जब मीडिया खुलकर खबर नहीं बता पाता, तो हमारी खबरों के साथ-साथ हमारे फैसलों की भी कदर घटती है। प्रेस की आजादी सिर्फ पत्रकारों का हक़ नहीं, यह लोकतंत्र की रीढ़ है — इससे जनता सरकार और ताकतवर संस्थाओं पर निगाह रख सकती है।
प्रेस की आजादी का मतलब है: खबरें बिना डर-धमकी, सेंसरशिप या आर्थिक दबाव के छापी और दिखाई जा सकें। इसका मतलब पत्रकारों को सोर्स की सुरक्षा, ज़रूरी जानकारी तक पहुंच और कानूनी सहारा मिलना भी है।
कुछ स्पष्ट चुनौतियाँ अक्सर देखने को मिलती हैं: दबाव व धमकी, इंटरनेट ब्लॉकिंग या वेबसाइटें बंद होना, गलत सूचनाओं को फैलाकर मीडिया की विश्वसनीयता घटाना, और आर्थिक दबाव जिससे स्वतंत्र रिपोर्टिंग मुश्किल हो जाती है। कभी-कभी सुरक्षा कानूनों का अभ्युपयोग या कानूनी नोटिस भी ख़बरों पर असर डालते हैं।
इनमें से कई समस्याएँ सिर्फ पत्रकारों की नहीं हैं — पाठक और समाज पर भी असर डालती हैं। जब खबरें दबती हैं, तो गलत जानकारी फैलने का रास्ता खुल जाता है और लोगों के निर्णय प्रभावित होते हैं।
डिजिटल सुरक्षा का ध्यान रखें: संवेदनशील दस्तावेज़ और स्रोतों का बैकअप रखें, एन्ड-टू-एन्ड एन्क्रिप्टेड चैट ऐप्स का इस्तेमाल करें और दो-स्तरीय प्रमाणीकरण सक्रिय रखें।
सूत्रों की पहचान बचाने के लिए मिनिमम रिकॉर्ड रखें और अनावश्यक ईमेल/फाइल शेयरिंग से बचें। कानूनी मदद के लिए पत्रकारों को मीडिया वकील या प्रेस संगठनों से संपर्क का नेटवर्क बनाना चाहिए।
फैक्ट-चेकिंग पर जोर दें: किसी दावे की पुष्टि एक स्वतंत्र स्रोत से करना और फोटो/वीडियो के लिए रिवर्स इमेज सर्च करना रोज़मर्रा की आदत बनाएं।
अगर आप पत्रकार नहीं हैं, तो आप भी मदद कर सकते हैं।
सधारण पाठक के तौर पर आप असल समाचारों को साझा कर अपवादों को बढ़ावा न दें, विश्वसनीय मीडिया का सब्सक्रिप्शन लें, और सोशल प्लेटफॉर्म पर फैलाई गई अफवाहों को रिपोर्ट करें। स्थानीय पत्रकारों के समर्थन में ठोस कदम उठाना — जैसे प्रदर्शन, पेटिशन या लोकल मीडिया को आर्थिक सहारा — असर डालता है।
न्यायपालिका और नागरिक समाज की भूमिका भी अहम है। न्यायपालिका का समय पर और निष्पक्ष हस्तक्षेप, प्रेस काउंसिल जैसे स्व-नियमन संस्थान और मीडिया संस्थाओं की पारदर्शिता प्रेस स्वतंत्रता को बचाने में मदद करते हैं।
प्रेस की आजादी साधारण नहीं होती; इसे बनाए रखने के लिए नियम, तकनीक और समाज की समझ तीनों चाहिए। अगर खबरें खुलकर आ सकें तो गलतियों की पहचान और सुधार भी संभव है — यही असली लोकतंत्र की कामयाबी है।
विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांज को अमेरिकी सौदे के तहत ब्रिटेन की जेल से रिहा कर दिया गया है। असांज पर गुप्त अमेरिकी राष्ट्रीय रक्षा दस्तावेजों को हासिल और खुलासा करने की साजिश का आरोप है। उनकी रिहाई से प्रेस स्वतंत्रता के समर्थकों के बीच चिंता बढ़ी है।
जून 25 2024