गोल्डन टेम्पल यानी हरमंदिर साहिब सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि शांति और सेवा का प्रतीक है। अगर आप अमृतसर आने की सोच रहे हैं तो यहाँ की जानकारी काम की होगी — कैसे पहुँचना है, कब जाना है, और किस तरह से अपने दर्शन को सहज बनाना है।
हरमंदिर साहिब का निर्माण सिख गुरु राम दास ने शुरू किया और गुरु अर्जन देव ने पूरा किया। 1604 में गुरु अर्जन देव ने ऐतिहासिक रूप से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की स्थापना यहाँ की। 19वीं सदी में महाराजा रणजीत सिंह ने मंदिर पर सोने की परत चढ़वाई, इसीलिए इसे गोल्डन टेम्पल कहा जाता है। इसके साथ लगे अकाल तख्त और गुरुद्वारे सिख धर्म के प्रमुख केंद्र हैं।
यहाँ का लंगर — मतलब मुफ्त भोजन — हर रोज हजारों लोगों को परोसा जाता है। लंगर में जाति, धर्म या रुतबे की परवाह नहीं की जाती; सब एक ही तरकीब से बैठकर खाते हैं।
समय: हरमंदिर साहिब तकनीकी तौर पर 24 घंटे खुला रहता है। सुबह और शाम के समय की आरती सबसे खास होती है — सुबह जल्दी (5-7 बजे) और शाम को सूरज ढलने के बाद का समय भी शांति भरा रहता है।
पहुँचने का तरीका: अमृतसर में नजदीकी एयरपोर्ट 'श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा' है। ट्रेन के लिए अमृतसर जंक्शन है। शहर से टुक-टुक, ऑटो या कैब से सीधे दरवाज़े तक पहुँचा जा सकता है।
ड्रेस कोड और आचार-व्यवहार: सिर ढकना जरूरी है — चाहे आप स्कार्फ, रूमाल या कैप इस्तेमाल करें। जूते बाहर ही उतारना होगा और सुरक्षा जांच के बाद परिसर में प्रवेश मिलेगा। मोबाइल और कैमरा चलते हैं, लेकिन अंदर के शांतिपूर्ण पलों में फ्लैश या शोर से बचें। पूजा के समय क्यूंकि लोग ध्यान और प्रार्थना में होते हैं, वहां फोटोग्राफी करने से पहले सोच लें।
लंगर: सभी के लिए फ्री भोजन उपलब्ध रहता है। आप भी परोसने या सफाई में हाथ बटा सकते हैं — यह एक अच्छा अनुभव रहेगा।
बच्चों और बुजुर्गों के साथ: परिसर में रास्ते चौड़े हैं, पर कुछ हिस्सों में स्टेप्स भी हैं। अगर आवश्यकता हो तो वहाॅँ वॉकर या व्हीलचेयर की सुविधा के लिए पहले पूछताछ कर लें।
निकट आकर्षण: गोल्डन टेम्पल के पास आप जालियांवाला बाग और वाघा बॉर्डर भी देख सकते हैं—दोनों ही अमृतसर के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में हैं।
आखिर में, अगर आप शांति और सादगी वाले अनुभव के लिए जा रहे हैं तो सुबह जल्दी जाएँ, सिर ढककर जाएँ, और लंगर में अनुभव साझा करें। यह जगह केवल तस्वीरों के लिए नहीं, बल्कि अनुभव लेने के लिए है।
4 दिसंबर 2024 को अमृतसर में गोल्डन टेम्पल के बाहर पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पर गोलीबारी की गई। बादल एक धार्मिक दंड के तहत आत्मस्वीकृति कर रहे थे, जो अकाल तख्त द्वारा 2007 से 2017 में एसएडी सरकार द्वारा कथित अत्याचार के लिए सुनाया गया था। हमलावर नारायण सिंह चौरा, एक पूर्व आतंकवादी थे। हालांकि, एक सतर्क स्वयंसेवक ने समय रहते चौरा के हाथ को धक्का दिया जिससे वे निशाना चूक गए और बादल सुरक्षित बच गए।
दिसंबर 4 2024