खुद पर दयालु रहें। क्या आप आज एक छोटी सी आदत बदलने के लिए तैयार हैं?

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आवेशम फिल्म के प्रमुख अभिनेता फहाद फासिल ने हाल ही में खुलासा किया है कि उन्हें 41 साल की उम्र में ध्यान-अभाव/अतिक्रियाशीलता विकार (ADHD) का पता चला है। थेरेपिस्ट मेरिडिथ कार्डर बताती हैं कि ADHD वाले व्यक्तियों के लिए बर्नआउट रोकथाम के लिए भावनात्मक असंतुलन और परिपूर्णता जैसी समस्याओं को समझना जरूरी है। उन्हें अपनी चुनौतियों को मैनेज करने के लिए योग, माइंडफुलनेस और जॉयफुल एक्टिविटीज़ का सहारा लेना चाहिए।

मई 27 2024