ऑरेंज अलर्ट – क्या है और क्यों ज़रूरी है?

When working with ऑरेंज अलर्ट, एक मध्य‑स्तर की आपदा चेतावनी है जो मौसम या जल‑संसाधन जोखिमों के बढ़ते खतरे को दर्शाती है. Also known as ऑरेंज चेतावनी, it signals that authorities need to start preparedness actions. This alert is issued by भारतीय मौसम विभाग, देश का प्रमुख मौसम विज्ञान संस्थान and coordinated with राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, जो आपदा रोकथाम और प्रतिक्रिया का नियमन करता है. ऑरेंज अलर्ट तब सक्रिय होता है जब जोखिम स्तर पीले से आगे बढ़कर महत्वपूर्ण होता है, लेकिन अभी पूरी तरह रेड‑लेवल तक नहीं पहुँचा है.

ऑरेंज अलर्ट के मुख्य पहलू

भारत में मौसम चेतावनी को चार मुख्य रंगों में बाँटा जाता है: हरा (सुरक्षित), पीला (सावधानी), ऑरेंज (उन्नत जोखिम) और लाल (अत्यंत खतरा). इस क्रम में ऑरंजी संकेत करता है कि जोखिम स्तर में वृद्धि हुई है और प्रशासनिक उपायों की आवश्यकता है। उदाहरण के तौर पर, तेज़ बारिश के बाद बाढ़ अलर्ट, बाढ़ की संभावना को दर्शाता है जारी हो सकता है; अगर बाढ़ का खतरा अधिक हो तो यह ऑरेंज में अपग्रेड हो जाता है। इसी तरह, लगातार कम वर्षा से सूखा अलर्ट, जल‑संकट के संकेत देता है को ऑरेंज स्तर पर ले जाया जा सकता है.

ऑरेंज अलर्ट जारी होने पर आम तौर पर स्कूल बंद, सार्वजनिक परिवहन में परिवर्तन, और कृषि क्षेत्रों में फसल‑सुरक्षा की सिफ़ारिशें दी जाती हैं। दिल्ली के 2‑अक्टूबर के मौसम की रिपोर्ट में IMD ने पीला अलर्ट जारी किया था, लेकिन यदि बाद में तेज़ हवाओं या भारी बारिश की संभावना बढ़ी होती तो यह ऑरेंज में बदल जाता। इस तरह की प्रगति दर्शाती है कि अलर्ट प्रणाली कितनी लचीली है और कैसे वास्तविक‑समय डेटा पर आधारित निर्णय लिये जाते हैं.

इंडियन मेटीओरोलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) अत्याधुनिक मॉडलिंग, उपग्रह डेटा और ग्राउंड‑स्टेशनों से जानकारी एकत्र करके अलर्ट बनाता है। उनका कार्य केवल चेतावनी देना नहीं, बल्कि जनता को सही समय पर कार्रवाई करने के लिए स्पष्ट निर्देश देना भी है। इस प्रक्रिया में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के साथ समन्वय बेहद जरूरी है, क्योंकि वह स्थानीय प्रशासन, पुलिस और स्वास्थ्य सेवाओं को कार्रवाई की रूपरेखा तैयार करता है.

जब ऑरेंज अलर्ट आता है, तो नागरिकों को कुछ बुनियादी कदम उठाने चाहिए: पहला, आधिकारिक वेबसाइट या ऐप (जैसे IMD की मोबाइल एप) से निरंतर अपडेट देखना; दूसरा, आपातकालीन किट (टॉर्च, रेस्क्यू कंबल, बुनियादी दवाइयाँ) तैयार रखना; तीसरा, सूचित रहने के लिए स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करना। यह सिर्फ़ एक सूचना नहीं, बल्कि जीवन‑सुरक्षा की प्रक्रिया है.

देश के विभिन्न राज्यों में ऑरेंज अलर्ट के अलग‑अलग प्रभाव देखे गये हैं। गुजरात में तेज़ बवंडर के दौरान, ऑरेंज अलर्ट ने बड़े पैमाने पर व्यावसायिक सुविधाओं को बंद करने और छत्रियों की तैयारी करने की दिशा में काम किया। वहीं, मध्य प्रदेश में कड़ी धूप और जल‑संकट ने सूखा अलर्ट को ऑरेंज स्तर पर ले जाया, जिससे जल‑संरक्षण उपायों को तेज़ी से लागू किया गया.

आपदा प्रबंधन के विशेषज्ञ कहते हैं कि अलर्ट की सटीकता तभी बेहतर होगी जब नागरिक सक्रिय रूप से भाग लें। इसलिए, समाचार पोर्टल जैसे भारत समाचार पिन समय‑पर्यंत अपडेट, विस्तृत विश्लेषण और स्थानीय अधिकारियों की घोषणाएँ एक ही जगह पर देती हैं, जिससे आप अपनी तैयारी को तेज़ी से अनुकूलित कर सकते हैं.

ऑरेंज अलर्ट से जुड़े सभी पहलुओं को समझने के बाद अब आप जानेंगे कि कब कौन‑सी कार्रवाई करनी है। नीचे आपको इस टैग — ऑरेंज अलर्ट — से जुड़ी नवीनतम खबरें, विश्लेषण और सलाह मिलेंगी, जो आपके लिए उपयोगी साबित होंगी।

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अक्तूबर 6 2025